पूर्व BJP सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष Brij Bhushan Singh के खिलाफ भारतीय पहलवानों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद, मामला अब न्यायालय में एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। भारतीय पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने Brij Bhushan Singh पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इस मामले में हाल ही में, दिल्ली की राऊज़ एवेन्यू अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फिर से सुनवाई शुरू की है। अब एक महिला पहलवान ने इस केस की सुनवाई इन-कैमरा (न्यायाधीश के कक्ष में) करने की मांग की है।
कोर्ट में हो रही सुनवाई और केस का इतिहास
राऊज़ एवेन्यू कोर्ट में पूर्व सांसद Brij Bhushan Singh के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवाई 23 सितंबर को शुरू हो सकती है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। इस सुनवाई में महिला पहलवानों ने अदालत से अनुरोध किया कि सुनवाई इन-कैमरा की जाए, ताकि उनके और अन्य गवाहों की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सुनवाई के दौरान महिला पहलवानों की मांग
महिला पहलवानों ने अदालत से इन-कैमरा सुनवाई की मांग की है ताकि उनकी पहचान और सुरक्षा की जा सके। इन-कैमरा सुनवाई का उद्देश्य पीड़ितों और गवाहों को अदालत में गुमनाम बनाए रखना है, जिससे उनके सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
कोर्ट का आदेश और आरोपों की गंभीरता
10 मई को, कोर्ट ने Brij Bhushan Singh के खिलाफ यौन उत्पीड़न और अन्य आरोपों को लेकर चार्ज फ्रेम करने का आदेश दिया था। यह आदेश उन मामलों के आधार पर था जिनमें छह महिला पहलवानों ने आरोप लगाए थे। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का उपयोग), धारा 354A (यौन उत्पीड़न) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप तय करने का निर्देश दिया था।
Brij Bhushan Singh के खिलाफ लगाए गए आरोप
Brij Bhushan Singh पर महिलाओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने उन्हें यौन उत्पीड़न और मानसिक शोषण का शिकार बनाया। ये आरोप भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख के पद पर रहते हुए किए गए थे। पहलवानों ने दावा किया था कि उनकी शिकायतों की अनदेखी की गई और उन्हें न्याय नहीं मिला।
पुलिस और न्यायिक जांच की प्रक्रिया
इस मामले में पुलिस ने विस्तृत जांच की है और कई गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। अब मामले को अदालत में ले जाया गया है, जहां आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। न्यायालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों को सजा मिले।
फैसले का महत्व और सामाजिक प्रभाव
इस मामले की सुनवाई और फैसले का समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। अगर Brij Bhushan Singh को दोषी ठहराया जाता है, तो यह भारतीय खेलों की दुनिया में एक महत्वपूर्ण संदेश भेजेगा कि यौन उत्पीड़न के मामलों में कोई भी दोषी नहीं रहेगा। इससे अन्य पीड़ितों को भी न्याय प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और समाज में यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक मजबूत संदेश जाएगा।
भविष्य की संभावना
अब जब मामला अदालत में है, तो देखने वाली बात होगी कि सुनवाई कैसे चलती है और क्या न्याय की प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी होती है। महिला पहलवानों की मांग को ध्यान में रखते हुए, अदालत का निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि वे इन-कैमरा सुनवाई की अनुमति देते हैं या नहीं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा और पहचान सुरक्षित रहे, न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
Brij Bhushan Singh के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का मामला भारतीय खेल जगत और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। अदालत की सुनवाई और महिला पहलवानों की सुरक्षा की मांग यह दर्शाती है कि न्याय के प्रति समाज की जागरूकता बढ़ रही है। न्यायिक प्रक्रिया के तहत दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास समाज में एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी पीड़ितों को न्याय मिले।