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Punjab में पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण, बठिंडा में सांस लेना हुआ मुश्किल; AQI ने 500 का आंकड़ा पार किया

Punjab में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी के साथ शहरों की हवा में प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ता जा रहा है। जिस गति से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। बठिंडा में दशहरा के दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के स्तर पर पहुंच गया, जिसे सबसे खतरनाक स्तर माना जाता है। इस स्तर पर लंबे समय तक सांस लेना न केवल बीमार लोगों के लिए, बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी बेहद हानिकारक हो सकता है।

रविवार को बठिंडा का AQI 344

रविवार को भी बठिंडा में AQI 344 दर्ज किया गया, जो अब भी एक खतरनाक स्थिति है। इसी प्रकार, राज्य के अन्य जिलों में भी AQI का बढ़ना चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तमाम कोशिशों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। राज्य सरकार किसानों को लगातार जागरूक कर रही है कि वे पराली न जलाएं, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है।

Punjab में पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण, बठिंडा में सांस लेना हुआ मुश्किल; AQI ने 500 का आंकड़ा पार किया

हर जिले में विशेष टीमें तैनात

पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए हर जिले में विशेष टीमें तैनात की गई हैं। इन टीमों का काम यह सुनिश्चित करना है कि पराली जलाने की घटनाएं रोकी जा सकें। अगर कहीं पराली जलाने की सूचना मिलती है, तो ये टीमें तुरंत कार्रवाई करती हैं। इस कार्रवाई में संबंधित किसानों पर जुर्माना लगाना और उनके खिलाफ मामला दर्ज करना शामिल है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पिछले कुछ दिनों से राज्य के अधिकांश जिलों में AQI 100 से अधिक रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

12 अक्टूबर को विभिन्न शहरों का AQI:

  1. बठिंडा: औसत AQI – 236, अधिकतम AQI – 500
  2. रोपड़: औसत AQI – 109, अधिकतम AQI – 109
  3. अमृतसर: औसत AQI – 139, अधिकतम AQI – 264
  4. मंडी गोबिंदगढ़: औसत AQI – 107, अधिकतम AQI – 266
  5. लुधियाना: औसत AQI – 102, अधिकतम AQI – 256
  6. खन्ना: औसत AQI – 119, अधिकतम AQI – 167
  7. जालंधर: औसत AQI – 84, अधिकतम AQI – 142
  8. पटियाला: औसत AQI – 101, अधिकतम AQI – 111

13 अक्टूबर को विभिन्न शहरों का AQI:

  1. बठिंडा: औसत AQI – 210, अधिकतम AQI – 344
  2. लुधियाना: औसत AQI – 121, अधिकतम AQI – 301
  3. अमृतसर: औसत AQI – 102, अधिकतम AQI – 145
  4. जालंधर: औसत AQI – 108, अधिकतम AQI – 144
  5. रोपड़: औसत AQI – 90, अधिकतम AQI – 156
  6. पटियाला: औसत AQI – 106, अधिकतम AQI – 111
  7. खन्ना: औसत AQI – 84, अधिकतम AQI – 104

वायु गुणवत्ता सूचकांक के मापदंड

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर वायु में प्रदूषकों की मात्रा को मापता है, और इसके आधार पर वायु की गुणवत्ता को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। वायु गुणवत्ता के विभिन्न स्तर और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं:

  1. AQI 0-50: इस स्तर को अच्छा माना जाता है, और यह हवा सांस लेने के लिए सुरक्षित होती है।
  2. AQI 51-100: इसे संतोषजनक माना जाता है, लेकिन इससे संवेदनशील लोगों को हल्की श्वसन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
  3. AQI 101-200: इसे मध्यम श्रेणी में रखा जाता है। इससे फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
  4. AQI 201-300: इसे खराब श्रेणी में माना जाता है। इस स्तर पर लंबे समय तक सांस लेने से अधिकांश लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
  5. AQI 301-400: इसे बहुत खराब श्रेणी में रखा जाता है। इस हवा में लंबे समय तक सांस लेने से श्वसन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
  6. AQI 401-500: इसे खतरनाक श्रेणी में माना जाता है। इस हवा में लंबे समय तक सांस लेना स्वस्थ लोगों के लिए भी हानिकारक है और पहले से बीमार लोगों के लिए यह बेहद घातक हो सकता है।

पराली जलाने से बढ़ा संकट

पराली जलाने की समस्या पंजाब और आसपास के क्षेत्रों के लिए हर साल एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आती है। जब किसान अपनी फसलों की कटाई के बाद खेतों में बची हुई पराली को जलाते हैं, तो इससे निकलने वाला धुआं वातावरण में प्रदूषकों की मात्रा को बढ़ा देता है। यह धुआं न केवल स्थानीय क्षेत्रों को प्रभावित करता है, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी प्रदूषण का कारण बनता है। इसके चलते खासतौर पर सर्दियों के मौसम में दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाती है।

राज्य सरकार की कोशिशें

पंजाब सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। किसानों को पराली जलाने के बजाय उसे अन्य तरीकों से नष्ट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके अलावा, किसानों को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनकी मदद से वे पराली को खेतों में ही जैविक रूप से नष्ट कर सकते हैं। लेकिन सरकार की इन कोशिशों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

समाधान की दिशा में कदम

पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान तभी निकल सकता है, जब सरकार और किसान मिलकर इसके लिए प्रयास करें। किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करना और उन्हें इसके लिए वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है। साथ ही, सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे। पराली जलाने पर सख्त कानूनों को लागू करना और उनका पालन सुनिश्चित करना भी एक आवश्यक कदम है।

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