ऑपरेशन सिंदूर या वीडियो गेम! Nana Patole के बयान ने मचाई सियासी भूचाल, जाने पूरा मामला

कांग्रेस नेता Nana Patole ने ऑपरेशन सिंदूर को बच्चों का वीडियो गेम बताया और कहा कि यह सिर्फ दिखावे की कार्रवाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस ऑपरेशन के पीछे व्यापारिक स्वार्थ थे और इसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में रोक दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम हमले में 26 महिलाओं का सिंदूर मिट गया लेकिन हमलावर आज तक नहीं पकड़े गए।
भाजपा का तीखा पलटवार
नाना पटोले के इस बयान के बाद भाजपा नेता संबित पात्रा ने हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर यह वीडियो गेम है तो उसे खेलने वाला बच्चा राहुल गांधी है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारतीय सेना के जवान और ब्रह्मोस मिसाइलें भी इस वीडियो गेम का हिस्सा हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अपील की कि देशहित में ऐसे बयान देने से बचें।
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: On Congress leader Nana Patole comparing Operation Sindoor to ‘children’s video game’, Shiv Sena leader Shaina NC says, “Only a low mindset and a low thought process like that of Nana Patole can suggest that Operation Sindoor was a video game. Making… pic.twitter.com/WBFejaHcRp
— ANI (@ANI) June 12, 2025
शिवसेना ने बताया मानसिक दीवालियापन
शिवसेना नेता शायना एनसी ने नाना पटोले के बयान को घटिया मानसिकता करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं की हमेशा से आदत रही है कि वे देश की सुरक्षा और सेना के पराक्रम पर सवाल उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सिर्फ झूठी कहानियां गढ़ती है और देश की साख को नुकसान पहुंचाती है।
#WATCH | Delhi | “… If the Congress party has decided to commit suicide, then as good citizens of this country, we should appeal to them not to commit suicide, for god’s sake. Who are the children that Nana Patole is referring to? The Indian armed forces? Were the BrahMos… pic.twitter.com/tYSDWzoNTk
— ANI (@ANI) June 12, 2025
कांग्रेस के भीतर भी मतभेद
शायना एनसी ने कांग्रेस नेताओं शशि थरूर और मनीष तिवारी का उदाहरण देते हुए कहा कि ये नेता खुद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में दुनिया को बता चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान की पोल खोली थी। ऐसे में नाना पटोले जैसे नेताओं को अपने ही नेताओं से कुछ सीखना चाहिए।
राजनीति में गिरते स्तर पर चिंता
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर राजनीतिक बयानबाजी कहां तक जायज़ है। जब सेना देश के लिए बलिदान देती है तब इस तरह के बयान सैनिकों के मनोबल को ठेस पहुंचाते हैं। राजनीति में मतभेद हो सकते हैं लेकिन देश के सम्मान पर समझौता नहीं होना चाहिए।