Hemophilia का इलाज जीन थेरेपी से हो सकता है? जानें इस बीमारी के लक्षण और कारण
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Hemophilia एक गंभीर रक्त संबंधी बीमारी है, जिसमें रक्त का थक्का नहीं बन पाता और रक्तस्राव रुकता नहीं है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर में रक्त का थक्का बनाने वाला एक विशेष प्रोटीन कम या अनुपस्थित होता है। हेमोफिलिया B को एक जीन में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के कारण होता है, जो कोगुलेशन फैक्टर IX के लिए जिम्मेदार होता है। यह प्रोटीन रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है। जिन लोगों के पास फैक्टर IX की कमी या वह बिल्कुल भी नहीं होता, उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में अधिक समय तक रक्तस्राव होता है।
हेमोफिलिया के मरीजों में दो रूप होते हैं: हल्का और गंभीर। हल्के रूप में रक्तस्राव केवल चोट लगने पर होता है, लेकिन गंभीर रूप में आंतरिक रक्तस्राव होने लगता है, जो जॉइंट्स (संधियों) को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और कभी-कभी यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। गंभीर हेमोफिलिया B के इलाज के लिए हर 3 से 4 दिन में फैक्टर IX का इंजेक्शन लेना पड़ता है, जो कि बहुत महंगा और लंबे समय तक चलने वाला उपचार होता है।
हेमोफिलिया का इलाज जीन थेरेपी से
हेमोफिलिया के इलाज के लिए जीन थेरेपी को एक संभावित उपाय के रूप में देखा जा रहा है। शोधकर्ताओं ने सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च अस्पताल, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और रॉयल फ्री अस्पताल में इस दिशा में अध्ययन किया है। इस थेरेपी में वायरस का इस्तेमाल किया जाता है, जो इंसानों को संक्रमित करते हैं लेकिन बीमारी नहीं उत्पन्न करते। इन वायरस को वेक्टर (vector) कहा जाता है। जब इंसान के फैक्टर IX जीन को इन वेक्टरों में डाला जाता है, तो ये वायरस उस जीन को कोशिकाओं तक पहुंचाते हैं। फिर, ये कोशिकाएं उस जीन से प्रोटीन का निर्माण करती हैं, जो रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है।
पहले के अध्ययन में कुछ सफलता हासिल हुई थी, जिसमें इन वेक्टरों का उपयोग करके लिवर की कोशिकाओं को लक्षित किया गया था, जो इंसान के फैक्टर IX को बनाती हैं। हालांकि, फैक्टर IX की स्थिर और दीर्घकालिक अभिव्यक्ति प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इसमें लिवर की विषाक्तता (toxicity) की समस्या थी।
हाल ही में एक नए अध्ययन में, मानव फैक्टर IX जीन को एक उन्नत वेक्टर में डाला गया, जिसे एडिनो-एसोसिएटेड वायरस सैरोटाइप 8 (AAV8) कहा जाता है। इस अध्ययन में 22 से 64 वर्ष आयु के 10 पुरुषों ने भाग लिया। इन 10 में से 2 को कम डोज, 2 को मध्यम डोज और 6 को उच्च डोज दिया गया। इस अध्ययन का कुछ समर्थन NIH के हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट (NHLBI) द्वारा किया गया था और इसके परिणाम 20 नवंबर, 2014 को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए थे।
इस उपचार के 4 महीने बाद, मरीजों के रक्त में फैक्टर IX की सक्रियता 1% से कम से बढ़कर 1% से 6% के बीच हो गई। जो लोग उच्च डोज़ प्राप्त कर चुके थे, उनके रक्त में क्लॉटिंग प्रोटीन का स्तर अधिक था। उच्च डोज़ से रक्तस्राव की घटनाओं में काफी कमी आई और फैक्टर IX के उपचार की आवश्यकता भी घट गई। यह सुधार 4 साल तक बना रहा और साइड इफेक्ट्स हल्के थे। सबसे सामान्य दुष्प्रभाव, जो उच्च डोज़ प्राप्त करने वाले 6 में से 4 पुरुषों में देखा गया था, वह था लिवर एंजाइम्स का बढ़ना, जो लिवर की सूजन का संकेत है, जिसे आसानी से उपचारित किया जा सकता है।
हेमोफिलिया क्या है?
