ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष ने कही ये बड़ी बात
Muslim side said this big thing in Gyanvapi case
सत्य खबर, नई दिल्ली। अदालत से ज्ञानवापी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिलने के बाद उठे पूरे विवाद पर दिल्ली में मुस्लिम समाज के आला नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपना पक्ष रखा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि हमारी अदालतें इस तरह का भेदभाव करेंगी तो उन पर से भरोसा खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में हमें अपील के लिए मौका देना चाहिए था लेकिन रातों रात पूजा शुरू की गई, ये गलत है. हम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को खत लिखेंगे. हमने राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा है और जरूरत पड़ी तो दूसरे लोगों से भी मिलेंगे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि अदालतों के ऐसे फैसले नहीं होते हैं, जैसे हो रहे हैं. उन्होंने हमें कोई मौका ही नहीं दिया. वायस ऑफ खुरासन के जरिए बाबरी मस्जिद लेने ने धमकी पर इलियास ने कहा कि ISIS ने कहा कि ये इश्यू हमारा नहीं है. इस पर कमेंट नहीं करेंगे. कानूनी लड़ाई हो या फिर इंसाफ की हो, हम उस पर बात करेंगे. बाहर के लोग क्या कहते हैं, उस पर हम जवाब नहीं दे सकते हैं.
मदनी बोले- हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं
ज्ञानवापी मामले पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि इससे इंडिया के जूडिशियल सिस्टम पर बड़ा सवाल आ गया है. एक तरफा तौर पर जाते-जाते इनामात मिल जाएंगे. इस तरह का फैसला दे दिया. ऊपर की अदालत दखल देने को तैयार नहीं है. मदनी ने कहा कि पहले प्रेस कांफ्रेंस प्रेस क्लब में होने वाली थी. प्रेस क्लब वाले कहते हैं कि इस सब्जेक्ट पर आप बात नहीं कर सकते हैं. प्रेस क्लब के पास भी हम नहीं जा सकते हैं. बात इस कदर नहीं हो जानी चाहिए कि खराबी की तरफ बढ़ जाए. मदनी ने कहा कि ये कहना गलत नहीं होगा कि दुश्मनों जैसा सुलूक किया जा रहा है. मदनी ने कहा कि हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं हैं. उसमें कुछ आप लोगों (प्रेस) का भी हाथ है. ये जंगलराज है. ऐसा नहीं होना चाहिए. जबकि नियाज फारुखी ने कहा कि इस केस में एक फैसला बनारस कोर्ट ने दिया. उसके खिलाफ हम आला अदालत में जाएं, ये रास्ता था. हम सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट जाइए. हाईकोर्ट भी नहीं सुना और न ही लोवर कोर्ट ने. ये कौन सा इंसाफ है.