Manish Tiwari के 14 सवालों में से 11 पर केंद्र सरकार ने दिया ‘नहीं’ का जवाब!
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लोकसभा सांसद Manish Tiwari लगातार चंडीगढ़ के निवासियों से जुड़े लंबित मुद्दों को लोकसभा में उठा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद हुए दो सत्रों में उन्होंने 14 मुद्दों पर सवाल पूछे, लेकिन केंद्र सरकार ने 11 सवालों के जवाब में कहा कि इन पर कोई योजना नहीं है।
कचरा पहाड़ और रेलवे स्टेशन अपग्रेडेशन पर मिला समय-सीमा का जवाब
केंद्र सरकार ने केवल डंपिंग ग्राउंड के कचरा पहाड़ और रेलवे स्टेशन अपग्रेडेशन के लिए काम की समय-सीमा दी है। वहीं, पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनावों पर भी अस्पष्ट जवाब दिया गया। इससे चंडीगढ़ के निवासियों को निराशा हाथ लगी है, जो वर्षों से इन समस्याओं के समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
10 लाख निवासियों पर असर डालते हैं ये मुद्दे
चंडीगढ़ के निवासियों को इन लंबित मुद्दों का समाधान पिछले 20 वर्षों से चाहिए। ये मुद्दे 10 लाख लोगों को प्रभावित करते हैं, जिनमें हाउसिंग बोर्ड के 62 हजार मकानों में रहने वाले लोग, व्यापारी, उद्योगपति और गांव के निवासी शामिल हैं।
हर चुनाव में वादे, लेकिन समाधान नहीं
हर चुनाव से पहले राजनीतिक दल इन मुद्दों को हल करने का वादा करते हैं। प्रशासन के अधिकारियों ने मेट्रो परियोजना जैसे मुद्दों पर कई बैठकें कीं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई योजना नहीं होने की बात कही।
बीजेपी के दावे और हकीकत
सांसद ने सवाल पूछकर यह भी उजागर करने की कोशिश की है कि पिछले 10 वर्षों में बीजेपी नेताओं ने इन मुद्दों को हल करने के लिए कई दावे किए, लेकिन ज़मीन पर हकीकत कुछ और है।
पहली बार इतने मुद्दे उठाए गए
यह पहली बार है कि चंडीगढ़ के इतने मुद्दे इतने कम समय में लोकसभा में उठाए गए हैं। जब सवालों के जवाब आए, तो निवासियों को भी हैरानी हुई कि उनके मुद्दों पर किए गए दावे कहीं नजर नहीं आते।
बीजेपी का कहना: सवाल उठाने का कोई लाभ नहीं
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछले छह महीनों में जितने सवाल उठाए गए हैं, उतने 1999 के बाद से संसद में नहीं उठाए गए। वहीं, बीजेपी नेताओं का कहना है कि इन सवालों का कोई लाभ नहीं है। शहर के लोगों को राहत नहीं मिली, बल्कि समस्याएं बढ़ी हैं।
सांसद ने इन मुद्दों पर पूछे सवाल
केंद्र सरकार के जवाब के बाद प्रशासन के अधिकारी इन मुद्दों को हल करने का साहस नहीं कर रहे हैं। सांसद ने निम्नलिखित मुद्दों पर सवाल पूछे:
- लाल डोरा का विस्तार
- हाउसिंग बोर्ड के मकानों में बदलावों की नियमितता
- पुनर्वास योजना के तहत मिले मकानों के मालिकाना हक
- निजी सोसाइटियों के फ्लैट्स में किए गए बदलावों की नियमितता
- शेयर-वाइज प्रॉपर्टी के पंजीकरण पर प्रतिबंध
- डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड से छुटकारा
- पुराने हवाई अड्डे को शुरू करना
सत्रों की समय-सारिणी
सत्र का नाम | तारीख | अवधि (दिन) |
---|---|---|
पहला सत्र | 24 जून से 2 जुलाई | 7 दिन |
दूसरा सत्र | 22 जुलाई से 9 अगस्त | 15 दिन |
तीसरा सत्र | 25 नवंबर से 20 दिसंबर | 19 दिन |
इन सवालों के जवाब मिले
- लाल डोरा: 6 अगस्त को लाल डोरा का विस्तार और यहां के निवासियों को दी जाने वाली सुविधाओं पर सवाल पूछे गए।
- मेट्रो प्रोजेक्ट: 8 अगस्त को मेट्रो परियोजना की भविष्य की योजना पर सवाल पूछे गए।
- सौर ऊर्जा संयंत्र: 31 जुलाई को शहर की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना पर सवाल पूछे गए।
- हाउसिंग बोर्ड के मकान: 30 जुलाई को हाउसिंग बोर्ड के मकानों में बदलावों की नियमितता पर सवाल पूछा गया।
- डंपिंग ग्राउंड: 16 दिसंबर को डंपिंग ग्राउंड के कचरा पहाड़ से छुटकारा पाने की योजना पर सवाल पूछा गया।
- पुराना हवाई अड्डा: 19 दिसंबर को पुराने हवाई अड्डे को चालू करने की योजना पर सवाल किया गया।
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: 12 दिसंबर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 24 घंटे पानी की आपूर्ति शुरू करने की योजना पर सवाल पूछा गया।
- पंजाब नई राजधानी (परिधि) अधिनियम, 1952: 10 दिसंबर को इस अधिनियम के तहत निवासियों को राहत देने पर सवाल पूछा गया।
- शेयर-वाइज प्रॉपर्टी पंजीकरण: 17 दिसंबर को शेयर-वाइज प्रॉपर्टी पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए सवाल पूछे गए।
- सीनेट चुनाव: 9 दिसंबर को पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनावों में देरी पर सवाल पूछा गया।
- चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन: 4 दिसंबर को रेलवे स्टेशन के उन्नयन पर सवाल पूछा गया।
पुराने हवाई अड्डे पर विवाद
सांसद ने पुराने हवाई अड्डे पर खर्च हुए 43.86 करोड़ रुपये के बावजूद उसे चालू न करने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद इसे चालू करना आवश्यक था, ताकि चंडीगढ़ और पंचकूला के लोग आसानी से हवाई अड्डे तक पहुंच सकें।
सांसद मनीष तिवारी के प्रयासों के बावजूद, केंद्र सरकार ने अधिकांश मुद्दों पर कोई योजना न होने की बात कहकर चंडीगढ़ के निवासियों को निराश किया है। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर कब इन लंबित समस्याओं का समाधान होगा?