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MP में अखिलेश यादव के प्रचार का नहीं दिखा असर, नोटा से भी कम वोट

सत्य खबर/ नई दिल्ली:

No effect of Akhilesh Yadav’s campaign seen in MP, votes less than NOTA

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी को भी बड़ा झटका लगा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के जोरदार प्रचार के बावजूद सपा राज्य में अपना खाता नहीं खोल सकी. खाता खोलना तो दूर, पार्टी किसी भी विधानसभा क्षेत्र में दूसरे स्थान पर भी नहीं पहुंच सकी. समाजवादी पार्टी ने इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है. पार्टी को सिर्फ 0.46 फीसदी वोट ही मिल सके. एक और खास बात यह है कि सपा को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को सपा उम्मीदवारों के कारण हार जरूर मिली. इन सभी सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है.

सपा ने कांग्रेस को चार सीटों पर हराया

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर तालमेल नहीं बन पाया. दोनों दलों के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन बातचीत नतीजे तक नहीं पहुंच सकी. इसे लेकर दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. बाद में राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग रुक सकी. हालांकि, कांग्रेस और सपा के बीच तालमेल की कमी का असर मध्य प्रदेश की चार सीटों पर दिख रहा है. सपा प्रत्याशियों के कारण कांग्रेस को बहोरीबंद, चंदला, जतारा और निवाड़ी में नुकसान उठाना पड़ा और इन सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली।

यहां तक कि अखिलेश की मुहिम भी काम नहीं आई

कांग्रेस से बातचीत विफल होने के बाद समाजवादी पार्टी ने इस बार मध्य प्रदेश की 69 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की चुनावी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने करीब 24 रैलियां की थीं. इसके अलावा उन्होंने रोड शो और रथ यात्रा भी की. उनकी पत्नी और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने भी कुछ रैलियों के साथ-साथ रोड शो में भी हिस्सा लिया.

इसके बावजूद सपा प्रत्याशियों का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। जिन 69 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा था, उनमें से 45 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों को एक हजार से भी कम वोट मिले. यहां तक कि 50 से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई. सपा का कोई भी प्रत्याशी दूसरे स्थान पर पहुंचने में भी सफल नहीं हो सका।

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अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन

पिछले चुनावों पर नजर डालें तो इस बार सपा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. उत्तर प्रदेश के बाहर सपा को सबसे ज्यादा समर्थन मध्य प्रदेश में मिलता रहा है. 1998 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 1.58 फीसदी वोटों के साथ चार सीटें जीती थीं. 2007 में पार्टी को 3.7 फीसदी वोट मिले थे. 2008 और 2018 में पार्टी एक-एक सीट पर सफल रही.

इन दोनों चुनावों में पार्टी को क्रमश: 1.9 और 1.3 फीसदी वोट मिले. 2013 में पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन तब भी पार्टी को 1.2 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इस बार पार्टी का वोट शेयर 0.46 फीसदी रहा है. इससे समझा जा सकता है कि इस बार पार्टी का प्रदर्शन कितना निराशाजनक रहा है.

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