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CJI Chandrachud का सुझाव, वकील जूनियर्स को उचित वेतन दें

CJI Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने वकीलों से अपील की कि वे अपने जूनियर्स को उचित वेतन और पारिश्रमिक देने का महत्व समझें। उन्होंने कहा कि कानून का पेशा एक कठिन पेशा है और प्रारंभिक वर्षों में सही तरीके से तैयार की गई नींव युवा वकीलों को उनके पूरे करियर में लाभान्वित करती है।

जूनियर्स का महत्व

सीजेआई चंद्रचूड ने एक साक्षात्कार में कहा, “किसी भी पेशे में उतार-चढ़ाव होते हैं। कानून के पेशे में पहले महीने में मिलने वाली राशि शायद अधिक नहीं होती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि पहले-पहल काम करने वालों को मेहनत करने, ईमानदारी से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वकीलों को अपने जूनियर्स के लिए उचित वेतन, पारिश्रमिक और भत्ते देने के तरीकों में बदलाव लाना चाहिए।

CJI Chandrachud का सुझाव, वकील जूनियर्स को उचित वेतन दें

दोतरफा प्रक्रिया

सीजेआई ने कहा, “युवाओं के लिए सीखने का यह एक द्विदिशीय प्रक्रिया है। जूनियर्स केवल सीखने के लिए नहीं आते हैं, वे अपने अनुभवों और क्षमताओं के साथ भी आते हैं। इसलिए वकीलों को जूनियर्स को उचित वेतन देने का महत्व समझना चाहिए, ताकि वे अच्छे से सीख सकें और अपने करियर में सफलता प्राप्त कर सकें।”

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व्यक्तिगत अनुभव साझा करना

मुख्य न्यायाधीश ने अपने कॉलेज के दिनों में एक प्रजेंटर के रूप में काम करने की कहानी भी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी मां, जो एक शास्त्रीय संगीतकार थीं, उन्हें बचपन में अखिल भारतीय रेडियो (आकाशवाणी) के स्टूडियो ले जाती थीं। उन्होंने कहा, “जब मैं दिल्ली में आया, मैंने आकाशवाणी के लिए ऑडिशन दिया और हिंदी और अंग्रेजी में कार्यक्रम प्रस्तुत करना शुरू किया।”

सहयोगात्मक संघीयता का उदाहरण

एक कार्यक्रम के दौरान, सीजेआई चंद्रचूड ने कहा कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का कार्यान्वयन सहयोगात्मक संघीयता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा, “इसके लिए संविधान में संशोधन किया गया था। पिछले कुछ दशकों में, न्यायालयों ने संघीयता पर एक मजबूत ढांचा विकसित किया है ताकि राज्यों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।”

सहयोगात्मक संघीयता की आवश्यकता

सीजेआई ने कहा कि सहयोगात्मक संघीयता एक शासन प्रणाली है जिसमें केंद्र और राज्य एक साथ मिलकर विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने मतभेदों को सुलझाते हैं। उन्होंने कहा, “जब सभी स्तरों पर समन्वय होगा, तब ही हम अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।”

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड के ये विचार न केवल कानून के पेशे में बल्कि सभी क्षेत्रों में सहयोग और पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि युवा वकीलों को सही मार्गदर्शन और समर्थन मिलना चाहिए ताकि वे अपने करियर में सफल हो सकें। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि संस्थानों और पेशेवरों को अपने अनुभवों को साझा करने और नये लोगों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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सीजेआई चंद्रचूड की बातें उन सभी के लिए प्रेरणादायक हैं, जो पेशेवर जीवन में अपने योगदान को गंभीरता से लेते हैं। उनका संदेश स्पष्ट है: “जुनियर्स का सम्मान करें, उन्हें उचित वेतन दें, और उन्हें उनके प्रयासों के लिए प्रोत्साहित करें। यही भविष्य की सफलता की कुंजी है।”

इस प्रकार, कानून के पेशे में काम कर रहे वकीलों के लिए यह समय है कि वे अपने काम के प्रति और अपने जूनियर्स के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उन्हें अपनाएं।

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