Haryana
अधिकारियों की मिलीभगत सरकार को लगा रही करोड़ों का चूना जानिए कहां का है मामला

सत्यखबर, सोनीपत Government loses crores of revenue सोनीपत में एल-13 गोदाम के शराब ठेकेदार और आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से शासन को राजस्व का करोड़ों का लगातार नुकसान पहुंचाया गया है…टैक्स जमा नहीं कराने के बावजूद उसको देशी शराब के अतिरिक्त परमिट जारी किए जाते रहे। अधिकारियों ने मिलीभगत करते हुए ठेकेदार की हर मांग को पूरा किया और उसको पांच लाख पेटियां जारी करा दी। मामला संज्ञान में आने पर अधिकारियों ने लाइसेंस कैंसिल करने और आरोपित ठेकेदार को नोटिस जारी करके शासन को भ्रमित करने का प्रयास भी किया, लेकिन ठेकेदार ने उत्तर ही नहीं दिए। शीर्ष के संज्ञान में आने पर अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया।
क्या है शासन की आबकारी नीति

सोनीपत में शराब मामलों को लेकर पुराना नाता रहा है,जहां जहरीली शराब से 40 लोगों की मौत का मामला सामने आया था और अब सोनीपत में करोड़ों का प्रशासन को चूना लगाने का मामला सामने आया है,हरियाणा सरकार की आबकारी नीति स्पष्ट अौर पारदर्शी है। यदि अधिकारी नियमों के अनुसार कार्य करें तो राजस्व का नुकसान होने का सवाल ही नहीं उठता। एल-1 और एल-13 दोनों की तरह के गोदाम ठेकेदारों को लाइसेंस के अनुसार परमिट जारी किए जाते हैं। उनको परमिट की स्वीकृति के समय पर ही राजस्व जमा कराना होता है। आबकारी विभाग के अनुसारियों को प्रत्येक सप्ताह शराब के आवंटन और राजस्व प्राप्ति की समीक्षा करनी होती है। उनको महीने में दो बार गोदाम का आडिट करना होता है। गोदाम में शराब का स्टाक कम होने पर ठेकेदार को नोटिस जारी किया जाता है। उनको अधिकतम एक सप्ताह में पूर्ण राजस्व जमा कराना होता है। ऐसा नहीं करने पर उनपर 100 प्रतिशत का जुर्माना लगाकर राजस्व वसूलने का प्रावधान है।
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कदम-कदम पर की गई लापरवाही
आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा मुरथल स्थित गोदाम के ठेकेदार के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। विभागीय सूत्रों की मानें तो गोदाम का ठेका आवंटित करते समय नियमानुसार आर्थिंक हैसियत के साक्ष्य नहीं लिए गए।उसके बाद देशी शराब के उक्त गोदाम में स्टाक का आडिट नहीं किया गया। मानकों का पालन नहीं करते हुए उसको एक्सस शराब के परमिट जारी किए जाते रहे। आबकारी निरीक्षक से लेकर डीईटीसी तक तीनों अधिकारी परमिट पर हस्ताक्षर करते रहे। देशी शराब के उक्त गोदाम पर बकाया राजस्व की समीक्षा तक नहीं की गई। प्रारंभिक जांच में ही 14 करोड़ का राजस्व बकाया होने के साक्ष्य मिले हैं। इस पर 14 करोड़ का जुर्माना शासन से आई जांच टीम की ओर से लगाया गया है। यह 28 करोड़ के राजस्व की धनराशि अभी और बढ़ सकती है।
मामला खुलने पर जारी किए गए नोटिस
शराब घोटाले का यह मामला कुछ विभागीय अधिकारियों के संज्ञान आने पर सुगबुगाहट शुरू हुई। विभागीय सूत्रों के अनुसार तीनों आरोपित अधिकारियों ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया। आनन-फानन में ठेकेदार को नोटिस जारी किए गए। नोटिस का उत्तर नहीं देने पर उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। बकाया राजस्व जमा कराने का झांसा भी दिया गया, लेकिन तब तक घपले की गूंज चंडीगढ़-पंचकूला तक पहुंच चुकी थी।अधिकारियों की टीम को प्रारंभिक जांच में घपला मिला और आखिरकार तीनों अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया।Government loses crores of revenue