कलियुग में मोक्ष का साधन भागवत कथा श्रवण है – विकासदास
सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – जनकल्याण शिक्षा एवं सुधार समिति के तत्वधान में नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर हाल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए तपोमूर्ति परमपूज्य विकास दास महाराज ने कहा कि मनुष्य का शरीर उसका नहीं है और ना ही वह स्वयं शरीर का है। इस मौके पर कथा के संयोजक समाजसेवी रामकरण शर्मा ने विकास दास महाराज का फूलों की मालाओं से अभिनंदन किया। मनुष्य का शरीर अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और एक दिन इसी में मिल जाएगा, लेकिन आत्मा स्थिर है।
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परिवर्तन संसार का नियम है, जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। कलियुग में मोक्ष का सबसे बड़ा साधन भागवत कथा श्रवण है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से लौकिक तथा अध्यात्मिक विकास होता है। उन्होंने कहा कि कलयुग में श्रीमद़ भागवत पुराण की कथा सुनने मात्र से ही व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस कथा से व्यक्ति के अंदर का अंधकार दूर हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा कल्प वृक्ष के समान है जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
सभी व्यक्ति समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अनिवार्य रूप से करें। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पुस्तक ही नहीं है बल्कि साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन है। इसके हर एक शब्द में भगवान वसे हैं। इसके श्रवण व पाठन से शरीर के अंदर दैविक शक्ति भी प्राप्त होती है। भगवान के सभी अवतारों में वर्णित तथ्यों का समावेश भागवत कथा में निहित है।