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French Carrier Strike Group भारत पहुंचा, दोनों नौसेनाओं की ताकत समुद्र में देखने को मिलेगी

फ्रांस का न्यूक्लियर पावर से संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर एफएनएस चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में French Carrier Strike Group भारत के दौरे पर है। यह दौरा 9 जनवरी 2025 तक जारी रहेगा। इस दौरान गोवा और कोच्चि के बंदरगाहों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं के बीच आपसी तालमेल को बढ़ाना, आपसी समझ को मजबूत करना और सहयोग को नए आयाम तक ले जाना है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा भी होगी।

गोवा में आयोजित गतिविधियां

फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, गोवा में भारतीय नौसेना के वेस्टर्न फ्लीट के साथ समुद्र में पासेज एक्सरसाइज (PASSEX) कर रहा है। इसके अलावा, बंदरगाह चरण में कई पेशेवर आदान-प्रदान, क्रॉस-डेक विज़िट्स, विषय विशेषज्ञ आदान-प्रदान (SMEE) और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन सभी गतिविधियों के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

इस दौरान फ्रांसीसी नौसैनिक स्ट्राइक ग्रुप के कमांडर रियर एडमिरल जैक्स मल्लार्ड, रियर एडमिरल ह्यूज लेन और फ्रांसीसी जहाजों के कमांडिंग ऑफिसर भारतीय नौसेना के गोवा नेवल एरिया के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग, रियर एडमिरल अजय डी थियोफिलस से मुलाकात करेंगे।

भारत-फ्रांस का समुद्री सहयोग

भारत और फ्रांस नियमित रूप से हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा में योगदान दे रहे हैं। 1998 से, भारत फ्रांस का सबसे प्रमुख रणनीतिक साझेदार रहा है। इस यात्रा के जरिए दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को और गहरा करने का प्रयास किया जा रहा है। यह साझेदारी हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है।

कोच्चि में कार्यक्रम की रूपरेखा

इस दौरान, फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के दो अन्य जहाज एफएस फोर्बिन और एफएस एलसास कोच्चि बंदरगाह पर पहुंचेंगे। यहां भी व्यवसायिक वार्ताएं, क्रॉस-डेक विज़िट्स और विषय विशेषज्ञ आदान-प्रदान (SMEE) आयोजित किए जाएंगे। फ्रांसीसी जहाजों के कमांडिंग ऑफिसर भारतीय नौसेना के साउदर्न नेवल कमांड के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।

यह दौरा भारत और फ्रांस के बीच समुद्री सहयोग को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है जो समुद्री क्षेत्र में रचनात्मक सहयोग और आपसी विकास को बढ़ावा देती है।

मॉडर्न हथियारों से लैस है चार्ल्स डी गॉल

फ्रांस का न्यूक्लियर पावर से संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर चार्ल्स डी गॉल अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित है। इस पर राफेल मरीन फाइटर एयरक्राफ्ट भी मौजूद हैं, जो इसे और भी घातक और प्रभावी बनाते हैं। फ्रांसीसी नौसेना भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

गोवा में नौसेना बैंड ने किया स्वागत

फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, जिसमें चार्ल्स डी गॉल और अन्य जहाज शामिल हैं, कल गोवा के मोरमुगाओ पोर्ट पर पहुंचा। यहां भारतीय नौसेना के बैंड ने इस ग्रुप का औपचारिक स्वागत किया। फ्रांस की यह यात्रा दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को एक नई दिशा देने के लिए अहम मानी जा रही है।

भारतीय नौसेना के लिए रणनीतिक महत्व

फ्रांस के साथ इस तरह का सहयोग भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल हिंद महासागर में भारत की स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में प्रस्तुत करता है। फ्रांस के साथ इस तरह की संयुक्त नौसैनिक अभ्यास से भारत को नई तकनीकों, रणनीतियों और उपकरणों को समझने और अपनाने का मौका मिलता है।

भारत-फ्रांस रक्षा साझेदारी का विस्तार

भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में गहरी साझेदारी है। दोनों देशों ने कई बार रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम किया है। राफेल लड़ाकू विमान और स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना जैसे प्रयास इस साझेदारी के प्रमुख उदाहरण हैं। फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की इस यात्रा के जरिए यह साझेदारी और भी गहरी होगी।

फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की भारत यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायक होगी। यह यात्रा दोनों नौसेनाओं की ताकत और क्षमता को प्रदर्शित करने का भी एक अवसर है। भारत और फ्रांस की यह साझेदारी आने वाले समय में समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगी।

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