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रोज़गार से जुड़ी राजनीति: बिहार में NDA और INDIA गठबंधन के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ा रोमांचक

यह सच है कि जातीय समीकरण और पीएम मोदी की लोकप्रियता NDA के मजबूत बिंदु हैं, लेकिन सभी जातियों के युवाओं के बीच नौकरी और रोजगार की चाहत ने NDA और INDIA गठबंधन के बीच लड़ाई को दिलचस्प मोड़ पर ला दिया है. कई सीटें ऐसी हैं जहां जातीय समीकरण के हिसाब से NDA को आगे रहना चाहिए, लेकिन नौकरियों की मांग के कारण युवाओं में NDA के प्रति उत्साह की कमी साफ दिख रही है. जाहिर है, अगर ये युवा जाति के बंधन से बाहर आकर वोटिंग के दिन वोट देने पोलिंग बूथ पर पहुंचेंगे तो बिहार में NDA के सीट समीकरण पर असर पड़ना तय है.

वैसे, इस बार फिर से लालू प्रसाद ने बिहार की हर तीन-चार सीटों पर जातीय किलेबंदी करने की कोशिश की है. लालू का प्रयोग सफल होगा या विफल, लेकिन बिहार के युवाओं की सरकारी नौकरियों को लेकर चिंता कई लोकसभा सीटों पर साफ महसूस की जा सकती है.

रोज़गार से जुड़ी राजनीति: बिहार में NDA और INDIA गठबंधन के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ा रोमांचक

युवाओं के बीच नौकरी कैसे बन गयी है चर्चा का विषय?

दरभंगा का ललित मिश्र विश्वविद्यालय वर्षों से केंद्रीय विश्वविद्यालय का इंतजार कर रहा है. यहां के छात्रों की उम्मीदें अब धूमिल हो गयी हैं. छात्रों का सीधा आरोप है कि मिथिला के नेता अपने-अपने दल के बड़े नेताओं को खुश करने में लगे हैं. इसलिए दरभंगा के इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाना तो दूर, दूरस्थ शिक्षा की सुविधा भी खत्म की जा रही है. अमन सक्सेना कहते हैं कि बिहार में NDA के नेता के तौर पर नीतीश कुमार सिर्फ मगध पर फोकस कर रहे हैं. वहीं, स्थानीय सांसद गोपाल जी ठाकुर को पीएम मोदी के नाम पर चुनाव जीतने का भरोसा है. इसलिए यूनिवर्सिटी तो छोड़िए, शहर में भी पहले की तरह जलजमाव हो रहा है, लेकिन सांसद को इसकी कोई चिंता नहीं है.

छात्रों के बीच असली चिंता नौकरियों को लेकर है। परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक होने से लेकर रिक्तियों के बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू न होने तक, ये मुद्दे पटना से लेकर मिथिला, मगध और यूपी की सीमा से सटे लोकसभा क्षेत्र बक्सर तक खुलेआम सुनने को मिलते हैं। सारण जिले के सिमरिया खुर्द गांव के लालू कुमार राम कहते हैं कि यूपी और बिहार में कई परीक्षाओं में पेपर लीक होने की घटना उन्हें परेशान कर रही है। दरअसल, लालू कुमार राम कहते हैं कि एक तो रिक्तियां कम हैं और ऊपर से पेपर लीक होने से मेहनती छात्रों की उम्मीदें टूट रही हैं।

युवा चाहते हैं नौकरी और रोजगार

इसी गांव के अमित कुमार शाह कहते हैं कि पीएम और सीएम सड़कों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन NDA सरकार का रिकॉर्ड नौकरियों और रोजगार के मामले में अच्छा नहीं है। इसलिए पहली बार वोट देने वाले के तौर पर वे बदलाव के लिए वोट करेंगे।

सारण में जाहिर तौर पर मुकाबला राजीव प्रताप रूडी बनाम रोहिणी आचार्य है। लेकिन दलित और अति पिछड़े समाज के ये दोनों लड़के बदलाव की बात करते साफ नजर आ रहे हैं। वैसे, यहां दूसरे किसान और मजदूर भी हैं जो अलग-अलग समुदायों से ताल्लुक रखते हैं और उनका पेशा खेती है। ये लोग मोदी को फिर से पीएम बनाने की बात कर रहे हैं।

मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र के कई युवाओं से मुलाकात के दौरान नौकरियों की मांग भी सुनने को मिली। मुजफ्फरपुर में शहर शुरू होने से पहले टुल्लू पांडे ढाबा चलाते हैं। इस काम में उनका साथ कई और लड़के दे रहे हैं। जब हमने टुल्लू पांडे से वोटिंग के बारे में पूछा तो टुल्लू पांडे और उनके साथियों ने खुलकर कहा कि वे केंद्र की मोदी सरकार के पक्ष में वोट करेंगे, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये लोग तेजस्वी यादव को सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।

दरअसल, भूमिहार समाज से आने वाले ये लड़के नौकरियों के मामले में तेजस्वी यादव को बेहतर मानते हैं। इसलिए इनका मानना ​​है कि सीएम बनने के बाद तेजस्वी और भी वैकेंसी निकालेंगे। जाहिर है, इनके दिलो-दिमाग में राजद का सत्रह साल बनाम सत्रह महीने का नैरेटिव बैठा हुआ है। इसलिए ऊंची जाति से होने के बावजूद ये लड़के तेजस्वी यादव को सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।

युवाओं में तेजस्वी यादव के प्रति क्रेज कैसे बढ़ रहा है?

दरअसल, युवा रोजी-रोटी और रोजगार को लेकर काफी चिंतित हैं। युवाओं को नीतीश कुमार के 17 से 18 साल के शासन को लेकर राजद की बातों पर ज्यादा भरोसा नजर आ रहा है। जेडीयू भले ही कहे कि आरजेडी के साथ सरकार में नौकरियां सात निश्चय 2 के तहत दी गई हैं, जो नीतीश कुमार की योजना का हिस्सा था. लेकिन ज़्यादातर युवा इसे तेजस्वी यादव का प्रयास ही मानते हैं.

मुजफ्फरपुर के रमेश शुक्ला कहते हैं कि पताही में एयरपोर्ट बनाने का काम अधूरा रह गया है. एयरपोर्ट नहीं बनने से काफ़ी निराशा है. हमें पीएम मोदी से नौकरी नहीं तो रोज़गार की उम्मीद है. लेकिन एयरपोर्ट नहीं बनने की वजह से रोज़गार के अवसर भी नहीं बढ़े हैं, लेकिन पताही एयरपोर्ट के सामने तीन मुस्लिम युवक बीजेपी का झंडा फहराते नज़र आए. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने मोदी की गारंटी पर पूरा भरोसा दिखाया.

मुजफ्फरपुर के रहने वाले नसीर अहमद कहते हैं कि मोदी पताही एयरपोर्ट पर सभा करने इसलिए आ रहे हैं क्योंकि मुजफ्फरपुर में एयरपोर्ट बनना तय है. ये तय है कि सरकार बनते ही पीएम मोदी मुजफ्फरपुर के लोगों को पताही एयरपोर्ट का तोहफ़ा देंगे. इसलिए हम जैसे कई मुस्लिम युवा मोदी की गारंटी पर भरोसा करने लगे हैं.

समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा सीटों का हाल जानिए

जाहिर है, कमोबेश यही स्थिति समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा में भी देखने को मिली। इन इलाकों में यादव समुदाय के लोग अपने नाम के आगे यादव का नाम लगाते हैं। समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा सीटों पर 13 मई को वोटिंग हो चुकी है। समस्तीपुर से 25 वर्षीय शांभवी चौधरी लोजपा (रामविलास) पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार सनी हजारी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। उजियारपुर में मुकाबला केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय बनाम आलोक मेहता के बीच है। दोनों सीटों पर मुकाबला कई वजहों से दिलचस्प बताया जा रहा है।

समस्तीपुर के वारिसनगर में आलोक कुमार कहते हैं कि इस बार वे विकास और रोजगार के नाम पर वोट देंगे। जब हमने उनसे विकास करने वाली पार्टी का नाम पूछा तो उन्होंने कहा कि रोजी-रोटी और रोजगार भी विकास का ही हिस्सा है। इसलिए अब युवा उसी की तरफ देख रहे हैं जो वैकेंसी निकालकर नौकरी और रोजगार की बात कर रहा है। लेकिन यहां खड़े रामप्रीत राय कहते हैं कि उन्हें हैरानी होती है जब एक लाख की बाइक चलाकर पांच किलो मुफ्त राशन पाने वाले लोग नौकरियों और विकास को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करते हैं। दरअसल रामप्रीत राम का मानना ​​है कि अगर विकास नहीं होता तो हम सड़कों पर साइकिलों से कई गुना ज्यादा मोटरसाइकिलें दौड़ती नहीं देखते।

युवाओं के बीच नौकरी और रोजगार की बढ़ती मांग हर सीट पर लड़ाई को दिलचस्प बना रही है. नौकरियों के मुद्दे पर ज्यादातर युवा जाति-पाति से ऊपर उठकर बात करते नजर आते हैं. इसलिए बिहार में लड़ाई का नतीजा जो भी हो, जीत-हार का अंतर पिछले चुनाव जैसा होने की संभावना नगण्य है.

