राष्‍ट्रीय

आज से ब्रिटिश काल के कानून रद्द, गृह मंत्री Amit Shah ने नए आपराधिक कानूनों पर दी जानकारी

देश में तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद, गृह मंत्री Amit Shah ने मीडिया से बात की और नए कानूनों द्वारा किए गए बदलावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल के बनाए गए कानून अब समाप्त हो गए हैं। अब देश में नए कानून लागू हो रहे हैं, जिनमें अपराधी को सजा देने के बजाय पीड़ित को न्याय देने पर अधिक जोर दिया गया है।

इन धाराओं में हुए परिवर्तन

गृह मंत्री Amit Shah ने बताया कि नए कानूनों के तहत विभिन्न अपराधों के लिए धाराओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं। उदाहरण के लिए, हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 को अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103 में बदल दिया गया है। धोखाधड़ी के मामलों में IPC की धारा 420 को अब BNS की धारा 318 के तहत लाया गया है। इसी तरह बलात्कार के अपराध को IPC की धारा 376 से BNS की धारा 64 में स्थानांतरित किया गया है। चोरी के अपराध को IPC की धारा 379 से BNS की धारा 303 में बदला गया है। देशद्रोह के मामलों में IPC की धारा 124 को अब BNS की धारा 152 में रखा गया है। आपराधिक साजिश के लिए IPC की धारा 120-B को BNS की धारा 61 में शामिल किया गया है। दहेज हत्या के लिए IPC की धारा 304-B को अब BNS की धारा 80 में बदल दिया गया है। इन नए बदलावों के तहत, धोखाधड़ी के अपराधों में भी दोबारा से IPC की धारा 420 को BNS की धारा 318 में स्थानांतरित किया गया है। इन बदलावों का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक न्यायपूर्ण और प्रभावी बनाना है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में आसानी हो सके।

Kannada language controversy: बेंगलुरु में महिला ने ऑटो ड्राइवर को चप्पल से मारा! महिला की हरकत पर सोशल मीडिया में हंगामा
Kannada language controversy: बेंगलुरु में महिला ने ऑटो ड्राइवर को चप्पल से मारा! महिला की हरकत पर सोशल मीडिया में हंगामा

आज से ब्रिटिश काल के कानून रद्द, गृह मंत्री Amit Shah ने नए आपराधिक कानूनों पर दी जानकारी

न्यायिक कोड में 358 धाराएं

Amit Shah ने कहा कि नए कानून भारत की संसद द्वारा बनाए गए हैं। नए कानूनों से मुकदमे का समय कम होगा। पुरानी धाराओं को हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब सजा के बजाय न्याय पर जोर दिया गया है। भारतीय कानून के अनुसार, अब तक हर अपराधी को भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार सजा दी जाती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनाई गई थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत सजा दी जाएगी, जिसे संसद की मंजूरी पिछले साल ही मिली थी। भारतीय दंड संहिता (IPC) में 511 धाराएं थीं। अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय सिविल संरक्षण संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।

Delhi Airport पर IndiGo flight में टर्बुलेंस का खौफनाक अनुभव! मई में दूसरी बार इंडिगो फ्लाइट टर्बुलेंस का शिकार
Delhi Airport पर IndiGo flight में टर्बुलेंस का खौफनाक अनुभव! मई में दूसरी बार इंडिगो फ्लाइट टर्बुलेंस का शिकार

अब सजा के बजाय न्याय मिलेगा

गृह मंत्री Amit Shah ने तीन नए आपराधिक कानूनों पर बात करते हुए कहा, “सबसे पहले, मैं सभी देशवासियों को बधाई देना चाहता हूं कि स्वतंत्रता के लगभग 77 वर्षों के बाद, हमारा आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी हो गया है। यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगा। इन कानूनों पर 75 वर्षों के बाद चर्चा हुई और आज जब ये कानून प्रभावी हो रहे हैं, तो ब्रिटिश युग के कानून पूरी तरह समाप्त हो रहे हैं। अब भारतीय संसद में बनाए गए नियम प्रभावी होंगे। अब सजा के बजाय न्याय मिलेगा। अब देर के बजाय जल्दी सुनवाई होगी और जल्द ही न्याय मिलेगा। पहले केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा होती थी, लेकिन अब पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी रक्षा होगी।”

Back to top button