Delhi Yamuna Water Pollution: ‘अगर सरकार ने काम किया होता…’ दिल्ली के मछुआरों ने बताई यमुना की हकीकत
Delhi Yamuna Water Pollution: दिल्ली की यमुना नदी का प्रदूषण और उसमें तैरते सफेद ज़हरीले झाग की सच्चाई को यहां के मछुआरे बखूबी जानते हैं। वर्षों से यमुना के किनारे रहने वाले ये मछुआरे इस प्रदूषण और इसके संभावित खतरों को करीब से महसूस करते आए हैं। यमुना के किनारे बसे ये मछुआरे इस बात के साक्षी हैं कि कैसे पिछले 12-15 सालों में यमुना का पानी तेजी से गंदा होता गया है।
शिवकुमार, जो पिछले 30 साल से यमुना के किनारे रहते आ रहे हैं, पेशे से मछुआरे हैं। उन्होंने बताया कि यमुना का पानी पहले इतना प्रदूषित नहीं था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें ज़बरदस्त गिरावट आई है। इसका सबसे बुरा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो यमुना के किनारे रहते हैं और अपनी आजीविका के लिए इस पानी पर निर्भर हैं। कालिंदी कुंज के पास बसे कई मछुआरे वर्षों से इस पानी में मछलियाँ पकड़ते आ रहे हैं, परंतु अब उन्हें पानी में बढ़ती गंदगी और जहरीले झाग का सामना करना पड़ता है।
मछुआरों की त्वचा पर पड़ रहा है बुरा असर
शिव और पवन, दोनों ही मछुआरे, वर्षों से यमुना के इस प्रदूषित पानी में मछलियाँ पकड़ते आ रहे हैं। पवन ने अपने हाथ दिखाते हुए बताया कि गंदे पानी की वजह से उनकी त्वचा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि पानी के कारण उनके हाथों पर घाव और फुंसियाँ बनने लगी हैं। इसी तरह शिव ने भी बताया कि गंदे पानी के कारण त्वचा पर उभरने वाले ये घाव लंबे समय तक ठीक नहीं होते। पानी में मौजूद हानिकारक रसायनों के कारण इन मछुआरों की स्वास्थ्य स्थिति भी कमजोर हो रही है।
यमुना में मछलियों की संख्या हुई कम
मछुआरों के अनुसार, यमुना में मछलियों की संख्या पहले की तुलना में बहुत कम हो गई है और अब तो यह लगभग समाप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है। एक समय था जब यमुना की मछलियाँ इन मछुआरों की आजीविका का मुख्य स्रोत थीं। मछलियाँ पकड़कर इनका परिवार चलता था, लेकिन अब मछलियों के न होने से उनकी आजीविका प्रभावित हो गई है। अब मजबूरी में मछुआरों को कहीं और मजदूरी करनी पड़ती है ताकि अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।
‘सरकार ने नहीं किया कोई काम’
शिव और पवन, जो कई वर्षों से यमुना के किनारे कालिंदी कुंज में रहते आ रहे हैं, उनका कहना है कि उन्होंने कभी किसी सरकारी एजेंसी या सफाई कर्मचारी को यहां यमुना की सफाई करते हुए नहीं देखा। शिव कहते हैं कि अगर सरकार ने यमुना की सफाई पर काम किया होता, तो आज यमुना इतनी गंदी और प्रदूषित नहीं होती। उनकी शिकायत है कि यमुना को साफ करने के बड़े-बड़े वादे तो होते हैं, लेकिन धरातल पर कोई खास कदम नहीं उठाए जाते।
प्रदूषित यमुना का असर
यमुना का गंदा और प्रदूषित पानी न केवल मछुआरों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ दे रहा है, बल्कि आसपास के निवासियों और स्थानीय पर्यावरण पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। यमुना में फैला हुआ सफेद झाग इस बात का सबूत है कि इसमें हानिकारक केमिकल्स और रसायन लगातार मिल रहे हैं। यह झाग अमोनिया और फॉस्फेट जैसे रसायनों के कारण बनता है, जो कि औद्योगिक कचरे और गंदे नालों के माध्यम से नदी में मिलते हैं।
प्रदूषित पानी के कारण न सिर्फ मछलियाँ मर रही हैं, बल्कि यह जल स्रोत भी धीरे-धीरे जीवन के लिए अनुपयुक्त बनता जा रहा है। इसका खतरनाक असर दिल्ली के पर्यावरण और जैव विविधता पर भी पड़ा है। इसके बावजूद भी इस दिशा में सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
यमुना प्रदूषण के पीछे कारण
यमुना के प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण तो यही है कि दिल्ली और आसपास के औद्योगिक क्षेत्र अपना कचरा बिना शोधन के यमुना में छोड़ देते हैं। इसके अलावा शहर के गंदे नाले और सीवेज सिस्टम का दूषित पानी भी सीधे यमुना में बहा दिया जाता है। यह पानी विभिन्न हानिकारक केमिकल्स, बैक्टीरिया और विषैले तत्वों से भरा होता है, जो न केवल पानी को प्रदूषित करता है, बल्कि इसमें जलीय जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है।
सरकार की योजनाएं और हकीकत
हालांकि सरकार ने यमुना की सफाई के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जैसे कि ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट के अंतर्गत यमुना को भी साफ करने का वादा किया गया था, लेकिन मछुआरों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन योजनाओं का प्रभाव ज़मीन पर नजर नहीं आता। मछुआरों का मानना है कि जब तक प्रशासन और सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएंगे, तब तक यमुना की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि नदी में बहने वाले औद्योगिक कचरे को रोकने के लिए सख्त कानूनों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही दिल्ली के सीवेज सिस्टम को दुरुस्त करना होगा ताकि गंदा पानी सीधे यमुना में न जाए। अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यमुना के प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ता जाएगा।
यमुना का प्रदूषित पानी न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि इस पर निर्भर रहने वाले लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। मछुआरों का कहना है कि अगर सरकार समय पर इस दिशा में कदम उठाती तो आज यमुना की ये हालत न होती। अब समय आ गया है कि प्रशासन, सरकार और आम लोग मिलकर यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ यमुना मिल सके।