ED action: पूर्व मंत्री अशु के करीबी सहयोगी राजदीप सिंह नागरा की 22.78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क
ED action: पंजाब में 2000 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जालंधर टीम ने एक बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को, ईडी ने पूर्व मंत्री भारत भूषण अशु के करीबी सहयोगी राजदीप सिंह नागरा की 22.78 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति कुर्क की। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि ईडी घोटाले के मुख्य आरोपियों पर अपनी कार्रवाई को और तेज कर रही है।
संपत्ति की कुर्की
ईडी ने लुधियाना, मोहाली और खन्ना में राजदीप सिंह नागरा की एक घर, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और अन्य अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। अचल संपत्तियों में फिक्स्ड डिपॉजिट रसीदें (एफडीआर), सोने के आभूषण, बुलेन और बैंक खाता संपत्तियाँ शामिल हैं। कुल मिलाकर, इन संपत्तियों का मूल्य 22.78 करोड़ रुपये बताया जा रहा है, जो कि टेंडर घोटाले की राशि से अर्जित की गई थी। ईडी की टीम अब पूर्व मंत्री भारत भूषण अशु और राजदीप सिंह नागरा के करीबी सहयोगियों तथा उन ठेकेदारों की कुंडलियों की जांच कर रही है, जिनके माध्यम से टेंडर घोटाले का धन काला से सफेद में बदला गया था।
गिरफ्तारी और पूर्व में की गई कार्रवाई
ज्ञात हो कि राजदीप सिंह नागरा को 5 सितंबर को लुधियाना से ईडी की टीम द्वारा गिरफ्तार किया गया था। रिमांड के दौरान, टीम को यह जानकारी मिली कि राजदीप सिंह नागरा ने घोटाले की धनराशि से संपत्तियाँ बनाई हैं। ईडी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि जब घोटाला हुआ, तब भारत भूषण शर्मा उर्फ अशु पंजाब सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री थे।
ईडी ने अपनी जांच विभिन्न एफआईआर के आधार पर शुरू की, जो पंजाब की सतर्कता ब्यूरो द्वारा विभिन्न आईपीसी की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दर्ज की गई थीं। इस जांच में पता चला है कि तत्कालीन मंत्री भारत भूषण अशु ने टेंडर आवंटन में चुनिंदा ठेकेदारों को लाभ पहुँचाया और उन्हें अधिक लाभ का वादा किया। इसके कारण, राजदीप सिंह नागरा, राकेश कुमार सिंघला और पंजाब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के कुछ सरकारी अधिकारियों सहित अन्य व्यक्तियों के माध्यम से उनसे रिश्वतें ली गईं। रिश्वत की राशि को नकली संस्थाओं के नेटवर्क का उपयोग करके चल और अचल संपत्तियों की खरीद के लिए आगे बढ़ाया गया।
अशु की गिरफ्तारी
पूर्व मंत्री अशु को ईडी ने 1 अगस्त को गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं। इससे पहले, पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने अगस्त 2022 में अशु को गिरफ्तार किया था। वह मार्च 2023 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद 7 से 8 महीने बाद रिहा हुए थे। इसी बीच, ईडी ने एक मामला दर्ज किया और अपनी जांच शुरू की। अगस्त 2023 में, ईडी ने अशु और उनके करीबी सहयोगी के घर पर छापा मारा और 8.6 करोड़ रुपये की नकदी, आभूषण और अन्य मूल्यवान सामान बरामद किए।
घोटाले की गहराई
टेंडर घोटाले का मामला पंजाब में भ्रष्टाचार के एक बड़े पैमाने का प्रतीक है। इसमें कई बड़े राजनेताओं और अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है, जो सरकार की छवि को धूमिल कर रही है। ईडी की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ ऐसे भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कितनी गंभीर हैं और वे इसे खत्म करने के लिए कितनी तत्पर हैं।
भविष्य के कदम
ईडी की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि एजेंसी न केवल घोटाले के आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि यह संदेश भी देना चाहती है कि भविष्य में किसी भी प्रकार की भ्रष्ट गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे न केवल राजनीतिक अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह अन्य अधिकारियों के लिए भी एक उदाहरण बनता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएँ।
स्थानीय राजनीति पर प्रभाव
इस मामले के सामने आने के बाद, पंजाब की राजनीतिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। विरोधी पार्टियों ने इसे कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह और भ्रष्टाचार का एक उदाहरण बताया है। इससे कांग्रेस पार्टी की प्रतिष्ठा को भी खतरा हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब आगामी चुनाव नजदीक हैं।
नागरिकों की अपेक्षाएँ
सामान्य नागरिकों की अपेक्षाएँ हैं कि सरकार इस प्रकार के घोटालों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी। उन्हें यह भी उम्मीद है कि जो भी अधिकारी या नेता इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इससे लोगों का विश्वास प्रशासन पर बना रहेगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सकारात्मक वातावरण बनेगा।