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India-China Border Disengagement: भारत-चीन के सैन्य कमांडरों की LAC पर बैठक, देपसांग और डेमचॉक में पट्रोलिंग शुरू, 2020 से पहले की स्थिति होगी बहाल

India-China Border Disengagement: भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुसार, देपसांग और डेमचॉक  में डिसइंगेजमेंट और वेरीफिकेशन की प्रक्रिया 29 अक्टूबर तक पूरी होनी थी। मंगलवार शाम तक, दोनों स्थानों से अस्थाई ढांचों और तंबुओं को हटा दिया गया था। वाहनों और सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। डिसइंगेजमेंट के साथ-साथ वेरीफिकेशन का काम भी चल रहा था। देपसांग में ड्रोन द्वारा हवाई निरीक्षण पूरा किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों पक्षों ने सही ढंग से अपनी सेना हटा ली है।

2020 से पहले की स्थिति की बहाली का प्रयास

अब हालात सामान्य होने के प्रयास के तहत, देपसांग और डेमचॉक  में 31 अक्टूबर से पैट्रोलिंग फिर से शुरू की जाएगी। इस बार, दोनों देशों के सैनिक संयुक्त रूप से पट्रोलिंग नहीं करेंगे, बल्कि समय अंतराल में अलग-अलग समय पर अपनी-अपनी गश्त करेंगे। इस व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए दोनों पक्षों के स्थानीय सैन्य कमांडरों की बैठक आज होगी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच पुरानी स्थिति को बहाल करना है, ताकि अप्रैल 2020 से पहले जो स्थिति थी, उसे फिर से लागू किया जा सके। इसका मतलब है कि दोनों देशों के सैनिक अब उसी स्थान पर गश्त कर पाएंगे जहां वे 2020 से पहले कर रहे थे।

India-China Border Disengagement: भारत-चीन के सैन्य कमांडरों की LAC पर बैठक, देपसांग और डेमचॉक में पट्रोलिंग शुरू, 2020 से पहले की स्थिति होगी बहाल

डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत उठाए गए कदम

इस समझौते के तहत, देपसांग और डेमचॉक  में दोनों पक्षों ने कई अहम कदम उठाए हैं। सबसे पहले, विवादित स्थानों पर लगाए गए अस्थायी ढांचों और तंबुओं को हटाया गया। इसके बाद, दोनों सेनाओं ने वहां तैनात सैनिकों और उपकरणों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की। ये सभी कार्य सुरक्षा और निगरानी के लिए कदम दर कदम किए गए हैं। देपसांग में ड्रोन और यूएवी के माध्यम से निगरानी की गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।

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डेमचॉक  में हवाई निरीक्षण की देरी का कारण

डेमचॉक  में हवाई निरीक्षण में देरी खराब मौसम के कारण हुई। बुधवार को वहां हवाई निरीक्षण नहीं हो पाया, लेकिन आज इस कार्य को पूरा करने की योजना बनाई गई है। भारतीय सेना ने इस कार्य में पूरी सजगता बरती है ताकि किसी भी प्रकार की गलती न हो। यह निरीक्षण इस डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया की पुष्टि करने के लिए आवश्यक है और इसके बाद ही वहां पर नियमित पट्रोलिंग शुरू होगी।

सीमा विवाद के दीर्घकालिक समाधान की ओर एक कदम

यह डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया एक दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक अहम कदम है। दोनों देशों के बीच अप्रैल 2020 के बाद सीमा विवाद के कारण तनावपूर्ण माहौल था। कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद, आखिरकार एक समझौते पर पहुंचा गया है, जिससे दोनों देशों के बीच पहले की स्थिति बहाल हो सकेगी। यह सीमा विवाद को स्थायी रूप से सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे दोनों पक्षों ने सकारात्मक रूप से लिया है।

स्थानीय सैन्य कमांडरों की बैठक: पट्रोलिंग और अन्य मुद्दों पर चर्चा

आज की बैठक में स्थानीय सैन्य कमांडरों द्वारा कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यह तय किया जाएगा कि पट्रोलिंग के दौरान समय और मार्ग का निर्धारण कैसे किया जाए। दोनों देशों के सैनिक एक ही दिन गश्त करेंगे, लेकिन वे अलग-अलग समय पर अपने क्षेत्रों में जाएंगे। इससे आपसी तनाव को कम किया जा सकेगा और दोनों पक्षों में सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इस बैठक में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया की निगरानी और इसके पालन पर भी ध्यान दिया जाएगा।

सुरक्षा विशेषज्ञों की राय: स्थिति सामान्य की ओर

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया दोनों देशों के संबंधों में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। अप्रैल 2020 के बाद से भारत-चीन के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर पूर्वी लद्दाख के क्षेत्रों में। परंतु अब, दोनों देशों ने आपसी समझ और सहयोग के माध्यम से सीमा विवाद को हल करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इससे ना केवल सीमा पर शांति बहाल होगी बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंध भी पुनः सशक्त होंगे।

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सीमा पर तनाव घटाने के लिए भविष्य की योजनाएं

इस डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के बाद भी, दोनों देशों के बीच आपसी संवाद जारी रहेगा। भविष्य में सीमा पर तनाव घटाने के लिए अन्य विवादित क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके लिए समय-समय पर उच्चस्तरीय बैठकें आयोजित की जाएंगी, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके। भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय इस मामले में पूरी तरह से सजग हैं और हर कदम को सावधानीपूर्वक उठा रहे हैं।

आम नागरिकों के लिए एक सकारात्मक संदेश

यह कदम केवल सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के आम नागरिकों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है। दोनों देशों के लोग चाहते हैं कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे और इससे उनके दैनिक जीवन में सुरक्षा और शांति का वातावरण हो।

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