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Dr. Manmohan Singh: सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के निधन के बाद उनकी सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की कई कहानियां सामने आ रही हैं। शांत स्वभाव और कम बोलने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में देश के आम आदमी की भलाई को हमेशा प्राथमिकता दी। उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है, और लोग उनकी विनम्रता और सेवा-भावना को याद कर रहे हैं।

मनमोहन सिंह और उनकी मारुति 800 की कहानी

डॉ. मनमोहन सिंह की ईमानदारी और सादगी का एक उदाहरण भारतीय जनता पार्टी के नेता असीम अरुण ने साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक कहानी साझा की, जो इस बात को साबित करती है कि डॉ. मनमोहन सिंह अपनी जड़ों से कितने जुड़े हुए थे।

BMW नहीं, मारुति 800 को दी थी प्राथमिकता

असीम अरुण, जो 2004 से तीन वर्षों तक डॉ. मनमोहन सिंह के सुरक्षा गार्ड थे, ने लिखा,
“मैं उनके सुरक्षा दस्ते (SPG) का हिस्सा था और मुझे उनके करीब रहकर काम करने का मौका मिला। प्रधानमंत्री के पास अपनी एक मात्र कार थी – मारुति 800। प्रधानमंत्री निवास में चमचमाती काली BMW के पीछे यह कार खड़ी रहती थी। डॉ. साहब हमेशा कहते, ‘असीम, मुझे इस कार में सफर करना पसंद नहीं, मेरी कार तो मारुति है।'”

जब भी उनका काफिला मारुति 800 के पास से गुजरता, वह उसे गौर से देखते और ऐसा लगता जैसे वह यह दोहराते हों कि वह एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति हैं और आम आदमी की चिंता करना उनका कर्तव्य है।

उनकी सादगी का प्रभाव

यह कहानी डॉ. मनमोहन सिंह के सादगीपूर्ण व्यक्तित्व और उनकी ईमानदारी को उजागर करती है। उन्होंने हमेशा अपने काम और व्यवहार से यह दिखाया कि सत्ता में रहते हुए भी एक नेता को जमीन से जुड़े रहना चाहिए। यह सादगी उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है और उनके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण पहलू है।

92 वर्ष की आयु में निधन

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में नई दिल्ली स्थित एम्स में हुआ। उनके पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान, मोतीलाल नेहरू रोड पर रखा गया है, जहां लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है।

एक अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री बनने का सफर

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने एक अर्थशास्त्री के रूप में अपना करियर शुरू किया और देश को आर्थिक सुधारों की राह पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1991 में, जब भारत आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तो उन्होंने अपने दूरदर्शी निर्णयों से देश को आर्थिक संकट से उबारा।

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उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया। 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की। उनके नेतृत्व में देश ने आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी क्षेत्रों में विकास के कई आयाम छुए।

डॉ. मनमोहन सिंह की प्रमुख उपलब्धियाँ

  1. आर्थिक सुधार:
    1991 के आर्थिक सुधारों में उनकी भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां उन्हीं की देन हैं।
  2. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार:
    उनके कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई योजनाएं लागू की गईं, जिससे आम आदमी को लाभ हुआ।
  3. विदेश नीति:
    उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को मजबूत किया। अमेरिका के साथ परमाणु समझौता उनकी प्रमुख उपलब्धियों में से एक है।

सादगी और कर्तव्यनिष्ठा का संगम

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन यह संदेश देता है कि सादगी और कर्तव्यनिष्ठा से बड़ा कोई गुण नहीं है। उनका शांत और संतुलित स्वभाव, उनकी विद्वता और उनकी सोच ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक महानायक बना दिया। उन्होंने सत्ता में रहते हुए भी अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा देशहित को प्राथमिकता दी।

अंतिम विदाई

डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके निधन से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने अपने कार्यों और विचारों से देश की दिशा और दशा को बदलने का प्रयास किया।

डॉ. मनमोहन सिंह की जीवन कहानी और उनके द्वारा साझा की गई सादगी के उदाहरण हमें सिखाते हैं कि एक नेता को जनता से जुड़े रहना कितना महत्वपूर्ण है। उनके विचार और कार्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। उनके योगदान को देशवासी सदैव याद रखेंगे। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल है।

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