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Amebedkar Jayanti: डॉ. भीमराव आंबेडकर का पुस्तकालय और शौक! 35000 किताबों वाले महान नेता की अनोखी दुनिया

Amebedkar Jayanti: आज 14 अप्रैल को देश में एक विशेष दिन है क्योंकि आज बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 135वीं जयंती है। बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। वे अपने समय के सबसे शिक्षित व्यक्ति थे और जीवनभर उन्होंने अस्पृश्यता और गरीबी के खिलाफ संघर्ष किया।

बाबा साहब का असली उपनाम और परिवार

बाबा साहब का असली उपनाम आंबेडकर नहीं था उनका असली उपनाम ‘आंबावडेकर’ था। उनके पिता ने यह नाम स्कूल में पंजीकरण कराया था। इसके बाद उनके एक शिक्षक ने उन्हें आंबेडकर उपनाम दिया। बाबा साहब का परिवार महार जाति (दलित) से था जो उस समय अछूत मानी जाती थी।

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बाबा साहब का शौक और पुस्तकालय

बाबा साहब को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। उनके पास एक विशाल पुस्तकालय था जिसमें 1938 में 8000 किताबें थीं जो उनकी मृत्यु के समय बढ़कर 35000 हो गई थीं। इसके अलावा वे बागवानी भी पसंद करते थे और अपने कुत्ते से बहुत प्यार करते थे।

शिक्षा और संघर्ष

बाबा साहब ने 1907 में मैट्रिक परीक्षा पास की और फिर एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। वे इस कॉलेज में दाखिला लेने वाले पहले दलित छात्र थे। इसके बाद उन्होंने 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र में डिग्री प्राप्त की। वे विदेश में अर्थशास्त्र में PhD करने वाले पहले भारतीय थे।

बाबा साहब का योगदान और राजनीति

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बाबा साहब ने संविधान निर्माण समिति की अध्यक्षता की थी। इसके अलावा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया। बाबा साहब ने 1952 में भारत के पहले आम चुनाव में मुंबई उत्तर से चुनाव लड़ा था हालांकि वे हार गए थे।

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