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देवरिया पर 35 साल से नहीं जीती कांग्रेस, दो नेताओं में होड़

सत्य खबर/नई दिल्ली:

आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए कई चुनौतियां हैं. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है. इंडिया अलायंस के तहत देवरिया लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में गई है. इस सीट से मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी के दो बड़े नेता टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं. इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के रमापति राम त्रिपाठी सांसद हैं.

टिकट के दो बड़े दावेदार

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कांग्रेस की ओर से पार्टी के दो बड़े नेता देवरिया लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, देवरिया की रुद्रपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे अखिलेश प्रताप सिंह देवरिया लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की. वह कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. इसके साथ ही कुशीनगर के तमकुही राज विधानसभा से पूर्व विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी इस सीट के टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

देवरिया लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा मानी जाती है. जानकारी के मुताबिक इस इलाके में करीब 27 फीसदी ब्राह्मण वोटर हैं. जिनके वोट चुनाव में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. यहां 14 फीसदी अनुसूचित जाति और 12 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं. इसके साथ ही देवरिया लोकसभा सीट पर आठ फीसदी यादव और सैंथवार मतदाता हैं. पांच फीसदी क्षत्रिय और कुर्मी जाति के लोग हैं. इस क्षेत्र में अन्य जातियों के 15 प्रतिशत मतदाता हैं.

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1984 के बाद से कांग्रेस नहीं जीती है

संत देवराहा बाबा की धरती से जीत दर्ज करना कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है. बड़ी वजह ये है कि 1984 के बाद से इस सीट से कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार नहीं जीत सका है. आखिरी बार कांग्रेस उम्मीदवार राजमंगल पांडे ने 1984 में आम चुनाव जीता था। तब से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी को इस सीट से निराशा का सामना करना पड़ा है। 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें 6 बार कांग्रेस और 4 बार बीजेपी उम्मीदवारों ने परचम लहराया है। समाजवादी पार्टी भी दो बार और बसपा एक बार चुनाव जीत चुकी है. इस सीट पर चार बार अन्य पार्टियों का कब्जा रहा है.

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