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Punjab में किसानों का हंगामा, जलती पराली पर सरकार के खिलाफ चक्का जाम

Punjab के किसानों का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। किसानों ने जलती पराली के खिलाफ सरकार के कदमों और धान की खरीद में देरी को लेकर गुस्से में आकर कई जिलों में सड़कों को बाधित करने का निर्णय लिया है। इस दौरान, किसानों ने कहा है कि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे सड़क पर मजबूरन धरना देंगे।

किसानों की मांगें और उनके कदम

किसानों का कहना है कि उनकी मुख्य मांगों में समय पर धान की खरीद शामिल है। शनिवार को, उन्होंने जालंधर, संगरूर, बठिंडा, मोगा, बटाला, और गुरदासपुर जिलों में सड़कें रोकने की योजना बनाई है। पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति (PKMSC) के जिला अध्यक्ष अरणजीत सिंह ने कहा कि वे किसानों के मुद्दों को लेकर फगवाड़ा में एकत्र होंगे।

सिंह ने स्पष्ट किया कि, “हम नहीं चाहते कि आम जनता को किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े। लेकिन यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है, तो हमें मजबूरन सड़कें बंद करनी पड़ेंगी।”

Punjab में किसानों का हंगामा, जलती पराली पर सरकार के खिलाफ चक्का जाम

किसानों का आक्रोश

प्रदर्शन में भाग ले रहे किसानों ने यह भी कहा कि सरकार का फोकस केवल पराली जलाने पर है, जबकि वे प्रदूषण के अन्य स्रोतों को नजरअंदाज कर रहे हैं। एक वरिष्ठ किसान नेता ने कहा, “कारखानों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण का कहीं उल्लेख नहीं होता है, लेकिन पराली जलाने के मुद्दे पर सभी लोग मुखर हो जाते हैं।”

किसानों का मानना है कि पराली जलाने से केवल 2 से 3 प्रतिशत प्रदूषण होता है। उन्होंने यह भी कहा कि, “पराली जलाना सिर्फ एक बहाना है किसानों को बदनाम करने के लिए, जो पूरी तरह से अन्याय है।”

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सड़कों पर भारी भीड़

इसी बीच, जालंधर के किसानों ने अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर सुबह-सुबह हाईवे को अवरुद्ध कर दिया। फगवाड़ा की ओर मार्च करते हुए किसानों ने अपनी आवाज उठाई। PKMSC के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि प्रदर्शन आज दोपहर 1 बजे चार स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे।

पंधेर ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार पिछले दो वर्षों से गोदामों में रखे चावल के भंडार के बारे में पारदर्शिता नहीं रख रही है।

पंजाब की राजनीति पर असर

इस आंदोलन का प्रभाव पंजाब की राजनीतिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। किसानों की इस नाराजगी से स्पष्ट होता है कि वे सरकार के खिलाफ एकजुट हैं और उनकी आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता।

अरणजीत सिंह ने यह भी कहा कि, “पंजाब और केंद्रीय सरकार दोनों को इस मुद्दे को समय पर सुलझाना चाहिए ताकि लोगों को सड़क जाम की वजह से किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।”

आंदोलन का उद्देश्य

किसानों का यह आंदोलन केवल पराली जलाने के खिलाफ नहीं, बल्कि उनके समग्र हक और अधिकारों के लिए भी है। वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार हैं। उनकी शिकायतें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि सरकारी नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा सके।

इस प्रकार, पंजाब के किसानों का यह आंदोलन केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह कृषि नीति और पर्यावरणीय समस्याओं के बीच संतुलन बनाने का भी प्रयास है। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या यह प्रदर्शन लंबे समय तक जारी रहेगा।

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किसानों के इस आंदोलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब बात उनकी जिंदगी और रोजी-रोटी की होती है, तो वे एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने में पीछे नहीं रहते। अब सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह किसानों की मांगों पर ध्यान दे, ताकि भविष्य में इस तरह के आंदोलन की आवश्यकता न पड़े।

किसानों का यह कहना कि “सरकार हमें नष्ट करना चाहती है” इस बात की ओर इशारा करता है कि उन्हें अपनी सुरक्षा और अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखना होगा। अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी तेज हो सकता है।

किसानों की आवाज को सुनना और उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है। उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले का समाधान होगा ताकि किसान अपनी मेहनत से पैदा किए गए अनाज का सही मूल्य प्राप्त कर सकें और उनका जीवन बेहतर हो सके।

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