Astro
आज का हिंदू पंचांग: जानिए हल्दी के फायदे

सत्यखबर, नई दिल्ली। Today’s Hindu Calendar
🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 16 मार्च 2023
⛅दिन – गुरुवार
⛅विक्रम संवत् – 2079
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – वसंत
⛅मास – चैत्र
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – नवमी शाम 04:39 तक तत्पश्चात दशमी
⛅नक्षत्र – मूल सुबह 06:24 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅योग – व्यतिपात दोपहर 12:53 तक तत्पश्चात वरियान
⛅राहु काल – दोपहर 02:19 से 03:49 तक
⛅सूर्योदय – 06:48
⛅सूर्यास्त – 06:49
⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:12 से 06:00 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 से 01:12 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – व्यतिपात योग (सुबह 10:07 तक)
⛅विशेष – नवमी को लौकी और दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🔸रोजी – रोटी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी🔸
🔹जीवन को यदि तेजस्वी, सफल और उन्नत बनाना हो तो मनुष्य को त्रिकाल संध्या जरुर करनी चाहिए । हमारी आंतरिक अवस्था ऊँची करने में संध्या के समय आध्यात्मिकता का आश्रय बड़ी मदद करता है । इस समय की हुई भगवद-आराधना विशेष लाभ करती है । व्यक्ति का चित्त शीघ्र निर्दोष एवं पवित्र हो जाता है । ईश्वर- प्रसाद पचाने का सामर्थ्य आ जाता है ।
नित्य नियम से त्रिकाल संध्या करनेवाले के जीवन में किसीके सामने हाथ फैलाने का दिन नहीं आता । रोजी-रोटी की चिंता नहीं करनी पडती ।
ऋषि प्रसाद – फरवरी २०२१ से
🔹औषधीय गुणों से भरपूर – हल्दी🔹
🔸प्राचीन काल से ही भोजन, घरेलू उपचार व आयुर्वेदिक औषधि के रूप में तथा मांगलिक कार्यो में हल्दी का उपयोग होता आ रहा है । हल्दी रक्तशुद्धिकर होने से शरीर के सभी अंगों पर कार्य करती है । यह यकृत को बलवान बनाती है । रस, रक्त, मेद व शुक्र धातुओं की शुद्धि का कार्य कर असंख्य रोगों से रक्षा करती है एवं शरीर का बल बढ़ाती है । हल्दी में कई प्रकार के जीवाणुओं को नष्ट करने तथा विष का नाश करने का सामर्थ्य पाया जाता है ।
🔸चरक संहिता में इसे ‘बिषघ्नी’ व ‘कुष्ठघ्नी’ ( त्वचा-रोगनाशक) कहा गया है । यह उत्तम कांतिवर्धक है । उष्ण होने से कफ-वातनाशक और कडवी होने से पित्तशामक भी है । हल्दी का प्रयोग मुख्यत: रक्त व त्वचा विकार, मधुमेह आदि प्रमेह, कृमि, सूजन तथा कफजन्य रोग जैसे – जुकाम, खाँसी, दमा, गला बैठ जाना आदि में किया जाता है । यह रक्त की वृद्धि करती है तथा रक्तस्राव को शीघ्र रोकती है । आमदोष का पाचन करनेवाली होने से यह बुखार, दस्त, पेचिश व संग्रहणी में उपयोगी है । यह शीतपित्त में बहुत गुणकारी है । प्रसूति के पश्चात गर्भाशय की शुद्धि व उसे बल देने के लिए हल्दी का सेवन अवश्य करना चाहिए । इसमें माता का दूध भी शुद्ध हो जाता है ।
🔹बाजारू मिलावटी हल्दी कि अपेक्षा घर कि पीसी हुई शुद्ध हल्दी का उपयोग करें । हल्दी के सूखे कंद पानी में उबालने से नर्म हो जाते है । फिर उन्हें सुखाकर ऊपर का छिलका उतार के पीस लिया जाता है ।
🔸प्रमेय कि उत्तम औषधिप्रमेह🔸
🔹प्रमेह (२० प्रकार के मूत्र-संबंधी विकार, जैसे- मधुमेह, शुक्रमेह आदि) के लिए हल्दी श्रेष्ठ औषधि है ।
🔹शुक्रमेह अर्थात मूत्र के साथ शुक्र धातु के जाने कि समस्या में १ ग्राम हल्दी का चूर्ण २० मि.ली. आँवले के रस में अथवा ३ से ५ ग्राम आँवला चूर्ण व १ चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करें । इससे थोड़े ही दिनों में लाभ होता है ।
🔹श्वेतप्रदर में हल्दी के काढ़े में १ चम्मच शहद मिलाकर पीने से राहत मिलती है तथा गर्भाशय की शुद्धि व पुष्टि भी होती है ।
also read:
16 मार्च का राशिफल: इन राशि वालों को नए काम में हाथ डालने से बचना चाहिए
पाक के पूर्व पीएम इमरान खान नहीं हो पाए गिरफ्तार,जानिए वजह
🔸कुछ औषधीय प्रयोग🔸
🔸१] बवासीर : हल्दी को देशी गाय के घी में घिसकर बवासीर पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है ।
🔸२] आँख आना : एक भाग हल्दी को २० भाग पानी में उबाल के काढ़ा बना लें एवं छान के ठंडा कर लें । इसकी २ – २ बूँदे आँख में दिन में दो बार डालें । इस ठंडे काढ़े में भीगे हुए सूती कपड़े से आँखों को ढकें । इससे आँख कि वेदना कम होती है तथा कीचड़ आना भी कम होता है ।
🔸३] सुजाक रोग में : इसमें पेशाब गाढ़ा, वेदनायुक्त, बार-बार और थोडा-थोडा होता है । २०० मि.ली. पानी में २ ग्राम हल्दी और ६ ग्राम आँवला चूर्ण मिलाकर धीमी आँच पर उबालें । पानी आधा शेष रहने पर छानकर गुनगुना पियें । इससे पेशाब की जलन कम होती है, पेशाब व मल साफ आने लगते हैं ।
🔸४] चोट एवं मोच होने पर : गिरने अथवा किसी प्रकार से अंदरूनी चोट पहुँची हो तो १ – २ ग्राम हल्दी को गुड़ के साथ खाने से अथवा दूध में हल्दी डालकर उबाल के लेने से दर्द में राहत मिलती है । अंदरूनी चोट व मोच पर हल्दी का गर्म लेप करने से भी लाभ होता है । चोट लगकर रक्तस्त्राव हो रहा हो तो हल्दी का चूर्ण लगाने से बह तुरंत बंद हो जाता है, घाव जल्दी भर जाता है व विषाणुओं के संक्रमण से रक्षा भी होती है । Today’s Hindu Calendar