Haryana
किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति किया जागरूक
सत्यखबर, निसिंग (सोहन पोरिया) – कृषि विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता शिविर के तहत खंड के गांव बरास, गुल्लरपुर व बुड्डनपुर मे शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से पहुंचे नोडल अधिकारी शशीपाल शर्मा ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के फायदे बताए। उन्होंने कहा […]
सत्यखबर, निसिंग (सोहन पोरिया) – कृषि विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता शिविर के तहत खंड के गांव बरास, गुल्लरपुर व बुड्डनपुर मे शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से पहुंचे नोडल अधिकारी शशीपाल शर्मा ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के फायदे बताए। उन्होंने कहा कि अवशेषों जलाने से उठने वाला धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करता है। जिससे आसपास के लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। खासकर सांस के रोगियों को अधिक दिक्कत होती है। वहीं धुएं में कुछ दिखाई नही देने से सडक़ से गुजर रहे लोगों में निरंतर हादसो होने का अंदेशा बना रहता है। बीते दिनों सडक़ पर कई बड़े हादसे भी घटित हो चुके है।
हांलाकि अवशेष जलाने पर प्रशासन की ओर से दंड व सजा का प्रावधान रखा गया है। जिसके तहत किसानों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए थे। इतना ही नही अवशेषों के साथ खेत में मौजूद केंचुए सहित अन्य किसान मित्र कीट भी जल जाते है। वहीं पेड़ पौधों जलने से किसानों के मित्र पक्षियों के रैन बसेरे खत्म हो जाते है। भूमि की ऊपरी सतह जलकर सख्त हो जाने से भूमि की उर्वरा शक्ति घट जाती है। इसके साथ ही भूमि की पानी पीने की क्षमता भी कम हो जाती है। डा. राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि अवशेषों को खेतों में ही नष्ट करने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। जिससे उर्वरकों के कम खर्च से फसल की बेहतर पैदावार ली जा सकती है। खेतों में अवशेष खाद का काम करते है।
मित्र कीट व पेड़ पौधे सुरक्षित रहने से फसल में कीटक बीमारी के प्रभाव से नुकसान की संभावना कम हो जाती है। शिविर में डा. दर्शन सिंह ने किसानों को मिट्टी की जांच के बाद ही फसलों में जरूरत के अनुसार उर्वरक डालने की सलाह दी। वहीं डा. विकास व शैलेंद्र ने किसानों को भूजल संरक्षण को लेकर प्रेरित किया।