ज्यादातर लोकसभा में क्यों दिलचस्प होती जा रही है लड़ाई?

18 साल बाद नीतीश कुमार का आकर्षण कम हो गया है. 25 साल तक के युवा अपने दिलो-दिमाग से जंगलराज की बात नहीं निकाल पा रहे हैं. कई युवा पीएम मोदी को मजबूत पीएम मानते हैं, लेकिन नौकरी की चिंता उन्हें पीएम मोदी को लेकर भ्रमित कर रही है. इसलिए, वैशाली के रहने वाले अभय झा कहते हैं कि डबल इंजन सरकार के भ्रम से बाहर निकलने का समय आ गया है. इसलिए हम चाहते हैं कि केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बने, लेकिन हम स्थानीय NDA उम्मीदवार वीणा देवी को न चुनकर मुन्ना शुक्ला के पक्ष में वोट करेंगे, जो इस बार वैशाली से राजद के उम्मीदवार हैं.

अभय झा आगे कहते हैं कि हम जवान हैं और जंगलराज के बारे में बहुत सुना है. लेकिन अब हमें जंगलराज के नाम पर नहीं डरना चाहिए और तेजस्वी यादव को राज्य की सत्ता में लाना चाहिए. वैसे, जब हमने अभय झा से स्थानीय लोकसभा में NDA को वोट नहीं देने और मोदी को पीएम बनाने की चाहत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मोदी की सरकार बन रही है. इसलिए मजबूत विपक्ष के लिए हम वैशाली से मुन्ना शुक्ला को जिता रहे हैं.

जाहिर है कई जगहों पर इस बार 400 का आंकड़ा पार करना बीजेपी और मोदी प्रशंसकों के लिए फील गुड फैक्टर बन गया है. उन्हें लगता है कि मोदी पीएम जरूर बनेंगे, लेकिन स्थानीय उम्मीदवार से नाराजगी के कारण उन्होंने NDA को वोट देने से इनकार कर दिया.

रोजगार के अभाव में युवा परेशान

यही हाल कई लड़कों का है जिन्होंने अलग-अलग जगहों से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है और पटना और छोटे शहरों में होटलों में काम करके घर चलाने लायक नौकरी कर रहे थे. उनकी समस्या यह है कि होटलों में शराब नहीं परोसे जाने से होटल व्यवसाय चौपट हो रहा है. इसलिए इन लड़कों को उनकी कुशलता के मुताबिक वेतन नहीं मिल पा रहा है. वहीं, कई लोगों को इसकी वजह से अपनी नौकरियां भी गंवानी पड़ी हैं।

समस्तीपुर के रहने वाले नीरज कुमार कहते हैं कि शराबबंदी पूरी तरह फेल हो गई है. इसलिए होटल व्यवसाय और पर्यटन पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. जाहिर है नौकरी चाहने वाले ऐसे लड़के भी उम्मीद कर रहे हैं कि तेजस्वी की सरकार आने पर शराबबंदी हट जाएगी. लेकिन बिहार हमेशा से जाति के आधार पर वोट देने के लिए जाना जाता रहा है. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नौकरी की बात करने वाले लोग वोटिंग के दिन जंगलराज और लालू राज के खिलाफ एकजुट होकर वोट कर सकते हैं.

हाजीपुर के नरेश पासवान कहते हैं कि युवाओं में नाराजगी है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के अलावा विकल्प क्या है. ये युवा शराबबंदी को लेकर NDA के खिलाफ बोल रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार ज्यादा दिनों तक टिकने वाले नहीं हैं. इसलिए शराबबंदी हटेगी और रोजगार की भी व्यवस्था प्रधानमंत्री करेंगे.

नरेश पासवान आगे कहते हैं कि नाराज युवाओं को अपना गुस्सा निकालने दीजिए, वोटिंग के दिन से पहले ये सब दूर हो जाएगा और वोटिंग के दिन ये सभी लालू प्रसाद के खिलाफ NDA को वोट देंगे. नरेश पासवान भी युवा हैं और हाजीपुर में चिराग के पक्ष में हैं. नरेश पासवान कहते हैं कि अभी लालू राज नहीं आया है और मीसा के नामांकन के दिन तेज प्रताप यादव द्वारा एक युवा कार्यकर्ता को धक्का देना और धमकाना कौन युवा भूल सकता है.

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