परमेश्वर के अनेक नामों में ओउम् नाम सर्वोतम है – रामपाल आर्य
सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – परमेश्वर के अनेक नामों में ओउम् नाम सर्वोतम है। यह बात आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष मा. रामपाल आर्य ने कही। वे रविवार को नगर के पुरानी अनाज मंडी में आर्य समाज सफीदों के तत्वावधान में चल रहे वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस मौके पर आर्य समाज के विद्वान शिवकुमार शास्त्री व भजनोपदेशिका अंजली आर्या विशेष रूप से मौजूद थे। अपने संबोधन में रामपाल आर्य ने कहा कि झूठ बोलकर मित्र बनाने से सत्य बोलकर शत्रु बनाना अधिक अच्छा है, क्योंकि आप संसार में सबको एक साथ प्रसन्न नहीं कर सकते।
वेद परस्पर मिलकर विचार करने, प्रेम से वार्तालाप करने, सम्मान करने व ज्ञान प्राप्त करते हुए ईश्वर की उपासना करने का संदेश देते हैं जिससे मानव जाति समुचित प्रगति करे। परमात्मा के गुण, कर्म और स्वभाव अनन्त हैं, अत: उसके नाम भी अनन्त हैं। परमेश्वर का मुख्य और निज नाम ओउम् है, इसके अतिरिक्त अन्य सभी नाम गौणिक हैं। जैसे हाथी के पैर में सभी के पैर आ जाते हैं, वैसे ही इस ओउम् नाम में परमात्मा के सभी नामों का समावेश हो जाता है। सब वेद जिसे प्राप्त करने योग्य प्रभु का कथन करते हैं, सभी तपस्वी जिसका उपदेश करते हैं, जिसे प्राप्त करने के लिए ब्रह्मचर्य का धारण करते हैं, उसका नाम ओउम् है।
ओउम् शब्द तीन अक्षरों के मेल से बना है-अ, उ और म्। इन तीन अक्षरों से भी परमात्मा के अनेक नामों का ग्रहण होता है, जैसे अकार से -विराट, अग्नि और विश्वादि, उकार से -हिरण्यगर्भ, वायु और तैजस आदि, मकार से -ईश्वर, आदित्य और प्राज्ञ आदि। जहां-जहां स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना हो और जहां सर्वज्ञ, व्यापक, शुद्ध, सनातन और सृष्टिकर्ता आदि विशेषण लिखें हों वहां अग्नि आदि नामों से परमेश्वर का ग्रहण होता है।
उन्होंने कहा कि सभी शक्ति और ज्ञान का प्रारंभिक कारण ईश्वर है। ईश्वर ही सर्व सत्य है, सर्व व्याप्त है, पवित्र है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है और सृष्टि का कारण है, केवल उसी की पूजा होनी चाहिए। इस मौके पर आर्य समाज के प्रधान यादविंद्र बराड़ व मंत्री संजीव मुआना ने आए हुए अतिथियों व विद्वानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।