Haryana Punjab Water Dispute: 8500 क्यूसेक पानी पर छिड़ा महासंग्राम, हुड्डा ने ठोका पंजाब सरकार पर दावा!

Haryana Punjab Water Dispute: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा को 8500 क्यूसिक पानी देने के फैसले पर अमल न होने को लेकर पंजाब सरकार पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के चेयरमैन को बंधक बनाने की कोशिश करने वाले आम आदमी पार्टी के मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि भाखड़ा डैम से पंजाब पुलिस को हटाकर तुरंत केंद्रीय बलों की तैनाती की जाए ताकि वहां किसी भी तरह की कानून व्यवस्था की समस्या न हो।
भाखड़ा और नंगल डैम पर केंद्र का अधिकार
हुड्डा ने गुरुवार को अपने नई दिल्ली स्थित आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि BBMB कार्यालय को ताले लगाना एक शर्मनाक, अवैध और असंवैधानिक कार्य है। उन्होंने कहा कि हम एक संघीय ढांचे का हिस्सा हैं और भाखड़ा व नंगल डैम केंद्र सरकार की परियोजनाएं हैं। वहां तैनात तकनीकी समिति राज्यों को पानी के बंटवारे का फैसला करती है और किसी भी राज्य की तानाशाही वहां नहीं चल सकती। हरियाणा अपने हिस्से का पानी नहीं मांग रहा बल्कि किसी और के हिस्से का पानी भी नहीं छीन रहा। 1966 से लेकर आज तक इस पानी के वितरण को लेकर कोई विवाद नहीं रहा है तो अब हालात क्यों बिगाड़े जा रहे हैं?
पंजाब सरकार पर राजनीतिक आरोप
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि वहां चुनाव नजदीक हैं और आम आदमी पार्टी की जमीन खिसक रही है। इसी वजह से पानी के मुद्दे पर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट आदेश दिए हैं कि पानी के वितरण में पंजाब सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए लेकिन इसके बावजूद पंजाब सरकार अदालत के आदेशों का उल्लंघन कर रही है। हुड्डा ने इसे एक खतरनाक मिसाल बताया और कहा कि इससे न केवल राज्यों के बीच विवाद बढ़ेगा बल्कि इससे संविधानिक व्यवस्थाओं पर भी आंच आएगी।
हरियाणा सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग
हुड्डा ने हरियाणा सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे पर मजबूती से अपनी बात रखे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर केंद्र सरकार से मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा को उसके हक का पानी दिलाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि पूरे राज्य की एकजुटता का मामला है। अगर इस तरह की घटनाएं बार-बार होती रहीं तो राज्यों के बीच अविश्वास की खाई और बढ़ेगी। इसलिए यह ज़रूरी है कि केंद्र सरकार इस विवाद पर तुरंत ध्यान दे और संवैधानिक ढांचे के अनुसार कार्यवाही करे।