सत्यखबर पंचकूला (उमंग श्योराण) – 12 साल पुराने समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में 11 मार्च को फैसला एन वक्त पर रुक गया था। वजह थी पाकिस्तान की एक पीड़िता राहिला वकील द्वारा गवाही का मौका देने की मांग करने वाली लगाई गई अर्जी। आखिरी पलों में राहिला वकील ने अपने एडवोकेट मोमिन मलिक के जरिए अदालत में यह अर्जी दाखिल की। इसमें अदालत ने 14 मार्च की तारीख तय की थी ताकि इस अर्जी पर विचार किया जा सके। अदालत को अभी यह तय करना है कि अर्जी हो सुनवाई का हिस्सा बनाया जाए या फिर नहीं। आज दोनों पक्षों के वकील अदालत में पहुंचे लेकिन पंचकूला बार एसोसिएशन में वकीलों की स्ट्राइक थी इसके चलते दोनों पक्षों के वकीलों की एनआईए कोर्ट में एंट्री नहीं हो पाई। अब अदालत ने इस मामले में राहिला वकील की अर्जी पर सुनवाई के लिए 18 मार्च की तारीख तय की है।
दूसरी तरफ राहिला वकील के एक दस्तावेज पर दस्तखत को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि राहिला वकील के एडवोकेट मोमिन मलिक ने कहा है कि उन्हें ईमेल के जरिए राहिला वकील की अर्जी मिली है और वह पिछले 10 साल से दूसरे केसों में राहिला वकील के एडवोकेट हैं। ऐसे में उन्हें अपनी मुवक्किल की तरफ से पैरवी करने का पूरा अधिकार है।
अब 18 मार्च को तय होगा कि आखिर राहिला वकील की अर्जी इस मुकदमे में विचाराधीन रखी जाएगी या फिर अदालत अब तक की गवाहियों और सुनवाई के आधार पर अपना फैसला सुनाएगी।
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