Amritsar: नवजोत सिंह सिद्धू का परिवार, जो पिछले कुछ समय से राजनीतिक गतिविधियों से दूर था, अब एक बार फिर से राजनीति में वापसी करने की कोशिश कर रहा है। इस बार सिद्धू परिवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के करीब जाने की तैयारी कर रहा है। कांग्रेस में शामिल होने के बाद से सिद्धू परिवार का राजनीतिक ग्राफ गिरता गया है, और अब सिद्धू परिवार एक बार फिर राजनीति का सहारा लेने की कोशिश कर रहा है।
डॉ. नवजोत कौर की बैठक:
डॉ. नवजोत कौर, नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी, ने कल भाजपा नेता तरंजीत सिंह संधू से मुलाकात की। इस बैठक के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएँ शुरू हो गई हैं कि सिद्धू परिवार भाजपा में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। डॉ. नवजोत कौर अपने बेटी राबिया के साथ बैठक में शामिल हुई थीं। तरंजीत संधू ने इस बैठक की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पर साझा कीं और लिखा कि अमृतसर से संबंधित मुद्दों पर डॉ. नवजोत के साथ बातचीत करना एक सुखद अनुभव था।
सिद्धू परिवार का राजनीतिक इतिहास:
नवजोत कौर सिद्धू हमेशा से नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक सफर में उनके बड़े समर्थक रही हैं। 2004 में, नवजोत सिंह सिद्धू ने पहली बार अमृतसर संसदीय सीट से भाजपा की ओर से चुनाव लड़ा और कांग्रेस नेता राघुनंदन लाल भाटिया को हराया। 2007 के चुनावों में, डॉ. नवजोत कौर ने नवजोत सिद्धू के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। इसके बाद, डॉ. नवजोत कौर ने कुछ समय के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ के कार्यालय का प्रभार भी संभाला था।
2012 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश:
डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने 2012 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। उन्होंने भाजपा के टिकट पर पूर्व विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बनीं। इस दौरान वे अकाली-भाजपा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहीं।
सिद्धू परिवार की वापसी की कोशिशें:
अब जब सिद्धू परिवार भाजपा के करीब जाने की कोशिश कर रहा है, तो यह माना जा रहा है कि वे अपने राजनीतिक प्रभाव को पुनः स्थापित करना चाहते हैं। भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं इसलिए बढ़ गई हैं क्योंकि सिद्धू परिवार को कांग्रेस में अपने राजनीतिक सफर में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में, सिद्धू का राजनीतिक करियर विवादों और असफलताओं के साथ गुजरा है, जिससे उनकी लोकप्रियता में कमी आई है।
भाजपा के लिए अवसर:
भाजपा के लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है कि वे सिद्धू परिवार के अनुभव और राजनीतिक पृष्ठभूमि का लाभ उठाएं। नवजोत सिंह सिद्धू की पहचान एक लोकप्रिय नेता के रूप में है, और उनके साथ जुड़ने से भाजपा को पंजाब में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
सिद्धू का भविष्य:
हालांकि, सिद्धू परिवार की भाजपा में संभावित वापसी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या सिद्धू भाजपा में जाकर अपनी पहचान को फिर से स्थापित कर पाएंगे, या फिर उन्हें एक बार फिर राजनीतिक असफलता का सामना करना पड़ेगा? इन सवालों के उत्तर आने वाले समय में ही मिलेंगे।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव:
सिद्धू परिवार की इस मुलाकात ने राजनीतिक समीकरणों में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सिद्धू परिवार भाजपा में शामिल होता है, तो यह न केवल पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, बल्कि यह भाजपा के लिए भी एक मजबूत कदम हो सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ:
यदि सिद्धू परिवार भाजपा में शामिल होता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस प्रकार की राजनीतिक रणनीतियों के साथ मैदान में उतरते हैं। क्या वे अपने पुराने साथी नेताओं से मिलकर एक नया गठबंधन बनाएंगे, या फिर पूरी तरह से नए तरीके अपनाएंगे?
सार्वजनिक प्रतिक्रियाएँ:
इस मुलाकात पर जनता की भी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह सिद्धू परिवार की अपनी पहचान को पुनः स्थापित करने की एक कोशिश है, जबकि कुछ का कहना है कि यह केवल राजनीतिक स्वार्थ है।
नवजोत कौर का संधू से मिलना सिद्धू परिवार की भाजपा के करीब जाने की कोशिशों का संकेत है। राजनीतिक विश्लेषक इस बैठक को एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं, जो आने वाले समय में पंजाब की राजनीति में कई बदलाव ला सकता है। सिद्धू परिवार की वापसी की संभावनाओं के साथ, यह देखना बाकी है कि वे किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और भाजपा के साथ उनके संबंध कैसे विकसित होते हैं।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, सिद्धू परिवार की हर गतिविधि पर नज़र रखने की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह निश्चित रूप से पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।