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Gandhi Jayanti 2024: प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि, राजघाट पर किया नमन

Gandhi Jayanti 2024: 2 अक्टूबर 2024 को देश भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है। महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से ‘बापू’ कहा जाता है, ने सत्य, अहिंसा और समानता के सिद्धांतों के आधार पर देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रेरित किया। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की और राजघाट पर उनका नमन किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, “सभी देशवासियों की ओर से पूज्य बापू को उनकी जयंती पर नमन। सत्य, शांति और समानता पर आधारित उनका जीवन और आदर्श देशवासियों के लिए सदा प्रेरणा रहेंगे।”

Gandhi Jayanti 2024: प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि, राजघाट पर किया नमन

गांधी जयंती पर, भारतवासी न केवल बापू के आदर्शों को याद करते हैं बल्कि उनके द्वारा दिए गए मानवता, अहिंसा और भाईचारे के संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास भी करते हैं।

राजघाट पर सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन

महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर राजघाट पर सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन भी किया गया। इसमें केंद्रीय मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनकी जयंती न केवल भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाई जाती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।

महात्मा गांधी ने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया। उनका ‘अहिंसात्मक विरोध’ का पाठ आज भी दुनिया भर में आदर के साथ याद किया जाता है। उन्होंने दिखाया कि कैसे बिना हिंसा के, सत्य और दृढ़ निश्चय के साथ, बड़े से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। गांधी जी के इसी संदेश को याद करते हुए देश और दुनिया उनकी जयंती को सम्मानपूर्वक मनाते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री को भी दी श्रद्धांजलि

महात्मा गांधी के साथ ही आज भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर शास्त्री जी को नमन किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने शास्त्री जी को याद करते हुए कहा, “देश के पूर्व प्रधानमंत्री, जिन्होंने सैनिकों, किसानों और देश के आत्मसम्मान के लिए अपना जीवन समर्पित किया, उन लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।”

प्रधानमंत्री मोदी ने विजयघाट पर जाकर शास्त्री जी के समाधि स्थल पर भी श्रद्धांजलि दी। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे और उनकी सादगी और विनम्रता से लोग बेहद प्रभावित थे। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जिसने देश में आत्मनिर्भरता और देशप्रेम की भावना को और मजबूती प्रदान की।

गांधी जी के आदर्श और उनकी प्रासंगिकता

महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए बिताया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ और ‘असहयोग आंदोलन’ जैसे आंदोलन चलाकर ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी।

उनकी ‘दांडी यात्रा’ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पड़ाव थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। उनके अहिंसात्मक विरोध के सिद्धांत ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया, और इसी कारण से आज भी उन्हें विश्व भर में ‘महात्मा’ के रूप में जाना जाता है।

गांधी जी के आदर्श केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं थे। उन्होंने सामाजिक सुधारों की भी पुरजोर वकालत की। अस्पृश्यता, छुआछूत, और महिला अधिकारों के लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। उन्होंने यह साबित किया कि सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने के लिए हिंसा की जरूरत नहीं होती, बल्कि आत्मशक्ति, धैर्य और दृढ़ संकल्प ही पर्याप्त होते हैं।

आज भी, जब दुनिया हिंसा और विभाजन की ओर बढ़ रही है, गांधी जी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता पहले से भी अधिक बढ़ गई है। उनके विचार हमें यह सिखाते हैं कि संघर्ष और असहमति के बावजूद, सहिष्णुता और शांति से बड़े से बड़ा परिवर्तन संभव है।

लाल बहादुर शास्त्री: एक आदर्श नेता

लाल बहादुर शास्त्री का नेतृत्व भी उतना ही प्रेरणादायक था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया और देश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया। शास्त्री जी के नारे ‘जय जवान, जय किसान’ ने देश के किसानों और सैनिकों को नई ऊर्जा दी और उनके योगदान को राष्ट्रीय पहचान दिलाई।

शास्त्री जी ने देश के कृषि और रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके नेतृत्व में देश ने 1965 के भारत-पाक युद्ध का डटकर मुकाबला किया। उनकी सादगी, ईमानदारी और निष्ठा ने उन्हें जन-जन का प्रिय नेता बना दिया।

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