हेमोफिलिया एक रक्त विकार है, जिसमें रक्त नहीं थमता। इसका मतलब है कि अगर शरीर में किसी को चोट या कट लग जाता है, तो रक्त बहना बंद नहीं होता। हेमोफिलिया के रोगियों में रक्त को थक्का बनाने वाला प्रोटीन (कोगुलेशन फैक्टर) शरीर में नहीं होता, जिससे रक्त लगातार बहता रहता है। यह प्रोटीन प्लेटलेट्स के साथ मिलकर रक्त का थक्का बनाने का काम करता है।
भारत में हेमोफिलिया रोगियों की संख्या बहुत अधिक है। भारत में लगभग 1.3 लाख हेमोफिलिया मरीज हैं, और इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है।
हेमोफिलिया किन लोगों को होता है?
हेमोफिलिया का समस्या मुख्यतः लड़कों में होती है, क्योंकि लड़कों के पास केवल एक X क्रोमोसोम (X chromosome) होता है। यदि यह खराब क्रोमोसोम मां से बच्चे को मिलता है, तो यह बीमारी बच्चे में विकसित हो सकती है। लड़कियों में दो X क्रोमोसोम होते हैं, इस कारण से उनमें हेमोफिलिया होने की संभावना कम होती है। अगर एक X क्रोमोसोम में म्यूटेशन है, तो दूसरा X क्रोमोसोम इसे सुधारने का काम करता है, जिससे लड़कियों में यह बीमारी बहुत कम होती है।
हेमोफिलिया के लक्षण
हेमोफिलिया के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- रक्तस्राव का रुकना: चोट लगने के बाद रक्तस्राव का लंबे समय तक ना रुकना।
- आंतरिक रक्तस्राव: गहरे खून बहने वाले घाव या सूजन।
- जोड़ों में दर्द और सूजन: बार-बार रक्तस्राव के कारण जोड़ों में सूजन और दर्द।
- ब्लैक एंड ब्लू मार्क्स (Bruises): बिना किसी कारण के शरीर में नीले निशान बनना।
- स्वभाव में बदलाव: गंभीर रक्तस्राव के कारण कमजोरी और थकावट महसूस होना।
हेमोफिलिया के कारण
हेमोफिलिया मुख्यतः आनुवंशिक (genetic) कारणों से होता है। यह X क्रोमोसोम पर स्थित एक दोषपूर्ण जीन के कारण होता है। जब यह जीन ठीक से काम नहीं करता है, तो रक्त में क्लॉटिंग फैक्टर की कमी हो जाती है, जिससे रक्तस्राव रुकने में समस्या आती है। इस प्रकार, यह रोग परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी भी जा सकता है।
हेमोफिलिया का उपचार
हेमोफिलिया का मुख्य उपचार फैक्टर IX का इंजेक्शन है, जो रक्त में क्लॉटिंग फैक्टर को सुधारता है। इसके अलावा, जीन थेरेपी एक नई और प्रभावी उपचार विधि हो सकती है, जो रोगियों को जीवनभर के लिए फैक्टर IX की आवश्यकता को खत्म कर सकती है। हालांकि, जीन थेरेपी का उपचार अभी प्रारंभिक चरण में है और इसकी लंबी अवधि के प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है।
हेमोफिलिया एक गंभीर और जीवनभर रहने वाली बीमारी है, लेकिन अब जीन थेरेपी जैसी नई तकनीकों से इसके इलाज की संभावना को बढ़ाया जा रहा है। भविष्य में जीन थेरेपी हेमोफिलिया के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिससे मरीजों को जीवनभर की महंगी और कष्टकारी उपचार प्रक्रिया से मुक्ति मिल सकती है।