पंचकूलाः कोरोना काल में वह सब कुछ हुआ है जो कभी भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों ने भी नहीं सोचा होगा। सड़की सूनी हो गई, रेलगाड़ियों की रफ्तार थम गई। जो जहां था वहीं रह गया। कुछ मिल गए तो कुछ बिछड़ गए। स्कूल बंद हो गए बच्चों स्कूल की जगह लैपटॉप, मोबाइल से पढ़ाई करने लग गए। स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरु कर दिया। इस दौरान जहां इतना सब हुआ वहीं सरकार की कुछ उपलब्धियां और कुछ नाकामियां भी देखने को मिली।
कोरोना काल में सरकार का डीजिटल इंडिया का प्लान अच्छा खासा फ्लॉप होता दिखा हैरानी भरी बात तो यह है कि यह सब बिल्कुल खट्टर सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। यानि चंडीगढ़ में जहां सरकार पूरे प्रदेश पर नजर रखती है व्यव्स्था संभालती है वहीं उसीके साथ सटे पंचकूला के मोरनी में ऐसा दृश्य दिखा। मोरनी क्षेत्र में गांव दापाना में नेटवर्क ना अने के कारण छात्र पहाड़ की चोटियों या फिर पेड़ पर चढ़ कर online study करते हैं।
ऐसी पढ़ाई जान पर भी किस क़दर भारी पड़ सकती है इसका अंदाज़ा कोई भी लगा सकता है हर वक्त किसी बड़े खतरे का अंदेशा बना रहता है। दपाना गांव का ही ये हाल नहीं है बल्कि इस तरह के और भी कई गांव हैं जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं है। जानकारी के अनुसार मोरनी ब्लॉक में कुल 83 स्कूल हैं जिनमें करीब साढ़े तीन हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। फिलहाल सारी दुनिया कोरोना के खत्म होने की दुआ कर रही है। मगर जिन क्षेत्रों में मोबाइल का नेटवर्क अभी तक नहीं पहुंचा है उन क्षेत्रों में पढ़ने वाले विद्यार्थी तो यह दुआ भी कर रहे हैं कि उनके घरों तक मोबाइल फोन का नेटवर्क पहुंच जाए ताकि वो कोरोना काल में अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें।
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