सत्य खबर, हांसी
भारतीय क्रिकेट टीम के धासू बल्लेबाज रह चुके युवराज सिंह द्वारा पिछले साल एक समाज के लिए की गई अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी के मामले में औपचारिक मुकदमा दर्ज ना करना हांसी पुलिस के लिए मुश्किलें खड़ी करता दिख रहा है।जिसके चलते इस मामले में विशेष अदालत ने अब हरियाणा पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ही अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच करने के आदेश दिए है।
दरअसल बीते 11 जनवरी को एक संगठन ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि बीते वर्ष 2 जून को उन्होंने युवराज सिंह के खिलाफ हांसी पुलिस को एक शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने मुकदमा दर्ज कर युवराज सिंह को गिरफ्तार करने की मांग की थी। युवराज सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बीते साल 1 जून को एक लाइव चैट के दौरान अपने साथी क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉलिंग पर क्रिकेटर युजवेंद्र चहल के प्रति अभद्र और अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था, और वो वीडियो वायरल हो गया था।इसके बाद उपजे विवाद के चलते युवराज को माफी भी मांगनी पड़ी थी।
संगठन के मुताबिक एससी/ एसटी एक्ट में हुए संशोधन और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पृथ्वीराज चौहान बनाम महाराष्ट्र सरकार में आए प्रावधान के अनुसार पुलिस को ऐसे मामले में एक्ट की धारा 18ए के तहत पहले मुकदमा दर्ज करना होता है उसके बाद जांच शुरू की जाती है, लेकिन हांसी पुलिस ने इस मामले में उनकी शिकायत पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई।
इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी हांसी पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद भी जब मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो संगठने के अधिवक्ता रजत कलसन ने प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के सामने शिकायत लगाई और उस शिकायत में अधिनियम की धारा 4 के तहत डीएसपी विनोद शंकर और रोहताश सिंह सिहाग और थाना शहर हांसी प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
इस पर गृहमंत्री ने आईजी हिसार को आदेश जारी कर उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन पुलिस विभाग ने गृह मंत्री के आदेशों को भी दरकिनार कर उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।इसके चलते अधिवक्ता कलसन ने हिसार स्थित विशेष अदालत में याचिका दायर की और उस याचिका पर सुनवाई करते हुए हिसार के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत उक्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं।
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