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Justice Sanjiv Khanna बने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश, न्यायपालिका में नई शुरुआत, राष्ट्रपति भवन में ली शपथ

Justice Sanjiv Khanna: आज का दिन भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है। जस्टिस संजीव खन्ना को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति भवन में सुबह 10 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा, और उनकी नियुक्ति के साथ ही न्याय प्रणाली में कई सुधारों की उम्मीद भी जुड़ी है।

जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति का महत्व:

जस्टिस संजीव खन्ना ऐसे समय में न्यायपालिका का नेतृत्व कर रहे हैं, जब न्याय प्रणाली में कई चुनौतियाँ हैं। उनकी नियुक्ति से न्याय प्रक्रिया में सुधार, लंबित मामलों का त्वरित निपटारा और पारदर्शिता की दिशा में कदम बढ़ाए जाने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट में 2019 में अपनी नियुक्ति के बाद, जस्टिस खन्ना ने कई महत्वपूर्ण मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे, चुनावी बॉन्ड योजना, और अनुच्छेद 370 से जुड़े मामलों में उनके फैसले न्यायपालिका में उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

Justice Sanjiv Khanna बने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश, न्यायपालिका में नई शुरुआत, राष्ट्रपति भवन में ली शपथ

कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना?

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकरण करने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में अपना योगदान दिया। 2004 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थायी वकील नियुक्त किया गया, और 2005 में उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया। 2006 में वे दिल्ली उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने, और इसके बाद जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त होगा, और उनके नेतृत्व में न्यायपालिका को सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

परिवारिक पृष्ठभूमि:

जस्टिस खन्ना का परिवार न्याय क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता है। उनके पिता, जस्टिस देव राज खन्ना, दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं। उनके चाचा एच. आर. खन्ना सुप्रीम कोर्ट के जज थे, जिन्हें संविधान और मानवाधिकारों के मुद्दों पर उनके मजबूत रुख के लिए जाना जाता है। परिवार में न्याय और निष्पक्षता की परंपरा रही है, और जस्टिस संजीव खन्ना ने भी इसे बनाए रखने का वचन लिया है। उनका मानना है कि न्याय प्रणाली में लंबित मामलों को जल्द निपटाने और आम जनता के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता है।

महत्वपूर्ण फैसलों में भूमिका:

जस्टिस खन्ना ने अपने न्यायिक करियर में कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना पर फैसला सुनाते हुए पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसके अलावा, अनुच्छेद 370 से जुड़े मामलों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अतिरिक्त, जस्टिस खन्ना ने पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने के फैसले में भी योगदान दिया, जिससे उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।

अदालत में कार्य की शैली:

जस्टिस खन्ना को उनके खुले दृष्टिकोण और तर्कसंगत निर्णयों के लिए जाना जाता है। उन्होंने हमेशा न्याय की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने और न्याय में गति लाने पर जोर दिया है। वे अक्सर अपने फैसलों में लंबित मामलों के बढ़ते बोझ को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हैं, ताकि न्यायिक प्रणाली में आम लोगों का विश्वास बरकरार रहे। उनकी प्राथमिकता है कि न्याय प्रक्रिया में जनता को अधिकतम सुलभता प्रदान की जाए।

मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना के सामने चुनौतियाँ:

मुख्य न्यायाधीश का पद संभालते हुए जस्टिस खन्ना के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ होंगी। इनमें न्याय प्रणाली में सुधार, मामलों के त्वरित निपटारे की दिशा में कार्य, और लंबित मामलों को कम करना शामिल है। उनके कार्यकाल में डिजिटल कोर्ट की स्थापना, उच्च न्यायालयों में जजों की कमी को दूर करना, और न्याय प्रक्रिया को तीव्रता से लागू करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। उनके सामने यह चुनौती भी होगी कि जनता का न्यायपालिका में विश्वास बनाए रखा जा सके और न्याय व्यवस्था अधिक सुलभ और पारदर्शी हो।

उम्मीदें और भविष्य की दृष्टि:

जस्टिस खन्ना के मुख्य न्यायाधीश बनने से न्यायपालिका में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है। उनकी कार्यशैली, दृढ़ निश्चय और समाज के प्रति उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए उनसे न्याय प्रणाली में सुधार की काफी अपेक्षाएँ हैं। उनके निर्णयों में पारदर्शिता और न्याय की तेजी की झलक मिलती है। उनके द्वारा उठाए जाने वाले कदम और उनकी नेतृत्व शैली से देश के न्यायालय प्रणाली में आवश्यक सुधारों की उम्मीद की जा रही है।

 जस्टिस संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश बनना न केवल एक सम्मान का विषय है, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली के विकास की दिशा में एक नया अध्याय भी है। उनके अनुभव और दृष्टिकोण से न्यायपालिका में महत्वपूर्ण सुधार और विकास की संभावनाएँ हैं। जनता की न्याय प्रणाली में आस्था बनी रहे और त्वरित न्याय की दिशा में कदम उठाए जाएं, यही उनकी नियुक्ति की सफलता का मापदंड होगा।

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