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Myths VS Facts: गर्भनिरोधक गोलियां और सर्वाइकल कैंसर मिथक या सच्चाई

Myths VS Facts: हर दिन चिकित्सा विज्ञान में नए अनुसंधान हो रहे हैं। सर्वाइकल कैंसर उन कैंसरों में से एक है जिसे समय पर पहचानकर ठीक किया जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी (HPV) के बीच का संबंध समझना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम जानेंगे कि क्या गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

एचपीवी है सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण

लगभग सभी सर्वाइकल कैंसर के मामलों का कारण एचपीवी संक्रमण है।

  • एचपीवी क्या है?
    एचपीवी एक सामान्य यौन संचारित संक्रमण है। यह संक्रमण अधिकतर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह सर्वाइकल कोशिकाओं में बदलाव कर कैंसर का रूप ले सकता है।
सभी एचपीवी प्रकार खतरनाक नहीं होते

एचपीवी के 200 से अधिक प्रकार हैं, लेकिन सभी खतरनाक नहीं होते।

  • केवल 14 उच्च-जोखिम वाले एचपीवी प्रकार ही सर्वाइकल कैंसर से जुड़े होते हैं।
  • इनमें से एचपीवी-16 और एचपीवी-18, 70% मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
टीकाकरण से कैंसर के अधिकांश मामलों को रोका जा सकता है

एचपीवी वैक्सीन से एचपीवी के खतरनाक प्रकारों से बचाव किया जा सकता है।

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  • यह टीका किशोरावस्था में दिया जाना अधिक प्रभावी होता है।
  • टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नियमित जांच से कैंसर का रोकथाम संभव है

सर्वाइकल कैंसर की नियमित जांच से इसे समय पर पहचाना जा सकता है।

  • पैप स्मियर और एचपीवी टेस्ट:
    ये टेस्ट गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में बदलाव का पता लगाने में मदद करते हैं।
  • महिलाओं को अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार शुरुआती 20 की उम्र से नियमित जांच करानी चाहिए।
एचपीवी संक्रमण बहुत सामान्य है

ज्यादातर यौन सक्रिय व्यक्तियों को किसी न किसी समय एचपीवी संक्रमण हो सकता है।

  • मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली:
    यह संक्रमण सामान्यतः दो साल के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है।
  • लेकिन कुछ मामलों में, यह संक्रमण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
जीवनशैली के कारक कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं

कुछ जीवनशैली संबंधी कारक सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

  • धूम्रपान और गर्भनिरोधक गोलियां:
    नियमित धूम्रपान और लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन जोखिम को थोड़ा बढ़ा सकता है।
  • हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियां और कैंसर का रिश्ता

Myths VS Facts: गर्भनिरोधक गोलियां और सर्वाइकल कैंसर मिथक या सच्चाई

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क्या गर्भनिरोधक गोलियां कैंसर का कारण बनती हैं?

गर्भनिरोधक गोलियां स्तन कैंसर के जोखिम को थोड़ा बढ़ा सकती हैं, लेकिन ये डिम्बग्रंथि और गर्भाशय के कैंसर के जोखिम को कम करती हैं।

  • गर्भनिरोधक गोलियां क्या हैं?
    गर्भनिरोधक गोलियां, जिन्हें ‘पिल’ भी कहा जाता है, गर्भावस्था को रोकने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  • ये गोलियां शरीर में हार्मोन के स्तर को बदलकर मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करती हैं।
गोलियों के प्रकार
  1. कंबाइंड पिल:
    इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होते हैं।
  2. मिनी पिल:
    इसमें केवल प्रोजेस्टोजेन होता है।
क्या करें?
  • गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें।
  • गर्भनिरोधक के अन्य विकल्पों के बारे में जानकारी लें।
एचपीवी संक्रमण से बचाव के उपाय
  1. टीकाकरण कराएं:
    किशोरावस्था में एचपीवी वैक्सीन लगवाएं।
  2. नियमित जांच कराएं:
    समय-समय पर पैप स्मियर और एचपीवी टेस्ट कराएं।
  3. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
    धूम्रपान से बचें और संतुलित आहार लें।
  4. सुरक्षित यौन संबंध:
    एचपीवी संक्रमण से बचने के लिए यौन स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

गर्भनिरोधक गोलियां और सर्वाइकल कैंसर के बीच का संबंध जटिल है। हालांकि एचपीवी संक्रमण ही सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है। टीकाकरण, नियमित जांच, और स्वस्थ जीवनशैली से इस कैंसर को रोका जा सकता है। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा या गर्भनिरोधक गोलियां न लें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

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