Guru Nanak Ji death anniversary: गुरु नानक जी की पुण्यतिथि पर जानिए उनके 10 अनमोल उपदेश
Guru Nanak Ji death anniversary: गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के पहले गुरु और महान संत, जिनका जीवन और उपदेश पूरी मानवता के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। हर साल 22 सितंबर को उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी का निधन 22 सितंबर 1539 को पाकिस्तान के करतारपुर में हुआ था। इस दिन को श्रद्धा और सादगी के साथ देशभर में विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है। गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है। गुरु नानक देव जी ने समाज को सच्चाई, प्रेम, भाईचारा और समानता का संदेश दिया, जो आज भी हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
इस अवसर पर हम गुरु नानक देव जी के उन 10 अनमोल उपदेशों को जानते हैं जो आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं और हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में सही दिशा प्रदान करते हैं:
1. एक ओंकार का संदेश
गुरु नानक देव जी ने “एक ओंकार” का संदेश दिया, जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है और वह सबका पिता है। यह संदेश समस्त मानव जाति को एक सूत्र में बांधता है। गुरु नानक जी के अनुसार, सभी इंसान एक ही ईश्वर की संतान हैं, इसलिए हमें एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए और सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
2. प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश
गुरु नानक जी का जीवन सदैव प्रेम और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करने वाला रहा। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में फैली नफरत और भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया। उनका मानना था कि सभी इंसान एक समान हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म, या लिंग कुछ भी हो। उन्होंने समाज को एकता, समानता और प्रेम के महत्व को समझाया और इसे अपने जीवन में आत्मसात करने का निर्देश दिया।
3. किसी के अधिकार छीनना गलत है
गुरु नानक देव जी ने हमेशा न्याय और सच्चाई की बात की। उन्होंने कहा कि हमें किसी का हक छीनने का अधिकार नहीं है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन वह मदद सच्चाई और मेहनत से कमाए धन से होनी चाहिए। उनका मानना था कि जो भी मदद की जाए, वह सच्चे दिल से और बिना किसी स्वार्थ के की जानी चाहिए।
4. लोभ का त्याग और सही तरीके से धन अर्जित करना
गुरु नानक देव जी ने लोगों को लोभ से बचने और सही तरीके से मेहनत करके धन कमाने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि धन का लालच हमें सच्चाई और ईमानदारी से दूर करता है। उन्होंने सिखाया कि जो भी धन अर्जित किया जाए, वह ईमानदारी और कठोर परिश्रम से होना चाहिए, ताकि वह हमारे और समाज दोनों के लिए उपयोगी हो।
5. स्त्री और पुरुष को समानता का अधिकार
गुरु नानक देव जी ने स्त्री और पुरुष को समान माना। उस समय जब समाज में महिलाओं के प्रति अत्याचार और असमानता का बोलबाला था, तब गुरु नानक जी ने महिलाओं को सम्मान देने और उन्हें बराबरी का दर्जा देने का संदेश दिया। उनके अनुसार, महिलाओं का सम्मान करना समाज की प्रगति के लिए आवश्यक है।
6. दूसरों की मदद करें, ईश्वर आपकी मदद करेगा
गुरु नानक जी ने हमेशा परोपकार और दूसरों की मदद करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब आप किसी की मदद करते हैं, तो ईश्वर आपकी मदद करता है। हमें हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए, चाहे वह कितनी भी छोटी हो। उनके अनुसार, परोपकार से आत्मा की शुद्धि होती है और इससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
7. मेहनत और ईमानदारी से कमाए धन का हिस्सा जरूरतमंदों को दें
गुरु नानक जी ने कहा कि मेहनत और ईमानदारी से जो भी धन कमाया जाए, उसका कुछ हिस्सा जरूरतमंदों के लिए अलग रखा जाए। उन्होंने “वंड के छको” का सिद्धांत दिया, जिसका अर्थ है कि जो भी मिले उसे बांटकर खाओ। इस सिद्धांत से समाज में सहयोग और परोपकार की भावना विकसित होती है।
8. कर्मभूमि पर परिश्रम ही सफलता का मार्ग
गुरु नानक देव जी ने कर्म के महत्व को समझाया। उनके अनुसार, भगवान ने हमें जिंदगी दी है, लेकिन हमारी मेहनत और कर्म पर ही हमारा जीवन निर्भर करता है। भगवान ने हमें कर्मभूमि पर काम करने के लिए भेजा है और हमें अपनी मेहनत से अपने जीवन को सफल बनाना है। केवल प्रार्थना करने से नहीं, बल्कि कर्म करते हुए अपने भाग्य को सजाना आवश्यक है।
9. भोजन की आवश्यकता, लेकिन लालच और जमाखोरी बुरी है
गुरु नानक देव जी ने भोजन की अहमियत को स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने इसके साथ ही लालच और जमाखोरी को गलत ठहराया। उनका मानना था कि भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है, लेकिन इसका लालच और जमा करने की प्रवृत्ति गलत है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता से अधिक भोजन या धन जमा करना दूसरों के अधिकारों का हनन है और यह हमें आत्मिक सुख से दूर करता है।
10. सच्चाई और न्याय का मार्ग अपनाएं
गुरु नानक देव जी का पूरा जीवन सच्चाई और न्याय के मार्ग पर चलने का उदाहरण रहा है। उन्होंने कभी भी असत्य का साथ नहीं दिया और न ही अन्याय को सहन किया। उन्होंने समाज को सच्चाई के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया और कहा कि सच्चाई और न्याय से ही जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।