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धन शोधन मामले में ED ने आप सांसद Sanjeev Arora के आवास समेत 17 स्थानों पर छापेमारी की

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य Sanjeev Arora और अन्य के खिलाफ भूमि ‘धोखाधड़ी’ मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की। जालंधर, लुधियाना, गुरुग्राम और दिल्ली में ED ने कुल 16-17 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। यह मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया गया है और जमीन के ‘अवैध हस्तांतरण’ से संबंधित है।

किन-किन जगहों पर छापेमारी?

जानकारी के अनुसार, ED ने पंजाब के लुधियाना और गुरुग्राम में स्थित 61 वर्षीय सांसद Sanjeev Arora के घर समेत अन्य 16-17 स्थानों पर छापेमारी की। इसके अलावा जालंधर में रियल एस्टेट कारोबारी हेमंत सूद और एक अन्य व्यक्ति चंद्रशेखर अग्रवाल से जुड़े ठिकानों पर भी छापेमारी की गई।

इस छापेमारी से जुड़ा मामला जमीन धोखाधड़ी का बताया जा रहा है, जिसमें आरोप है कि Sanjeev Arora ने अपनी कंपनी के नाम पर एक औद्योगिक भूखंड का ‘अवैध हस्तांतरण’ किया है। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए इन स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया और संबंधित दस्तावेज जब्त किए।

Sanjeev Arora की प्रतिक्रिया

इस छापेमारी पर AAP सांसद Sanjeev Arora ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस छापेमारी का कारण नहीं पता है। Sanjeev Arora ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं एक कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं, और मुझे छापेमारी के कारण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करूंगा और सुनिश्चित करूंगा कि उनके सभी सवालों का जवाब दिया जाए।”

Sanjeev Arora के इस बयान से स्पष्ट है कि वह कानून के साथ पूरी तरह सहयोग करने को तैयार हैं और छापेमारी के कारणों की जानकारी के लिए ED के साथ मिलकर काम करेंगे।

मनीष सिसोदिया ने क्या कहा?

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस छापेमारी को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि उनके सांसद, जो एक व्यवसायी भी हैं, के खिलाफ की जा रही यह कार्रवाई AAP पार्टी को तोड़ने का प्रयास है। सिसोदिया ने कहा, “लेकिन AAP के सदस्य न तो रुकेंगे, न बिकेंगे और न ही डरेंगे।”

धन शोधन मामले में ED ने आप सांसद Sanjeev Arora के आवास समेत 17 स्थानों पर छापेमारी की

AAP पार्टी के नेताओं का मानना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की जा रही है, ताकि पार्टी के सदस्यों पर दबाव डाला जा सके।

ED की कार्रवाई का कारण क्या है?

प्रवर्तन निदेशालय ने यह छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की है। यह कार्रवाई एक जमीन ‘धोखाधड़ी’ मामले से जुड़ी है, जिसमें Sanjeev Arora और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने एक औद्योगिक भूखंड को अवैध रूप से अपनी कंपनी के नाम पर हस्तांतरित किया। इस मामले में AAP पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसके कारण ED ने यह कार्रवाई की।

सूत्रों के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि अरोड़ा ने इस औद्योगिक भूखंड का हस्तांतरण ‘अवैध’ तरीके से किया और इसमें धन शोधन की गतिविधियां शामिल हो सकती हैं।

AAP पर बढ़ता दबाव

यह छापेमारी ऐसे समय पर हो रही है जब आम आदमी पार्टी पहले से ही कई विवादों का सामना कर रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता हाल के दिनों में जांच एजेंसियों के निशाने पर आए हैं। खासकर पार्टी के वित्तीय मामलों और नेताओं पर लगे आरोपों के कारण AAP पर दबाव बढ़ रहा है।

इससे पहले भी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ ED और सीबीआई की जांच चल रही है। वहीं, पार्टी के अन्य नेताओं पर भी आरोप लगे हैं, जिनके चलते AAP को राजनीतिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

ED की अगली कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और फाइलें जब्त की हैं, जिनकी जांच की जा रही है। ED ने इस मामले में Sanjeev Arora और अन्य से पूछताछ करने की भी योजना बनाई है।

सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी AAP पार्टी के अन्य नेताओं से जुड़े मामलों की भी जांच का हिस्सा हो सकती है। ED इस मामले में वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी की संभावना की जांच कर रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस छापेमारी के बाद से पंजाब और दिल्ली की राजनीतिक गलियों में हलचल मच गई है। AAP पार्टी ने इस कार्रवाई को राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है, जबकि विपक्षी पार्टियां इस छापेमारी को AAP पार्टी की भ्रष्टाचार से निपटने की कोशिश के रूप में देख रही हैं।

इस बीच, कांग्रेस और BJP ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। BJP नेताओं का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी पार्टी के नेता के खिलाफ हो। वहीं, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि AAP पार्टी के नेताओं को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और कानून के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए।

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