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चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ Supreme Court में सुनवाई, पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने पर विवाद

चुनाव आयोग के उस फैसले पर आज Supreme Court में सुनवाई होनी है, जिसमें हर पोलिंग बूथ पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने का निर्देश दिया गया था। यह मामला एक जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी गई है, जिसमें इस फैसले को मनमाना और मतदाताओं के लिए असुविधाजनक बताया गया है।

मुख्य न्यायाधीश की पीठ करेगी सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी। यह याचिका इंदु प्रकाश सिंह द्वारा दायर की गई है, जिसमें चुनाव आयोग के अगस्त 2024 में जारी निर्देश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से मतदान प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ Supreme Court में सुनवाई, पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने पर विवाद

याचिका में फैसले को बताया मनमाना

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि प्रत्येक पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का चुनाव आयोग का फैसला मनमाना है। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी, जो याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे हैं, ने तर्क दिया कि इस फैसले से पोलिंग बूथों पर लंबी कतारें लगेंगी और मतदाताओं को घंटों इंतजार करना पड़ेगा। इससे कई लोग मतदान करने से बच सकते हैं, जिससे मतदान प्रतिशत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का उद्देश्य मतदान प्रक्रिया को सुगम और प्रभावी बनाना है। आयोग का तर्क है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग से मतदान प्रक्रिया में समय की बचत होती है और लंबी कतारें जल्दी खत्म हो सकती हैं। इसके अलावा, आयोग ने यह भी कहा है कि पोलिंग बूथों पर अतिरिक्त ईवीएम की व्यवस्था की जाएगी ताकि किसी भी तरह की असुविधा न हो।

याचिकाकर्ता के तर्क

याचिका में यह भी कहा गया है कि मतदान के दौरान लंबी कतारें मतदाताओं को निराश कर सकती हैं। खासतौर पर बुजुर्ग, दिव्यांग और गर्भवती महिलाएं लंबी प्रतीक्षा से परेशान हो सकती हैं। इस तरह का फैसला न केवल मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी बाधित कर सकता है।

चुनाव आयोग की रणनीति

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को मतदान प्रक्रिया में शामिल करना है। आयोग का मानना है कि मतदान में इस्तेमाल होने वाली आधुनिक तकनीक, जैसे ईवीएम, समय बचाने में मददगार साबित होगी। इसके साथ ही, अतिरिक्त ईवीएम की तैनाती से भी मतदान प्रक्रिया तेज होगी।

लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण मामला

यह मामला भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मतदान प्रक्रिया को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के प्रयासों और मतदाताओं की सुविधा के बीच संतुलन बनाने की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल इस मुद्दे पर दिशा तय करेगा, बल्कि भविष्य के चुनावी प्रबंधन पर भी प्रभाव डालेगा।

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अगले कदम पर नजर

सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायालय चुनाव आयोग के इस फैसले पर क्या निर्णय लेता है। क्या यह फैसला मतदाताओं के हित में होगा, या याचिकाकर्ता के तर्कों को ध्यान में रखते हुए इसे संशोधित करने का आदेश दिया जाएगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

यह मुद्दा केवल संख्या का नहीं, बल्कि मतदाताओं की सुविधा, अधिकार और लोकतंत्र की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने का है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में एक मिसाल कायम कर सकता है और भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत बनाने में मदद कर सकता है।

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