Lok Sabha Elections के आखिरी चरण में सत्ता की सीट तय होगी, 8 राज्यों के 57 सीटों में किसका पूर्वाधिकार है?
Lok Sabha Elections अब अंतिम और आखिरी चरण में पहुंच गया है. Lok Sabha Elections के सातवें चरण में आठ राज्यों की 57 सीटों पर एक जून को मतदान होगा. इस चरण में 904 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है. वाराणसी सीट पर होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परीक्षा. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले अभिषेक बनर्जी की परीक्षा डायमंड हार्बर और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती की परीक्षा पाटलिपुत्र सीट पर होगी.
Lok Sabha Elections के सातवें और अंतिम चरण में 57 सीटों पर चुनाव होंगे. इसमें बिहार, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सीटों पर चुनाव होंगे. उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर 144 उम्मीदवार मैदान में हैं. बिहार की आठ सीटों पर 134 उम्मीदवार, ओडिशा की 6 सीटों पर 66 उम्मीदवार, झारखंड की तीन सीटों पर 52 उम्मीदवार, हिमाचल प्रदेश की चार सीटों पर 37 उम्मीदवार, पश्चिम बंगाल की 9 सीटों पर 124 उम्मीदवार और एक सीट पर 19 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. चंडीगढ़ की सीट.
सातवें चरण का सियासी समीकरण
सातवें चरण की जिन 57 सीटों पर 1 जून को चुनाव होना है, उनमें बीजेपी का प्रदर्शन 2019 में काफी अच्छा रहा था. पिछले चुनाव में इन 57 सीटों में से बीजेपी ने 25 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को संतोष करना पड़ा था केवल 8 सीटों के साथ. इसके अलावा जेडीयू को 3 सीटें, अपना दल (एस) को दो सीटें, शिरोमणि अकाली दल को 2 सीटें, आम आदमी पार्टी को एक, बीजेडी को 2, जेएमएम को एक सीट और टीएमसी 9 सीटें जीतने में सफल रही. बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए 32 सीटें जीतने में कामयाब रहा, जबकि यूपीए को सिर्फ 9 सीटें और अन्य पार्टियों को 14 सीटें मिलीं.
2019 से 2024 तक का चुनाव पूरी तरह से बदला हुआ है. पंजाब में 27 साल से बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही अकाली दल इस बार अलग चुनाव लड़ रही है. इतना ही नहीं पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी अलग-अलग चुनावी मैदान में हैं. पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है, जिसके चलते इस बार उसकी सीटें बढ़ने की उम्मीद है. वहीं, हिमाचल में इस बार कांग्रेस सत्ता में है, जिसके चलते बीजेपी के लिए क्लीन स्वीप करना आसान नहीं है. बिहार से लेकर यूपी तक सियासी समीकरण बदल गए हैं, वहीं बंगाल में ममता बनर्जी के सामने अपनी सीटें बचाने की चुनौती है.
यूपी की 13 सीटों पर चुनावी घमासान
Lok Sabha Electionsके आखिरी चरण में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर 1 जून को मतदान होना है. महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाज़ीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्ज़ापुर और रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीटें शामिल हैं. ये सभी 13 सीटें पूर्वांचल क्षेत्र की हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी 13 में से 9 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि दो सीटें उसकी सहयोगी अपना दल (एस) और दो सीटें बसपा ने जीतीं. बसपा ने ग़ाज़ीपुर और घोसी सीटें जीतीं, जबकि अपना दल (एस) ने मिर्ज़ापुर और रॉबर्ट्सगंज सीटें जीतीं।
इस बार आखिरी चरण की 13 सीटों में से 10 पर बीजेपी और तीन सीटों पर सहयोगी दल चुनाव लड़ रहे हैं. अपना दल (एस) दो सीटों पर और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, इंडिया अलायंस की ओर से सपा 9 और कांग्रेस 4 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है. बसपा सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इस चरण का चुनाव पूरी तरह से जातीय शतरंज की बिसात पर होता दिख रहा है, जिसमें ओबीसी वोटों के लिए भी सियासी रस्साकशी है. इसके अलावा बीजेपी और एसपी दोनों ही बीएसपी के दलित वोट बैंक को भी लुभाने की कोशिश कर रही हैं. जो व्यक्ति पूर्वाचल के जातीय समीकरण को साधने में सफल होगा उसके लिए राजनीतिक राह आसान हो सकती है.