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Atul Subhash suicide case: अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में निकिता सिंहानिया, उसकी माँ और भाई को मिली जमानत, भाई ने उठाए कई सवाल

Atul Subhash suicide case: बेंगलुरु में हुए AI इंजीनियर अतुल  सुभाष के आत्महत्या मामले में आरोपी निकिता सिंहानिया, उसकी माँ और भाई को हाल ही में अदालत ने जमानत दे दी है। इस फैसले के बाद अतुल  सुभाष के भाई विकास मोदी ने विशेष बातचीत में कई अहम सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिली है, इसलिए उन्हें यह नहीं पता कि किस आधार पर जमानत दी गई है। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से भी सवाल किया और मांग की कि पुरुषों के लिए भी एक विशेष कानून बनाया जाए।

जमानत आदेश पर उठाए सवाल

विकास मोदी ने अपनी बातचीत में कहा कि शनिवार को निकिता सिंहानिया और अन्य को जमानत दी गई, जबकि हम ने 10-15 बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी। उनके अनुसार, इनमें से कुछ आपत्तियाँ काफी मजबूत थीं। विकास मोदी ने यह भी कहा कि उन्हें अभी तक अंतिम आदेश की कॉपी नहीं मिली है, इसलिए यह पता नहीं चल सका कि कौन सी आपत्तियाँ स्वीकार की गईं और कौन सी अस्वीकार की गईं। साथ ही यह भी स्पष्ट नहीं हो सका कि जमानत किस आधार पर दी गई है।

अगर न्याय नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

विकास मोदी ने कहा कि अगर उच्च न्यायालय से न्याय नहीं मिलता है, तो वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएंगे। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अतुल  सुभाष की मृत्यु और इस मामले में न्याय की प्रक्रिया को लेकर उनके मन में गहरा आक्रोश है और वे किसी भी हालत में इसे चुपचाप नहीं छोड़ेंगे।

Atul Subhash suicide case: अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में निकिता सिंहानिया, उसकी माँ और भाई को मिली जमानत, भाई ने उठाए कई सवाल

अतुल  सुभाष के बच्चे की स्थिति पर किया बड़ा खुलासा

विकास मोदी ने अतुल  सुभाष के बच्चे को लेकर भी एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक पुलिस से जानकारी मिली है कि अतुल  के बच्चे को एक बोर्डिंग स्कूल, सत्युग दर्शन विद्यालय, फरीदाबाद में दाखिल कराया गया है। यह दाखिला 17 जनवरी 2024 को हुआ था, जब बच्चा चार साल से कम उम्र का था। स्कूल में बच्चे के प्रवेश पत्र में पिता का नाम कहीं भी नहीं लिखा गया है और न ही माँ या पिता के हस्ताक्षर हैं। विकास मोदी का कहना है कि यह दाखिला आत्महत्या और जेल जाने के बीच नहीं किया गया था, बल्कि पैसे देकर दाखिला कराया गया था।

विकास मोदी ने कहा, “भारतीय माताएँ अपने बच्चों को पालने के लिए अपनी नौकरियाँ छोड़ देती हैं, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं हुआ। पहले भी इस बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में डाला गया था। यह बच्चे को एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। न तो उसने पिता का प्यार पाया और न ही उसे माँ का प्यार मिल रहा है। अगर निकिता ने बच्चे को अतुल  को दे दिया होता, तो शायद अतुल  आज जीवित होते।”

सरकार से सवाल: पुरुषों के लिए कब बनेगा कानून?

विकास मोदी ने सरकार से यह भी सवाल किया कि इस तरह के मामले जैसे अतुल  सुभाष का आत्महत्या, और पुरुषों को झूठे मामलों में फंसाने का सिलसिला कब खत्म होगा। उन्होंने कहा, “दिल्ली में भी एक आत्महत्या का मामला सामने आया है। यह देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे मामले आगे भी होते रहेंगे। जब तक सरकार पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं बनाएगी, तब तक इस तरह के मामले होते रहेंगे।”

केंद्र और राज्य सरकार से मांग

विकास मोदी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब सरकार को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि झूठे आरोपों के आधार पर पुरुषों को कैसे फंसाया जाता है। उन्हें यह लगता है कि पुरुषों के लिए न्याय का कोई वास्तविक तंत्र नहीं है। उनके अनुसार, पुरुषों के खिलाफ हो रहे इस तरह के अत्याचारों को रोकने के लिए सरकार को जल्द ही कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

महिलाओं के खिलाफ जमानत के फैसले पर सवाल

विकास मोदी ने निकिता सिंहानिया और उसके परिवार को मिली जमानत के बारे में भी अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने यह कहा कि अगर जमानत दी भी जाती है, तो यह गलत संदेश भेजने जैसा है कि इस तरह के मामलों में महिलाओं को विशेष अधिकार मिलते हैं। उनके अनुसार, अतुल  की आत्महत्या का मामला पूरी तरह से एक दोषपूर्ण न्याय व्यवस्था की ओर इशारा करता है, जहाँ हर किसी को समान अधिकार और न्याय मिलना चाहिए, चाहे वह महिला हो या पुरुष।

अतुल  सुभाष के आत्महत्या मामले में कई पहलू हैं जो अभी भी अस्पष्ट हैं। जमानत देने के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं और यह मामला न केवल परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल बन गया है। पुरुषों के अधिकारों की बात करने वाला यह मामला यह दर्शाता है कि समाज में समानता और न्याय के मुद्दे पर गंभीर बातचीत की आवश्यकता है। सरकार को इस मामले में तत्काल कदम उठाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी नागरिकों को बिना भेदभाव के न्याय मिले।

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