ताजा समाचार

Gosi and Mirzapur: जाति के जाल में फंसे NDA के कमांडर

Gosi and Mirzapur: लोकसभा चुनाव के आखिरी और आखिरी चरण में BJP के दो मजबूत सहयोगियों की असली परीक्षा होगी. यूपी में BJP की सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल मिर्ज़ापुर सीट से हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी मैदान में हैं, जिनके खिलाफ SP ने BJP से रमेश चंद बिंद और बीएसपी से मनीष तिवारी को मैदान में उतारा है. इसी तरह घोसी सीट पर सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर NDA के संयुक्त उम्मीदवार हैं, जिनके खिलाफ SP से राजीव राय और बसपा से बालकृष्ण चौहान मैदान में हैं. अनुप्रिया पटेल और अरविंद राजभर दोनों ही अपनी-अपनी सीटों पर जातीय चक्रव्यूह में फंसे नजर आ रहे हैं, जिसे तोड़े बिना जीत की राह आसान नहीं है.

अनुप्रिया पटेल लगातार दो बार मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रही हैं, लेकिन दोनों बार वह BJP के समर्थन से संसद पहुंची हैं. अब वह तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरी हैं. वहीं, सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को संसद भेजने के लिए घोसी लोकसभा सीट पर डेरा डाले हुए हैं. BJP के दोनों सहयोगियों का राजनीतिक आधार ओबीसी वोटों में है. अनुप्रिया पटेल की कुर्मी बिरादरी में पकड़ है तो ओम प्रकाश राजभर की राजभर वोटों पर पकड़ है, लेकिन दोनों सीटों पर SP ने मजबूत सियासी चक्रव्यूह तैयार कर लिया है. घोसी में राजभर बनाम राय की लड़ाई दिख रही है तो मिर्ज़ापुर में अनुप्रिया बनाम बिंद के बीच मुकाबला है.

Gosi and Mirzapur: जाति के जाल में फंसे NDA के कमांडर

क्या अनुप्रिया जीत की हैट्रिक बना पाएंगी?

अनुप्रिया पटेल एक बार फिर से मिर्ज़ापुर सीट से चुनावी मैदान में उतरी हैं. BJP से टिकट गंवाने के बाद भदोही के मौजूदा सांसद रमेश बिंद को SP ने मिर्ज़ापुर से मैदान में उतारा है. बसपा ने दलित-ब्राह्मण केमिस्ट्री बनाने के लिए मनीष तिवारी को मैदान में उतारकर अनुप्रिया को घेरने की कोशिश की है। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार अनुप्रिया की जीत उतनी आसान नहीं है जितनी पिछले दो चुनावों में थी. रमेश बिंद मल्लाह समुदाय से आते हैं जबकि मनीष तिवारी ब्राह्मण समुदाय से हैं. मिर्ज़ापुर में बिंद समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं.

मल्लाह समुदाय से आने वाली फूलन देवी दो बार SP के टिकट पर मिर्ज़ापुर से जीत चुकी हैं. इसके चलते माना जा रहा है कि SP ने मल्लाह समुदाय से आने वाले रमेश बिंद को मैदान में उतारा है, लेकिन यह सीट कुर्मी बहुल मानी जाती है. इस वजह से अनुप्रिया पटेल के लिए अपना दल (एस) मुफीद रहा है. BJP ने कुर्मी समुदाय के राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए अनुप्रिया पटेल को मिर्ज़ापुर सीट दी है. 2014 और 2019 में अनुप्रिया पटेल ने पीएम मोदी के नाम और कुर्मी वोटों के सहारे जीत हासिल की है, लेकिन इस बार उनके लिए राजनीतिक चुनौती बढ़ गई है.

एक तरफ SP से रमेश चंद्र बिंद मैदान में हैं, जो मल्लाह-यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ-साथ ओबीसी और दलित वोटों को साधने की कोशिश में हैं. बसपा से मैदान में उतरे मनीष तिवारी को दलित-ब्राह्मण वोटों पर भरोसा है. कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के खिलाफ अनुप्रिया पटेल के हालिया बयान के बाद उनके समर्थकों का गुस्सा उनके लिए चुनौती बन सकता है. इस सीट पर ठाकुर वोट अच्छी संख्या में हैं, जो BJP का कैडर वोट बैंक होने के नाते पिछले दो चुनावों में क्षत्रिय अनुप्रिया के साथ रहे हैं, लेकिन ताजा राजनीतिक बयानबाजी से उनमें कुछ असंतोष दिख रहा है.

