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हरियाणा सरकार ने बनाया नियम, सांझे की जमीन का बंटवारा होगा आसान

हरियाणा सरकार ने जमीन से जुड़े पुराने विवादों और अदालती मुकदमों को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

 

हरियाणा सरकार ने जमीन से जुड़े पुराने विवादों और अदालती मुकदमों को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश में संयुक्त जमीन का बंटवारा खून के रिश्तों में भी हो सकेगा।

 

यानी भाई-भाई, पिता-बेटा, चाचा-भतीजा जैसे रिश्तेदार अगर जमीन में साझेदार हैं, तो आपसी सहमति से वे अपनी जमीन का बंटवारा करवा सकेंगे। इसके लिए राजस्व अधिकारी की ओर से नोटिस जारी किया जाएगा और प्रक्रिया को कानूनी रूप से पूरा किया जाएगा।

 

सरकार का मानना है कि इस कदम से परिवारों में बढ़ते झगड़ों और मुकदमेबाजी पर लगाम लगेगी। साल 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में ‘पंजाब भू-राजस्व अधिनियम 2020’ में बदलाव कर धारा 111-क जोड़ी गई थी।

 

इस कानून के तहत संयुक्त जमीन के हिस्सेदारों के बीच जमीन का बंटवारा किया जा सकता था, लेकिन इस नियम में रक्त संबंधियों यानी खून के रिश्तों (जैसे भाई-भाई या पिता-बेटा) और पति-पत्नी को बाहर रखा गया था।

 

इस वजह से जमीन के असली मालिकों के बीच भी विवाद बढ़ते रहे और कई मामले कोर्ट तक पहुंच गए। अब सरकार ने इस कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है, ताकि खून के रिश्तों में भी जमीन का बंटवारा हो सके और कानूनी जटिलता से छुटकारा मिले।

 

सुलझेंगे जमीन से जुड़े विवाद

 

सरकार अब ‘हरियाणा भू राजस्व विधेयक 2025’ को मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में पेश करने जा रही है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल इस विधेयक को सदन में रखेंगे।

 

विधेयक पास होने के बाद राज्य में संयुक्त जमीन से जुड़े कई विवाद सुलझाने में आसानी होगी। सरकार का दावा है कि इससे कोर्ट में चल रहे हजारों मामलों पर भी असर पड़ेगा और मुकदमों में कमी आएगी।

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इस संशोधन में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पति-पत्नी के बीच जमीन का बंटवारा इस कानून के तहत पॉसिबल नहीं होगा। यानी अगर पति और पत्नी के नाम पर कोई संयुक्त जमीन है, तो उसका बंटवारा इस प्रक्रिया से नहीं किया जा सकेगा।

 

सरकार का मानना है कि पति-पत्नी के बीच का रिश्ता अलग प्रकृति का होता है और इसका समाधान पारिवारिक या अन्य कानूनी उपायों से किया जाना चाहिए। इसलिए यह संशोधन सिर्फ अन्य खून के रिश्तों जैसे भाई-भाई, पिता-बेटा, चाचा-भतीजा, बहन-भाई, आदि पर लागू होगा।

 

राजस्व अधिकारी को मिलेंगे अधिक अधिकार

 

संशोधित कानून में राजस्व अधिकारी की भूमिका को और मजबूत किया गया है। धारा 114 के तहत अब यह अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि क्या संयुक्त जमीन के अन्य हिस्सेदार बंटवारे के लिए तैयार हैं या नहीं।

 

इसके लिए वे सभी सह-मालिकों को नोटिस जारी करेंगे और उनकी सहमति से बंटवारे की प्रक्रिया पूरी कराएंगे। पहले अक्सर ऐसा देखा जाता था कि साझेदारी वाली जमीन का बंटवारा नहीं हो पाने की वजह से कोई भी हिस्सेदार अपनी जमीन बेच नहीं पाता था।

 

लेकिन अब यह समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। हरियाणा में जमीन विवादों से जुड़े हजारों मामले इस वक्त अदालतों में लंबित हैं। इनमें से अधिकांश विवाद संयुक्त जमीन के बंटवारे को लेकर हैं।

 

जहां परिवार के सदस्य या अन्य हिस्सेदार आपसी रजामंदी नहीं बना पाते और मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है। सरकार को उम्मीद है कि इस कानून में बदलाव के बाद ऐसे मामलों में कमी आएगी और लोग अपने विवादों का हल स्थानीय स्तर पर ही निकाल सकेंगे।

 

परिवारों को नहीं काटने पड़ेंगे कोर्ट-कचहरी के चक्कर

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हरियाणा जैसे राज्य में जहां कृषि और जमीन का बड़ा महत्व है, वहां अक्सर पारिवारिक विवाद जमीन के बंटवारे को लेकर ही होते हैं। भाई-भाई या अन्य रिश्तेदार जब एक ही जमीन के मालिक होते हैं, तो उनके बीच मतभेद होना आम बात है।

 

इस संशोधन से अब ऐसे विवाद आसानी से हल हो सकेंगे। अब परिवारों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और राजस्व अधिकारी की मदद से बंटवारा सहमति से पूरा हो सकेगा।

 

हरियाणा में खेती करने वाले किसानों के लिए यह कानून किसी राहत से कम नहीं होगा। संयुक्त जमीन का बंटवारा न हो पाने से किसान कई बार अपनी जमीन पर व्यक्तिगत रूप से निवेश या उसका उपयोग नहीं कर पाते थे।

 

लेकिन अब वे अपनी हिस्सेदारी की जमीन का मालिकाना हक साफ तौर पर पा सकेंगे और उसे बेचने, गिरवी रखने या खेती में इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इससे किसानों को अपने फैसले लेने में आजादी मिलेगी और वे अपनी जमीन का बेहतर उपयोग कर सकेंगे।

 

युवा किसानों को भी मिलेगी राहत

 

पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि युवा किसानों में अपनी हिस्सेदारी की जमीन अलग कराने की मांग बढ़ रही थी। वे अपने हिस्से की जमीन पर खुद खेती करना या उसे अपनी मर्जी से बेचना चाहते थे।

 

लेकिन पुराने कानूनों में खून के रिश्तों में बंटवारा न हो पाने से वे मजबूर हो जाते थे। इस संशोधन के बाद अब युवाओं को भी राहत मिलेगी और वे अपनी हिस्सेदारी को स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल कर सकेंगे।

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