Harkesh Nagar Bulldozer Action: दिल्ली हरकेश नगर में चला बुलडोजर 40 साल पुरानी दुकानों पर टूटा कहर!

Harkesh Nagar Bulldozer Action: दिल्ली के तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र के हरेकेश नगर इलाके में मंगलवार 27 मई को नगर निगम (MCD) ने बड़े स्तर पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया। इस अभियान में सड़कों के किनारे बनी सैकड़ों अवैध झुग्गियों और दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे। इस कार्रवाई से स्थानीय लोग और एमसीडी के अधिकारी दोनों ही नाराज नजर आए। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना कोई समय दिए सीधे बुलडोजर चलाना सरासर गलत है।
40 साल पुरानी दुकान ढहने पर दीपक की नाराजगी
हरेकेश नगर में पिछले 40 सालों से दुकान चला रहे दीपक ने बताया कि एमसीडी और अन्य एजेंसियों ने उन्हें कोई समय नहीं दिया। उन्होंने सिर्फ आधे घंटे की मोहलत मांगी थी लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया। जैसे ही टीम आई उन्होंने तुरंत बुलडोजर चला दिया। दीपक ने बताया कि जब वे अपने सामान को बचाने के लिए समय मांग रहे थे तब भी उन्हें मौका नहीं दिया गया। यहां तक कि उनका रेफ्रिजरेटर भी तोड़ दिया गया। दीपक का कहना है कि उनके पास एमसीडी द्वारा जारी वेंडिंग सर्टिफिकेट है बावजूद इसके उनकी दुकान तोड़ी गई।
दुकानदारों का गुस्सा – “कानून के रक्षक या भक्षक?”
एक अन्य दुकानदार मिंटू गुप्ता ने गुस्से में कहा कि जो लोग कानून के रक्षक कहलाते हैं उन्होंने हमें सामान हटाने का मौका तक नहीं दिया। कम से कम हमें कुछ समय या फिर नोटिस ही दे देते। क्या ऐसे में हम इन्हें कानून का रक्षक कह सकते हैं? उन्होंने हमें पाँच मिनट तक नहीं दिए। कम से कम पहले से सूचना दे देते ताकि हम तैयारी कर पाते। इसी तरह संजय गुप्ता ने भी बुलडोजर की कार्रवाई को गलत बताया। उनका कहना है कि वे 2002 से यहां फल की दुकान चला रहे थे लेकिन अब फिर से अपनी दुकान जमानी पड़ेगी।
शॉप लाइसेंस के बावजूद उजाड़ दिए गए व्यापारी
1986 से इलाके में दुकान चला रहे श्याम सुंदर ने निराशा जताते हुए बताया कि उनके पास दुकान का लाइसेंस था इसके बावजूद उनकी दुकान गिरा दी गई। श्याम सुंदर ने कहा कि कुल मिलाकर 150 से 160 दुकानों को गिराया गया। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि उनकी उम्र हो चुकी है अब वे कोई नया काम नहीं कर सकते। उनके पास सामान भी नहीं बचा क्योंकि प्रशासन ने सबकुछ ले लिया। उन्होंने बताया कि इस दुकान को चलाने के लिए उन्होंने लोन भी ले रखा था और सरकार से लाइसेंस मिला हुआ था फिर भी दुकान को जमींदोज कर दिया गया। कई दुकानदारों ने सवाल उठाया कि जब एमसीडी को दुकानों को गिराना ही था तो फिर वेंडर लाइसेंस क्यों दिया गया? एमसीडी की तरफ से फिलहाल इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है जिससे दुकानदारों में नाराजगी और बढ़ गई है।