सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
हरियाणा में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां तेज होती जा रही है, वहीं रविवार रात्रि कांग्रेस ने गुरुग्राम विधानसभा से अपना प्रत्याशी मोहित ग्रोवर व बादशाहपुर से वर्धन यादव को बनाया है। भाजपा गुरुग्राम से पहले ही मुकेश शर्मा पहलवान को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है और भाजपा से ही नवीन गोयल नाराजगी दिखाते हुए निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। वहीं सोहना से भाजपा ने तेजपाल तंवर को मैदान में उतारा है, वहीं मंत्री संजय सिंह बगावती तेवर बनाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में चुनावी माहौल काफी गरमा गया है।
वहीं गुरुग्राम से कांग्रेस की ओर से मोहित ग्रोवर के प्रत्याशी घोषित होने से और भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा के जाने से कांग्रेस जो मृत पड़ी थी, उसमें भी जान आ गई है। पंजाबी नेताओं में यह चर्चा है कि आखिर भूपेंद्र हुड्डा को अपनी गलती याद आई और ऐसा अनुमान है कि पंजाबी एकजुट होकर मोहित ग्रोवर के साथ जाने की उम्मीद है क्योंकि 2019 के चुनाव में भी मोहित ग्रोवर पंजाबी समुदाय के सहयोग से दूसरे स्थान पर रहे थे।
भाजपा की अगर बात करें तो उनका प्रत्याशी मुकेश शर्मा की घोषित होते ही पार्टी में काफी उठा पटक और भगदड़ मच गई। एक तरह से गुरुग्राम भाजपा मुर्छित हो गई। क्यों कि प्रदेश उपाध्यक्ष कांग्रेस में चले गए और भाजपा से अनेक वरिष्ठ पदों पर विराजित होने वाले नवीन गोयल ने भी बग़ावत तेवर दिखाते हुए निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर दिया। गुरुग्राम के पंजाबी वर्ग ने मीटिंगें करके चर्चा कि यह पंजाबी वर्ग के साथ विश्वासघात है तो इन बातों से लगता है कि पंजाबी समुदाय भी भाजपा को वोट नहीं देंगे।
निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा करने वाले नवीन गोयल ने टिकट घोषित होने के बाद मीटिंग बुलाकर और बरसात में रोड़ शो कर दर्शा दिया कि गुरुग्राम की जनता पिछले समय में उनके किए हुए कार्यों से संतुष्ट हैं, मुकेश शर्मा मंगलवार को नामांकन कर रहे हैं,तो नवीन गोयल बुधवार
को नामांकन करेंगे। जिनके साथ वैश्य समाज साथ खड़ा है। वहीं सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि पूर्व विधायक आप नेता उमेश अग्रवाल ने प्रदेश में चल रही राजनीतिक उठा पटक दल बदलू की वजह से चुनाव लड़ने न लड़ने का मन बना लिया है, जिसका फायदा गुरुग्राम में नवीन गोयल को मिल सकता है। वहीं प्रशांत भारद्वाज ने भी नवीन को खुलकर सपोर्ट कर दिया है। जिससे भाजपा प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ गई है।
वैसे अभी कुछ भी कहना बहुत जल्दबाजी होगी। लेकिन आम चर्चाओं से निष्क्रिय यह निकलकर आ रहा है कि भाजपा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। सम्मान अर्थात जमानत बचा ले ऐसी लोगों में चर्चा है।
वहीं बादशाहपुर की बात करें तो नरबीर के बढ़ बोल उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। वर्धन यादव को युवाओं का सपोर्ट व कांग्रेस की हवा नया पर लगा सकती है। हालांकि उनका यह पहला चुनाव है लेकिन फिर भी लोकसभा चुनाव की तरह ही भाजपा प्रत्याशी को पटकनी दे सकते हैं। इसी तरह सुना तो में भी तेजपाल तंवर और संजय सिंह में टकराव चल रहा है और कांग्रेस ने किसी को प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। तथा पटौदी विधानसभा के प्रत्याशियों में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि वहां कांग्रेस और भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।