Jagdeep Dhankhar: सुप्रीम कोर्ट पर सीधी टिप्पणी क्या उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका की सीमा लांघने का संकेत दिया

उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar ने एक बार फिर अपने बयान से नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस बार उन्होंने संसद और न्यायपालिका के बीच अधिकारों की सीमा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि संसद सर्वोच्च है और कोई भी संस्था संसद से ऊपर नहीं हो सकती।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर जताई आपत्ति
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को बिलों पर फैसला करने के लिए तीन महीने की सीमा तय की थी। इस पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका कार्यपालिका का हिस्सा नहीं बन सकती और न ही वह सुपर संसद की भूमिका निभा सकती है। उन्होंने यह बात दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में कही।
संवैधानिक पद केवल सजावटी नहीं होते
धनखड़ ने अपने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग यह मानते हैं कि संवैधानिक पद केवल प्रतीकात्मक होते हैं लेकिन ऐसा सोचना बहुत बड़ी गलतफहमी है। उन्होंने कहा कि संविधान ने संसद को सर्वोच्च स्थान दिया है और इसी भावना से देश का संचालन होना चाहिए।
VIDEO | Speaking at an event in Delhi University, Vice-President Jagdeep Dhankhar (@VPIndia) said, "A prime minister, who imposed Emergency, was held accountable in 1977. Therefore, let there be no doubt about it – Constitution is for the people and it's a repository of… pic.twitter.com/mjXt84tLcS
— Press Trust of India (@PTI_News) April 22, 2025
हमने ऐसा लोकतंत्र कभी नहीं सोचा था
धनखड़ ने कहा कि आज न्यायपालिका कानून बना रही है शासन चला रही है और अब राष्ट्रपति को भी निर्देश दे रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा लोकतंत्र तो हमने कभी नहीं सोचा था। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि अगर राष्ट्रपति समय पर फैसला नहीं ले पाए तो बिल अपने आप कानून बन जाएगा।
बयान पर उठे तीखे सवाल लेकिन धनखड़ अडिग
धनखड़ के इस बयान पर उन्हें संविधान के खिलाफ बोलने का आरोप भी झेलना पड़ा है। आलोचकों ने इसे न्यायपालिका का अपमान बताया लेकिन धनखड़ ने साफ किया कि उनके हर शब्द के पीछे राष्ट्रहित की भावना होती है। उन्होंने यह भी कहा कि वह संविधान की मर्यादा को भलीभांति समझते हैं।