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Jagjit Dallewal: की भूख हड़ताल का 50वां दिन डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा- स्वास्थ्य ठीक है

Jagjit Dallewal: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की कन्हारी बॉर्डर पर भूख हड़ताल मंगलवार को 50वें दिन भी जारी रही। सोमवार को डॉक्टरों ने एक मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए कहा था कि डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति हर पल बिगड़ रही है और वह बोलने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं। मंगलवार को पंजाब पुलिस के स्थानीय अधिकारियों और डॉक्टरों की एक टीम उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए पहुंची।

डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति

मंगलवार को डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों की टीम ने डल्लेवाल का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उनका रक्त परीक्षण लिया। इस जांच में सरकार द्वारा भेजी गई मेडिकल टीम और किसानों द्वारा कराए गए निजी जांचों की रिपोर्ट में बड़ा अंतर सामने आया। सरकारी मेडिकल टीम ने दावा किया कि डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति ठीक है, जबकि उन्हें भूख हड़ताल पर बैठे हुए 50 दिन हो चुके हैं।

सरकारी और निजी रिपोर्ट में अंतर

SSP पटियाला, नानक सिंह ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की और उनके रक्त परीक्षण को अपनी देखरेख में डॉक्टरों की टीम से कराया। मीडिया से बात करते हुए SSP नानक सिंह ने कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत खराब है, वह बोलने में सक्षम नहीं हैं। उनके रक्त परीक्षण के परिणाम 24 घंटे में डॉक्टरों द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जो पहले की रिपोर्ट किसानों के साथ साझा की गई थी, उसमें कुछ पैरामीटर सही थे जबकि कुछ बिगड़े हुए थे। इस कारण से रक्त के नमूने फिर से लिए गए हैं।

Jagjit Dallewal: की भूख हड़ताल का 50वां दिन डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा- स्वास्थ्य ठीक है

डल्लेवाल का संघर्ष

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 50 दिनों से कन्हारी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनका यह आंदोलन सरकार की नीतियों के खिलाफ और किसानों के हितों के लिए है। डल्लेवाल का दावा है कि किसानों को उनकी जायज मांगों के लिए संघर्ष करना चाहिए और वह अपनी भूख हड़ताल के माध्यम से किसानों के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं।

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किसानों का समर्थन

डल्लेवाल के इस संघर्ष को किसानों का व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है। हरियाणा के किसानों ने घोषणा की है कि वे डल्लेवाल के संघर्ष को हर गांव में बैठकें आयोजित करके फैलाएंगे और उनके संघर्ष की कहानी हर घर तक पहुंचाएंगे। किसान नेता के प्रति किसानों की यह एकजुटता उनके आंदोलन की ताकत को और बढ़ाती है।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका

पुलिस और प्रशासन के अधिकारी लगातार डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हालांकि, यह भी देखा गया है कि डल्लेवाल का आंदोलन सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है। सरकार के अधिकारियों और पुलिस ने इस आंदोलन को शांतिपूर्वक बनाए रखने की कोशिश की है, जबकि किसानों ने इसे अपनी आवाज उठाने का एक सशक्त माध्यम माना है।

डल्लेवाल का दृढ़ संकल्प

जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपने आंदोलन को खत्म करने का कोई संकेत नहीं दिया है। वह अपने संघर्ष में पूरी तरह से समर्पित हैं और उनका मानना है कि किसानों के अधिकारों के लिए यह भूख हड़ताल महत्वपूर्ण है। डल्लेवाल के समर्थक उनके संघर्ष को समर्थन दे रहे हैं और उनका मानना है कि अगर यह आंदोलन सफल नहीं होता है तो किसानों को भविष्य में और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति ने सरकार और प्रशासन को चिंतित कर दिया है। वह 50 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, और इस दौरान उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आई है। हालांकि, सरकारी डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को स्थिर बताया है, लेकिन किसान नेता की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि उनका शरीर इस अत्यधिक तनाव को सहन नहीं कर पाएगा।

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सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उनके उचित समाधान के लिए काम कर रही है। सरकार ने यह भी कहा है कि वह डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं से बातचीत करने के लिए तैयार है, ताकि उनके मुद्दों का समाधान निकल सके।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल और उनके संघर्ष ने हरियाणा और पंजाब के किसानों में एक नई जागरूकता पैदा की है। उनका आंदोलन न केवल सरकार के खिलाफ है, बल्कि यह किसानों के अधिकारों के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। डल्लेवाल की हालत गंभीर है, और डॉक्टरों की रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि उनका आंदोलन आगे कैसे बढ़ेगा।

किसान नेताओं और किसानों की एकजुटता इस संघर्ष को और भी ताकतवर बना रही है। यह आंदोलन न केवल सरकार के लिए, बल्कि किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि वे अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। अब देखना यह है कि इस संघर्ष का क्या परिणाम निकलता है और सरकार किस तरह से किसानों के मुद्दों का समाधान निकालती है।

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