राष्‍ट्रीय

Gyanvapi Case: HC से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, खारिज की 5 याचिकाएं

Big blow to Muslim side from HC 5 petitions rejected

सत्य खबर/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर सभी 5 याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अंजुमन इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1991 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल मूल मुकदमे को चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल ने पांचों याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

आपको बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट में दायर मालिकाना हक के मुकदमे को चुनौती दी थी, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर सभी पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अब देखना यह है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद मुस्लिम पक्ष आगे क्या कदम उठाता है.

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मालूम हो कि मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 8 दिसंबर को ही सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था. अगर इन 5 याचिकाओं की बात करें तो तीन याचिकाएं एएसआई सर्वे को चुनौती देने वाली थीं और दो याचिकाएं सिविल सूट की पोषणीयता को लेकर थीं.

मुस्लिम पक्ष ने अपनी याचिकाओं में 1991 में संसद द्वारा पारित पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला दिया था। आपको बता दें कि यह कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 को किसी भी धार्मिक पूजा स्थल की स्थिति के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। यानी 15 अगस्त 1947 को अगर किसी पूजा स्थल पर किसी धार्मिक दल का अधिकार है तो उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. कुछ ऐतिहासिक साक्ष्यों की बात करें तो ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद औरंगजेब के शासनकाल से शुरू हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब, जिसकी मृत्यु 1707 ई. में हुई थी, ने अपने शासनकाल के दौरान 1669 में काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया और वहां एक मस्जिद बनवाई और इसी समय से ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद चल रहा है। मुस्लिम पक्ष की मानें तो ज्ञानवापी परिसर में कभी कोई मंदिर नहीं था.

अब देखना यह है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की जांच में कैसे सबूत सामने आते हैं और किस पक्ष का दावा पुख्ता होता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में हिंदू पक्ष मजबूत नजर आ रहा है, लेकिन अभी यह मामला पूरी तरह से कोर्ट के विचाराधीन है, इसलिए इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए.

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