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Pakistan army chief on Kargil: कश्मीर से कारगिल तक के धोखे का खुलासा

Pakistan army chief on Kargil: पाकिस्तान की सेना ने लंबे समय से कश्मीर और करगिल संघर्ष में अपनी भूमिका से इनकार किया है। हालांकि, 6 सितंबर को पाकिस्तान के रक्षा दिवस पर, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि करगिल युद्ध में पाकिस्तान की सेना की सीधी भूमिका थी। यह बयान पाकिस्तान की ऐतिहासिक धोखाधड़ी और झूठ को उजागर करने वाला है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे पाकिस्तान ने बार-बार अपने झूठ को छुपाने की कोशिश की है और कैसे अब उसकी सच्चाई सामने आई है।

करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की भूमिका

1999 में करगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण सैन्य संघर्ष था। इस युद्ध के दौरान, भारतीय सशस्त्र बलों ने भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए ऊँचे स्थलों को वापस प्राप्त किया। युद्ध के अंत में 26 जुलाई 1999 को भारत ने शानदार जीत दर्ज की। पाकिस्तानी सेना ने इस संघर्ष में अपनी भूमिका को कभी स्वीकार नहीं किया और इसे ‘मुजाहिदीन’ या स्वतंत्रता सेनानियों का काम बताया। लेकिन अब, जनरल आसिम मुनीर की स्वीकृति ने इस तथ्य को उजागर किया है कि ये मुजाहिदीन वास्तव में पाकिस्तानी सेना के सदस्य थे।

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की स्वीकार्यता

पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी करगिल युद्ध के संबंध में अपनी गलती स्वीकार की थी। उन्होंने कहा कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे। इसके बाद, जब अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान आए थे और एक समझौता किया था, तो पाकिस्तान ने उस समझौते का उल्लंघन किया, जो कि उनकी गलती थी। नवाज शरीफ की यह स्वीकार्यता भी पाकिस्तान के झूठ को उजागर करने वाली एक महत्वपूर्ण घटना थी।

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पुलवामा हमले का रहस्य

पाकिस्तान की जमीन को हमेशा आतंकवाद का गढ़ माना जाता है। पुलवामा हमले के संदर्भ में पाकिस्तान के झूठ की सच्चाई भी 2020 में सामने आई थी। उस समय पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने संसद में बयान दिया कि पुलवामा हमला पाकिस्तान की सफलता थी। चौधरी ने स्वीकार किया कि यह हमला इमरान खान के नेतृत्व में किया गया था और यह पूरे देश की सफलता है कि हम भारत में घुसकर हमला करने में सफल रहे।

पाकिस्तान के झूठ की समय-समय पर खुलासे

पाकिस्तान का इतिहास झूठ और धोखे से भरा हुआ है। करगिल युद्ध, पुलवामा हमला, और अन्य कई घटनाओं में पाकिस्तान ने बार-बार अपने कृत्यों को छुपाने की कोशिश की। लेकिन समय के साथ, इन झूठों का पर्दाफाश हुआ और सच सामने आया। पाकिस्तान की सेना की भूमिका और देश की नीति के बारे में सही जानकारी का खुलासा होता रहा है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान ने अपने कार्यों को छुपाने के लिए कितनी चालाकियाँ की हैं।

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भारत की जीत और पाकिस्तान की अस्वीकार्यता

भारत ने करगिल युद्ध में एक महत्वपूर्ण जीत दर्ज की और इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की धोखाधड़ी को उजागर किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने भारतीय क्षेत्र की रक्षा की और ऊँचे स्थलों पर पुनः कब्जा किया। पाकिस्तान की सेना की भूमिका को स्वीकार करने के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान ने अपने कार्यों को छुपाने के लिए एक लंबे समय तक झूठ का सहारा लिया।

निष्कर्ष

पाकिस्तानी सेना की स्वीकार्यता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बयान ने करगिल युद्ध और अन्य घटनाओं में पाकिस्तान के झूठ को उजागर किया है। पुलवामा हमले का खुलासा भी पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन को प्रमाणित करता है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान ने अपने कार्यों को छुपाने के लिए कई बार झूठ का सहारा लिया है। भारत की जीत और पाकिस्तान की अस्वीकार्यता के माध्यम से, दुनिया को यह सच्चाई समझ में आ गई है कि पाकिस्तान के झूठ और धोखे का पर्दाफाश करना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे झूठ को रोका जा सके।

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