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AMU: आज सुप्रीम कोर्ट अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़ी विवादास्पद कानूनी प्रश्न पर अपना फैसला सुनाएगा। संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल एएमयू बल्कि जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को भी प्रभावित करेगा, जिससे इन दोनों प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों का भविष्य दांव पर है।
संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ देंगे फैसला
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर फैसला देगी। इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा, और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। पीठ ने इस वर्ष 1 फरवरी को आठ दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि 1981 में किए गए एएमयू एक्ट के संशोधन ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बहाल करने में आधी-अधूरी भूमिका निभाई और इसे 1951 से पूर्व की स्थिति में वापस नहीं ला पाया।
1920 के अधिनियम के तहत स्थापित हुआ था एएमयू
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को अपने पक्ष रखते हुए कहा कि एएमयू का गठन 1920 के अधिनियम के तहत हुआ था। यह संस्थान न तो अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित किया गया है और न ही उनका प्रशासन द्वारा संचालित है। मेहता ने कोर्ट में एएमयू एक्ट में समय-समय पर किए गए संशोधनों और उन संशोधनों के दौरान संसद में हुई बहसों का हवाला दिया।
संविधान सभा की बहस का भी उल्लेख
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान सभा की बहस का भी उल्लेख करते हुए कहा कि एएमयू कोई अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय महत्व का सर्वश्रेष्ठ संस्थान है। उन्होंने यह भी कहा कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करने से संविधान के अनुच्छेद 15 (1) का उल्लंघन हो सकता है, जो राज्य को जाति, धर्म, भाषा, जन्मस्थान आदि के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करने से रोकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की 10 नवंबर को होगी सेवानिवृत्ति
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनके पास कुछ ही कार्य दिवस बचे हैं। ऐसे में उनके सेवानिवृत्त होने से पहले इस महत्वपूर्ण मामले का फैसला आना निश्चित है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ वही अंतिम न्यायाधीश हैं जो अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसले देने वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल थे।
संयोग से, अयोध्या का फैसला भी 9 नवंबर को पांच वर्ष पूरा करेगा
यह एक संयोग है कि 9 नवंबर को अयोध्या फैसले के पांच साल पूरे होंगे, जो न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले है। इसी वर्ष जुलाई में उन्होंने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन भी किए। माना जा रहा है कि वे पहले ऐसे मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किए।
फैसले का दूरगामी प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के भविष्य को नहीं बल्कि देश में अल्पसंख्यक अधिकारों की सीमाओं को भी परिभाषित करेगा। अगर एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म होता है, तो इसका सीधा असर जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी अन्य शैक्षणिक संस्थानों पर भी पड़ेगा। इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 30 की व्याख्या का सवाल भी प्रमुखता से उठता है, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की भविष्य में भी छानबीन हो सकती है।
आज सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले का सभी को इंतजार है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का भविष्य, जामिया मिलिया इस्लामिया और अल्पसंख्यक शिक्षा के अधिकार से जुड़े अहम सवालों का उत्तर इस फैसले के रूप में मिलने की उम्मीद है।