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Ravneet Bittu के कैबिनेट में शामिल होने पर आपत्ति, सांप्रदायिक राजनीति में हलचल

Ravneet Singh Bittu, जिन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया है, ने बंदी सिंघों के रिहाई पर उनके नरम दिल को दिखाया है और कहा है कि वह प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से इस मुद्दे पर बड़े दिल से बात करेंगे क्योंकि अब पर्याप्त हो चुका है, चलिए मुद्दे को दफन कर दें।

Bittu का पलटवार: एक गहरी विचारधारा की बदलाव

Bittu के आचारण में एक अचानक बदलाव की बातें पंथिक राजनीति में एक चर्चा को उत्पन्न कर रही है। सभी इसे अपने-अपने दृष्टिकोण से देख रहे हैं: रवनीत Bittu की सोच में परिवर्तन, एक यू-टर्न और मार्चा। तथापि, Bittu बंदी सिंघों के रिहाई पर हमेशा से आक्रामक रहे हैं और इसका सामना सार्वजनिक रूप से किया है। अकाली दल ने केंद्र सरकार के समक्ष इन मुद्दों को उठाया है।

एक प्रबल प्रतिक्रिया: अकाली दल बादल का

पिछली सरकार में शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बलवंत सिंह राजोआना की शीघ्र रिहाई को लेकर अपील की थी, तब Bittu ने सुखबीर पर तीखा हमला किया था और कहा था कि उनकी इस मांग के पीछे देश के सबसे बड़े आतंकवादी के रिहाई की गहरी साजिश है। अब ऐसा लगता है कि सुखबीर बादल मेरे और मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन अब Bittu ने बंदी सिंघों की रिहाई की प्रोत्साहना करना शुरू कर दिया है।

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पंथिक मुद्दों पर बातचीत की जरूरत

मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, Ravneet Singh Bittu ने दावा किया कि बंदी सिंघों को रिहा करना, 1984 के जून और नवंबर के खिलाफ घटित हत्याकांडों में सिखों को न्याय दिलाना, किसान मुद्दों को सुलझाना और साझी संबंधों में सेतु बनाना। पंजाब और केंद्र सरकार के इस बयान को अलग-अलग तरीके से समझा जा रहा है। अकाली दल बादल में Bittu के इस बयान से उत्तेजना होना स्वाभाविक है, क्योंकि पहले अकाली दल बादल को पंथिक और किसान मुद्दों को उठाने का प्रमुख दावेदार माना गया था।

अकाली दल बादल: पंथिक और किसान मुद्दों के प्रति नेतृत्व का पूर्वानुमान

अब तक अकाली दल बादल को पंथिक और किसान मुद्दों के प्रति एक प्रमुख नेता माना गया था। लेकिन Ravneet Singh Bittu के उक्त बयान के साथ, पंथिक राजनीति में एक चर्चा शुरू हो गई है कि BJP अकाली दल से इन मुद्दों को पूरी तरह से छीन लेने जा रही है।

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BJP से गठबंधन न करने का कारण

इसी कारण अकाली दल बादल ने 2024 में पंजाब में BJP के साथ समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए और इसमें कई शर्तें रखीं। इनमें बंदी सिंघों की रिहाई और किसान मुद्दों को सुलझाने जैसे मुद्दे शामिल थे।

अकाली दल की मांग: कोर कमेटी की शर्तें

अकाली दल ने कोर कमेटी की बैठक में कहा था कि अगर BJP इन मुद्दों पर सहमत होती है, तो उनके बीच गठबंधन हो सकता है। Bittu ने अब अकाली दल की कोर कमेटी की सभी शर्तों को ग्रहण कर लिया है।

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