Modi 3.0: तीसरे कार्यकाल का पहला साल और मोदी के दमदार फैसले जानिए कैसे बदल गया राजनीतिक गणित

Modi 3.0: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा कर लिया है और इस तरह केंद्र में उनकी सरकार ने कुल 11 साल की राजनीतिक यात्रा पूरी कर ली है। नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं। इस कार्यकाल में भी उन्होंने अपने पुराने काम के अंदाज़ को बरकरार रखा और गठबंधन धर्म निभाते हुए राष्ट्रीय शक्ति को मजबूत किया।
गठबंधन की सरकार फिर भी फैसले दमदार
2014 और 2019 की तरह इस बार भाजपा को बहुमत नहीं मिला लेकिन एनडीए के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी ने फिर से सरकार बनाई। गठबंधन के बावजूद सरकार के कामकाज में कोई ढील नहीं आई। चाहे मुसलमानों से जुड़े वक्फ कानून में बदलाव हो या फिर पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर जैसे कड़े फैसले मोदी सरकार ने किसी भी मुद्दे पर झिझक नहीं दिखाई।
विपक्ष को गलत साबित कर दिया मोदी ने
विपक्ष लगातार यह कहता रहा कि पीएम मोदी को गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है क्योंकि अब तक उन्होंने बहुमत वाली सरकार ही चलाई थी। लेकिन मोदी ने ये साबित कर दिया कि गठबंधन के साथ भी वे उतनी ही मजबूती से नेतृत्व कर सकते हैं। जेडीयू और टीडीपी जैसे साथी दलों के साथ उनकी केमिस्ट्री शानदार रही और वक्फ संशोधन बिल जैसे अहम फैसलों में सभी ने उनका साथ दिया।
राजनीतिक बढ़त और राज्यों में जीत
लोकसभा में भले ही भाजपा की सीटें घटी हों लेकिन पार्टी ने अपनी राजनीतिक पकड़ को फिर से मजबूत किया। हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतकर पार्टी ने फिर से रफ्तार पकड़ी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराकर 27 साल बाद सत्ता में वापसी कर भाजपा ने विपक्ष को करारा जवाब दिया और जनता का विश्वास फिर से जीता।
ऑपरेशन सिंदूर और जातिगत जनगणना जैसे बड़े फैसले
पहलगाम हमले के बाद 7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इससे मोदी की राष्ट्रीय नेतृत्व वाली छवि और मजबूत हुई। साथ ही मोदी सरकार ने आजादी के बाद पहली बार जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया जो लंबे समय से लंबित मांग थी। इस कदम से भाजपा ने विपक्ष का बड़ा मुद्दा खुद के पक्ष में मोड़ लिया।