मीरजापुर क्षेत्र में ब्राह्मणों के बीच मजबूत पकड़ रखने वाले ललितेश पति त्रिपाठी इंडिया अलायंस के साथ हैं, जिससे ब्राह्मणों का एक वर्ग SP के साथ जा सकता है। अगर मिर्ज़ापुर सीट पर ऊंची जाति के वोटर अनुप्रिया पटेल से छिटक गए तो बिंद को हराना उनके लिए आसान नहीं होगा. चुनावी लड़ाई अनुप्रिया और रमेश बिंद के बीच सिमटती नजर आ रही है. बसपा के मनीष तिवारी के ऊंची जातियों के वोट बैंक में सेंधमारी होती दिख रही है. हालांकि, दलित वोटों का रुझान अभी स्पष्ट नहीं है. अगर बसपा उन्हें लुभाने में कामयाब हो गई तो हार-जीत का अंतर कम हो सकता है, वहीं SP आरक्षण और संविधान खत्म करने के मुद्दे पर उन्हें मनाने और लुभाने की कोशिश कर रही है.

घोसी में राजभर बनाम राय की लड़ाई

मऊ जिले की घोसी लोकसभा सीट पर योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा दांव पर है. घोसी से ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर मैदान में हैं, जबकि SP ने राजीव राय के सहारे भूमिहार कार्ड खेला है. बसपा ने नोनिया समुदाय से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को मैदान में उतारा है. इस तरह घोसी सीट का चुनाव जातीय समीकरणों पर आकर टिक गया है. बहरहाल, बदले हुए समीकरणों में राय और राजभर की इस लड़ाई में ओम प्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन पूरा चुनाव जातीय शतरंज की बिसात तक ही सीमित नजर आ रहा है.

ऊंची जाति और राजभर वोटों के सहारे ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को संसद भेजने का सपना संजोए हैं, लेकिन SP के राजीव राय के मैदान में उतरने से ऊंची जाति के वोटर उनसे छिटकते नजर आ रहे हैं. राजीव राय के जरिए SP ने घोसी सीट पर न सिर्फ सवर्ण वोट बल्कि यादव-मुस्लिम समीकरण को भी संतुलित करने की चाल चली है. महेंद्र राजभर बसपा छोड़कर SP के साथ खड़े हो गए हैं. इस इलाके में महेंद्र का अपने समुदाय पर बड़ा प्रभाव माना जाता है. इससे सुभासपा के लिए भी चुनौती बढ़ गई है. इसके अलावा मुख्तार अंसारी की मौत के मामले में आरोपों के एंगल ने भी यहां की राजनीति को गर्म कर दिया है.

मुख्तार अंसारी के परिवार का मऊ और घोसी विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव है। बेटे अब्बास अंसारी सुभासपा के सिंबल पर मऊ से विधायक हैं, लेकिन उनका परिवार अब SP के साथ है. अखिलेश यादव मुख्तार अंसारी के घर श्रद्धांजलि देने गए थे. इसलिए SP इसे मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के मौके के तौर पर देख रही है. मुख्तार के मुद्दे पर प्रतिक्रियात्मक ध्रुवीकरण के आसार हैं. बसपा ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को अपना उम्मीदवार बनाकर पिछड़े वोटों के बंटवारे का रास्ता खोल दिया है, जिससे सुभासपा के लिए संकट बढ़ गया है।

घोसी लोकसभा सीट पर राजभर समाज प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है. ओपी राजभर ने हाल ही में बिच्छेलाल राजभर को एमएलसी बनाकर अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने की कोशिश की है. सुभासपा भले ही BJP के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है, लेकिन ओम प्रकाश राजभर का ऊंची जातियों के खिलाफ बयान उनके लिए टेंशन बन गया है. विपक्ष उन बयानों से ऊंची जाति के वोटरों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, राजभर के साथ-साथ BJP नेता ऊंची जातियों को मनाने में लगे हुए हैं, लेकिन उनकी जीत की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि चुनाव तक वे उन्हें कितना मना पाते हैं. राजीव राय के साथ यादव और मुस्लिम पूरी तरह गोलबंद नजर आ रहे हैं, एक ओर जहां भूमिहार और ऊंची जातियों के वोटों में सेंधमारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बसपा से आए बालकृष्ण चौहान नोनिया और दलितों के बीच केमिस्ट्री बनाने में जुटे हैं. इससे ओम प्रकाश राजभर के बेटे को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

Back to top button