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हरियाणा की एक लाख एकड़ सेमग्रस्त भूमि को कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य जल्द करेंगे हासिल: सुभाष बराला

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सत्य खबर, सोनीपत

हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन एवं के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कथूरा गांव का दौरा करते हुए सेमग्रस्त भूमि को कृषि योग्य बनाने के कार्य का गंभीरता से निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा की एक लाख एकड़ सेमग्रस्त भूमि को कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे शीघ्रातिशीघ्र हासिल किया जाएगा। इसमें कथूरा गांव को भी शामिल किया गया है।

हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला ने कथूरा के दौरे के दौरान किसानों से सीधी बातचीत की। साथ ही उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का हरियाणा ऑपरेशनल पायलट प्रोजैक्ट (एचओपीपी) किसानों की सेमग्रस्त भूमि के लिए लाभकारी सिद्घ हो रहा है।

 

भूमि सुधार के मामले में हरियाणा तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। इसका सीधा लाभ प्रदेश के किसानों को मिलेगा। बंजर व सेमग्रस्त भूमि को उपजाऊ बनाने के बाद कृषि क्षेत्र में विशेष रूप से वृद्घि होगी। सेमग्र्रस्त क्षेत्र की भूमि को दोबारा से कृषि योग्य बनाने के लिए हरियाणा सरकार की योजना के अंतर्गत कथूरा के खेतों में भूमिगत पाइप डालकर पानी को डे्रन में निकाला जाएगा। उन्होंने मौके पर पहुंचकर इस कार्य की गति का जायजा लिया।

चेयरमैन सुभाष बराला ने कहा कि एचओपीपी के तहत सब सरफेस ड्रेनेज टेक्निक के माध्यम से सेमग्रस्त भूमि का उपचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि रोहतक के गांव कान्ही में इस परियोजना के सौ फ़ीसदी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। जहां 400 एकड़ कृषि भूमि में उपरोक्त तकनीक का प्रयोग किया गया है।

इस तकनीक के प्रयोग से पहले यहां उपरोक्त क्षेत्र में गर्मी के दिनों में भी सेम की वजह से खेतों में एक से डेढ़ फुट पानी खड़ा रहता था और नमक भी दिखाई देता है, जिसके चलते किसान किसी भी फसल का उत्पादन नहीं कर पा रहे थे। लेकिन अब इस भूमि में सीजन के अनुसार फसलों का भरपूर उत्पादन हो रहा है, जो कि बेहद खुशी की बात है। कथूरा में भी इसी प्रकार से एचओपीपी के माध्यम से सेमग्रस्त भूमि को कृषि योग्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाये गये हैं।

पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बराला ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार सेमग्रस्त व बंजर भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने के लिए प्रतिबद्घ है। इसी उद्देश्य से इस परियोजना को प्रदेश भर में क्रियान्वित किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक इस परियोजना के तहत प्रदेश का 28250 एकड़ क्षेत्र कवर किया जा चुका है। उन्होंने प्रदेश के किसानों का आह्वान किया कि अगर उनके खेतों में भी सेम की समस्या है तो वे उपरोक्त क्षेत्रों में आकर इस कार्य को अवश्य देखें।

अपनी भूमि को फिर से उपजाऊ बनाएं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को अपनाने के लिए प्रदेश के करीब 18 हजार किसानों ने पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस परियोजना को अपनाने पर एक एकड़ क्षेत्र में 45 हजार का खर्च आता है, जिसमें से किसान को मात्र 10 प्रतिशत की राशि ही देनी पड़ती है। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश के 12 जिलों में सेम की समस्या को चिन्हित किया गया है, जहां इस परियोजना का विशेष लाभ किसानों को मिलेगा।

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इस अवसर पर चेयरमैन बराला ने सब सरफेस ड्रेनेज टेक्निक की जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में 2 से 3 मीटर की गहराई में पाइप दबाए जाते हैं। इन पाइपों में छेद होता है। पाइपों के माध्यम से पानी को एक कुए रूपी गड्ढे में इक_ा करके उसकी निकासी की जाती है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत खेतों से पानी निकासी के तमाम विकल्प भी अपनाए जा रहे हैं। इस परियोजना के साथ मत्स्य पालन को भी जोड़ा जा रहा है। प्रयास है कि सेमग्रस्त भूमि से निकलने वाले पानी को आसपास जोहड़ बनाकर उसमें डाला जाए ताकि मछली पालन का कार्य भी हो सके। इस मौके पर भाजपा के जिला अध्यक्ष तीर्थ राणा सहित संबंधित अधिकारीगण व गणमान्य व्यक्ति तथा किसान मौजूद थे।