सत्य खबर । वाराणसी
वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी व प्रयागराज के बीच 2474 करोड़ की सिक्स लेन परियोजना का सोमवार की दोपहर लोकर्पण किया। दोपहर 2.10 पर विशेष विमान से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे पीएम मोदी ने सबसे पहले परियोजना के मॉडल को देखा। पीएम मोदी ने कहा कि सिक्स लेन देव दीपावली पर काशी को उपहार है। मोदी ने कहा कि आजादी के बाद कभी इतना काम नहीं हुआ है। खजुरी में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कृषि कानून के फायदे भी गिनाएं और विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।
पीएम मोदी ने कहा कि अभी भी जिन किसानों को शंका है, उनके समाधान पर सरकार लगी है। हमारा अन्न दाता देश की अगुवाई करेगा। जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंका है वह भी भविष्य में इसका लाभ लेकर अपनी आय बढ़ाएंगे।
देश के किसानों को एक लाख करोड़ रुपया सीधा उनके खाते में दिया जा चुका है। किसानों के हित में नए कृषि सुधार कानून लाए गए हैं। किसानों को न्याय दिलाने में यह कितने काम आएंगे ये आने वाले दिन में देखेंगे। दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। किसानों का दोष नहीं है। मां गंगा के घाट और काशी जैसी पवित्र नगरी से कह रहा हूं कि अब छल से नहीं गंगा जैसी पवित्र नीयत से काम किया जा रहा है। आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई सामने आ रही है। एक विषय इनका झूठ पकड़ आ जाता है तो दूसरे पर झूठ फैला रहे हैं।
सरकार मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। अगर इसे बंद करना होता तो करोड़ों रुपये क्यों खर्च किये जा रहे हैं। किसान सम्मान नीधि को लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा था।
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नए कानून से किसानों को छल से बचाने को विकल्प मिला है। किसानों को नए प्रकल्प और विकल्प दोनों साथ साथ चलें तभी देश का कायाकल्प होता है। सरकारें नीतियां बनाती हैं। नीतियों पर सवाल उठता है तो उसका लाभ होता है। लेकिन पिछले कुछ समय से अलग ही देखने को मिल रहा है। पहले सरकार का फैसला लोगों को पसंद नहीं आता था तो विरोध होता था।
अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि, भ्रम फैलाकर, आशंकाए फैलाकर अपप्रचार किया जा रहा है। भविष्य को लेकर आशंकाएं फैलाई जा रही हैं। जो हुआ ही नहीं है, जो होगा ही नहीं, उसे लेकर समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसा ही कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर खेल खेलाजा रहा है। यह वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि एमएसपी की घोषणाएं बहुत होती थी लेकिन खरीद नहीं होती थी। किसानों के नाम पर कर्ज माफी के पैकेज घोषित किये जाते थे लेकिन छोटे किसानों तक यह पहुंचते ही नहीं थे। कर्ज माफी के नाम परछल किया गया। किसानों के नाम पर योजनाएं देते थे लेकिन छल होता था। वो खुद मानते थे कि एक रुपये में केवल 15 पैसा ही पहुंचता था। यूरिया खाद के नाम पर भी छल किया जाता था। किसान के नाम पर किसी और को फायदा पहुंचाया जाता था। यही खेल लंबे समय तक देश में चलता रहा है।
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