Delhi Cylinder Blast: दिल्ली के नरेला में सिलेंडर ब्लास्ट से घर की छत गिरी, दो बच्चों समेत छह घायल
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Delhi Cylinder Blast: दिल्ली के नरेला इलाके के भोरगढ़ में एक घर में गैस सिलेंडर में धमाका होने से छह लोग घायल हो गए, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। धमाका इतना जोरदार था कि घर की छत गिर गई, जिससे परिवार के लोग बुरी तरह से घायल हो गए। घायल व्यक्तियों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
पुलिस के अनुसार, सिलेंडर ब्लास्ट की सूचना शनि बाजार इलाके से प्राप्त हुई थी। जब पुलिस की पीसीआर टीम मौके पर पहुंची, तो पाया कि एक दो मंजिला घर की छत पूरी तरह से गिर गई थी और घर में छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे के बाद से घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और अब तक यह जानकारी सामने नहीं आई है कि धमाका सिलेंडर के कारण हुआ था या कुछ और कारण था।
घायलों की सूची
घायलों में से कुछ की पहचान इस प्रकार हुई:
- राजू (40 वर्ष), छोटे लाल का बेटा
- राजेश्वरी (35 वर्ष), राजू की पत्नी
- राहुल (18 वर्ष)
- लड़की (12 वर्ष)
- लड़की (5 वर्ष)
- लड़की (3 वर्ष)
इस हादसे के समय परिवार के लोग खाना बना रहे थे, और धमाके के साथ ही घर की छत गिरने से उन्हें जलने और घायल होने की स्थिति का सामना करना पड़ा। यह घटना न केवल घर के सदस्यों के लिए बल्कि आस-पास के लोगों के लिए भी एक बड़ा झटका थी।
पड़ोसियों से मिली जानकारी
पड़ोसियों से बात करने पर यह पता चला कि घटना के समय परिवार के लोग रसोई में थे और खाना बना रहे थे। अचानक सिलेंडर धमाका हुआ और इसके बाद घर की छत गिर गई। इस दौरान परिवार के सदस्य घायल हो गए और कुछ को जलने के कारण भी चोटें आईं। इस घटना से संबंधित अभी तक सिलेंडर के ब्लास्ट की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि सिलेंडर का धमाका खुद से हुआ था या कोई अन्य कारण था।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी से हुई एक और दर्दनाक घटना
दिल्ली के फतेहपुर बेरी इलाके में एक और दर्दनाक हादसा हुआ, जहां एक बिहार के मजदूर की मौत हो गई। मजदूर मो. सफीकुल, जो बिहार के कटिहार जिले का निवासी था, निर्माण कार्य के दौरान सीमेंट के बोरों के नीचे दबकर मर गया। घटना 28 नवंबर 2024 को हुई थी, जब सफीकुल और उसके साथी एक निजी स्कूल में प्लास्टर का काम कर रहे थे। यह हादसा निर्माण कार्य के दौरान सीमेंट के बोरों को ले जाते समय हुआ।
घटना का विवरण
पुलिस के अनुसार, सफीकुल और उसके साथी स्कूल की पहली मंजिल पर प्लास्टर का काम कर रहे थे। सीमेंट के बोरों को नीचे रखा गया था। 28 नवंबर की शाम सफीकुल नीचे सीमेंट का एक बोरा लेने गया, लेकिन वह आधे घंटे तक वापस नहीं आया। सफीकुल के दोस्त जाकिर ने उसकी तलाश शुरू की, और आसपास के इलाकों तथा चाय की दुकानों पर उसे ढूंढा, लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दिया। इसके बाद जाकिर वापस स्कूल आ गया।
वह सीमेंट के बोरों के पास गया और देखा कि सफीकुल बोरों के नीचे दबा हुआ है। जाकिर ने सफीकुल के परिवार को सूचित किया, और उसे तुरंत एआईआईएमएस ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल से ही पुलिस को सूचित किया गया और मामले की जांच शुरू की गई।
पुलिस की कार्रवाई
फतेहपुर बेरी पुलिस स्टेशन में जाकिर के बयान पर 1 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और निर्माण कार्य में लापरवाही को लेकर मामले की गहराई से जांच की जा रही है। पुलिस ने इस हादसे में लापरवाही के कारणों की पहचान करने की कोशिश की है, जिससे इस तरह की घटनाओं से भविष्य में बचा जा सके।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी
यह घटना निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी का परिणाम है। निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए उचित सुरक्षा उपायों का होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाएं न हों। इस तरह के हादसे यह बताने के लिए काफी हैं कि निर्माण कार्य में लापरवाही से न केवल श्रमिकों की जान को खतरा हो सकता है, बल्कि उनके परिवारों को भी गहरे शोक का सामना करना पड़ता है।
दिल्ली में इन दोनों घटनाओं ने यह साबित किया है कि सुरक्षा के बिना कोई भी कार्य बेहद खतरनाक हो सकता है। घर में गैस सिलेंडर के धमाके से लेकर निर्माण स्थल पर मजदूर की मौत तक, दोनों ही घटनाएं सुरक्षा नियमों की अवहेलना का परिणाम हैं। यह घटना समाज को यह याद दिलाती है कि सुरक्षा के उपायों को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सरकार को सुरक्षा मानकों के पालन में सख्त उपाय करने की आवश्यकता है।